रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर पूछे सवाल पर जयशंकर ने करा दी बोलती बंद, पश्चिमी एजेंडे से प्रेरित सवाल का दिया मजेदार जवाब

By अभिनय आकाश | Apr 26, 2022

जब दुनिया युद्ध के कगार पर है तब भारत का डंका पूरी दुनिया में  बज रहा है। जब खुद को महाशक्तिशाली कहने वाले देश अपने आप को फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं तब भारत की विदेश नीति की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। भारत ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म खड़ा किया है। जब पूरी दुनिया विश्व युद्ध की कगार पर खड़ी है। ऐसे में सभी की निगाहें दिल्ली के रायसीना डायलॉग की तरफ टिकी हुई हैं। 90 से ज्यादा देशों के डेलीगेशन मौजूद हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की कूटनीति और राजनयिक दक्षता का हर कोई कायल हो गया है। बेहद सयंमित और शांत रहने वाले जयशंकर वैसे तो बेहद कम बोलते हैं लेकिन जब बोलते हैं तो सामने वाले की जमानत जब्त हो जाती है। पिछले दिनों रूस से तेल खरीदने पर उठे सवाल का जवाब देना हो या मानवाधिकार वाली रिपोर्ट की बात हो। बस जगह बदल जाती है लेकिन अंदाज वही होता है। आज ऐसा ही एक मौका दिल्ली के रायसीना डायलॉग में भी देखने को मिला जयशंकर ने अपने अंदाज में पश्चिमी एजेंडे से प्रेरित सवाल को खामोश कर दिया।

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तीन चीजों का किया उल्लेख 

रायसीना डायलॉग में विदेश मंत्री ने एक बहुत बड़ी बात कही है। उन्होंने ये कहा है कि तीन चीजें मुझे सोने नहीं दे रही हैं। युद्ध और इसकी वजह से पश्चिम और रूस के  बीच तनाव जो है वो जिस तरह से गंभीर होता हुआ नजर आ रहा है। दुनिया दो धड़ों में बंटती हुई नजर आ रही है। इसके साथ ही एस जयशंकर ने कहा है कि अफगानिस्तान के हालात भी परेशान करने वाले हैं। पिछले दो साल से कोविड की वजह से भी हालात चिंताजनक हैं।

पश्चिमी देशों को याद दिलाई उन्हीं की सलाह 

रूस से भारत के ट्रेड पर उठ रहे सवालों का एस जयशंकर ने जवाब दिया है। पश्चिमी देशों को उन्हीं की सलाह को एस जयशंकर ने याद दिलाया। उन्होंने कहा कि तनाव के मौके पर हमें ट्रेड बढ़ाने की नसीहत देते रहे हैं। हम तो केवल बातचीत से समाधान की बात कर रहे हैं। अफगानिस्तान का ही उदाहरण ले लीजिए। प्लीज, मुझे बताइए कि कौन सा न्यायोचित नियम दुनिया के देशों की तरफ से अपनाया गया।

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अफगानिस्तान मुद्दे का जिक्र

रायसीना डायलॉग के मंच से तीन यूरोपीय मुल्कों के विदेश मंत्रियों के सवालों का जवाब देते हुए डॉ जयशंकर ने कहा कि यूरोप के देशों को अब वैश्विक व्यवस्था की चिंता हो रही है, लेकिन एशिया में इसकी चुनौती काफी समय से चल रही है। उन्होंने कहा, “आपने यूक्रेन के बारे में बात की थी। मुझे याद है, एक साल से भी कम समय पहले, अफगानिस्तान में क्या हुआ था, जहां समूची नागरिक संस्थाओं को दुनिया ने अपने फायदे के लिये उसके हाल पर छोड़दिया था।” उन्होंने कहा, “मैं पूरी ईमानदारी से कहूंगा, हम सभी अपने विश्वासों और हितों, अपने अनुभव का सही संतुलन खोजना चाहेंगे, और यही सब वास्तव में करने की कोशिश करते हैं। यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों से अलग दिखता है। प्राथमिकताएं अलग हैं और यह काफी स्वाभाविक है।”  

 

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