By अंकित जायसवाल | Apr 26, 2023
भारत में शादियां सिर्फ एक सामाजिक व्यवस्था का भाग नही हैं। भारतीय शादियां रंगों और उत्सव से भरी एक परंपरा है। यहां शादियां, एक दिन में खत्म हो जाने वाला कार्यक्रम नहीं होती, बल्कि यह तो एक हफ्ते तक चलने वाला उत्सव होती हैं। बल्कि कई परंपराओं में तो शादी के बाद भी कई सारे रिचुअल्स होते हैं, जो शादी के बाद तक चलते रहते हैं। इन शादियों में होने वाले खर्चों के वजह से भारतीय इकोनॉमी में शादियों की एक अहम भूमिका है। कोविड के दौरान सरकारी नियमों के पालन और महामारी के खतरे ने दुनियाभर में होने वाली शादियों पर गहरा और नकारात्मक प्रभाव छोड़ा है। इसके इतर भारतीयों ने शादियों की कंपनियों पर अपना खर्च बढ़ाया है, ऐसा "The knot worldwide" के वैश्विक मुख्य कार्यकारी टिमोथी ची मानते हैं।
टिमोथी ची, जो कि वेडटेक प्लेटफॉर्म वेडिंगवायर इंडिया चलाते हैं, ने कहा कि दुनियाभर में हर चार शादियों में से एक भारत में होती है। एक साक्षात्कार में ची ने कहा कि भारतीय शादियों का बजट मजबूत रहता है। शादी उद्योग हर जगह बहुत कठिन दौर से गुजरा है, जो आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन हम कोविड को वेडिंग इंडस्ट्री पर अब तक के सबसे बड़े पॉज बटन के रूप में देखते हैं क्योंकि उस समय के दौरान लोग शादी करने में सक्षम नहीं थे। 2022 में उद्योग में अब तक की सबसे बड़ी संख्या में दबी हुई शादी की मांग देखी गई।
टिमोथी के अनुसार भारतीय शादियों पर अभी भी लोग पहले की तरह ही खर्च कर रहे हैं, लेकिन अब शादियों का आकार कम हो गया है। इस लिहाज से वेडटेक कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में बहुत महत्वपूर्ण रोल है। भारत में दुनिया की 25% शादियां होती हैं। यानी धरती पर चार में से एक शादी यहां होती है। चीन और भारत दुनिया की आधी शादियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। वेडटेक कंपनियों की बात करें तो अब आम भारतीय डेस्टिनेशन वेडिंग के तौर पर जयपुर, उदयपुर और गोवा जैसी जगहों को पसंद करने लगे हैं।
भारतीय परंपरा में मेहमानों की तुलना देवों से की गई है। इस लिहाज से शादियों में ज्यादा से ज्यादा मेहमानों का आना सम्मान की बात है। जहां कोविड से पहले मेहमानों की औसत गिनती 350-400 हुआ करती थी। वो कोविड के बाद से औसतन 250 के करीब हो गई है। डेस्टिनेशन वेडिंग और बाकी के खर्चों को देखते हुए भले ही मेहमानों की सूची कम हो गई है लेकिन बजट अभी भी उतना ही है। देश और दुनिया भले ही मंदी की मार झेल रही हो लेकिन टिमोथी शादियों को 'मंदी प्रतिरोधी' मानते हैं। मंदी भले ही क्यों ना बढ़ जाए लेकिन देश में शादियां होती ही रहेगीं। लेकिन महंगाई का शादी उद्योग पर भी असर पड़ा है। महंगाई बढ़ने के कारण शादियों मे होने वाले जरूरी खर्चों में बड़ा इजाफा हुआ है। इस दौरान भारत में होटल और अन्य खर्चे भी महंगे हुए हैं।
विश्व स्तर पर लोग शादियों पर पैसा खर्च करना चाहते हैं। यह वेडिंग मैनेजमेंट उद्योग यात्रा और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को फॉलो करता है, जिसने सर्वकालिक उच्च दरों को देखा है। वेडिंग इंडस्ट्री में भी चीजें महंगी हो गई हैं, लेकिन लोग इस तरह के एक्सपीरियंस पर पैसा खर्च करने को तैयार हैं।