कसाब, कलावा और हिन्दू आतंकवाद, 26/11 हमले का पूरा सच

By अभिनय आकाश | Feb 22, 2020

हमारे देश में अलग-अलग दौर में राजनेताओं ने अपने फायदे के लिए आतंकवाद को धर्म से जोड़ा है और वोटों की फसल काटी है। इसी का नतीजा है कि हिन्दू आतंकवाद जैसे शब्दों की रचना हुई और तमाम बुद्धीजीवी इन शब्दों का इस्तेमाल अपनी-अपनी श्रद्धा और राजनीतिक एजेंडे के तहत करते रहे। आज देश को बांटने वाले ऐसे ही एक एजेंडे और सोच का पूर्व पुलिस अधिकारी राकेश मारिया की किताब के सहारे एमआरआई स्कैन करेंगे। साथ ही आपको 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब के हिन्दू कनेक्शन वाले पाकिस्तान प्लान और कांग्रेस की समय-समय पर हिन्दू आतंकवाद की प्लांट की गई थ्योरी का भी विश्लेषण करेंगे।

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मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने एक किताब लिखी है जिसका नाम है 'लेट मी से इट नाऊ' इस किताब में मारिया ने कई बड़े-बड़े खुलासे किए हैं। उन्होंने 2015 के शीना बोरा मर्डर से लेकर 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बारे में कई खुलासे किए हैं। उन्होंने किताब में दावा किया है कि पाकिस्तान ने दाऊद ईब्राहिम की गैंग को अजमल कसाब को मारने को कहा था, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इस किताब से जुड़े तथ्यों के बारे में तफ्सील से आगे जिक्र करेंगे। पहले चार लाइनों में आपको बता देते हैं कि राकेश मारिया हैं कौंन?

  • राकेश मारिया 1981 बैच के आईपीएस ऑफिसर रहे हैं। 
  • इन्हें 15 फरवरी 2014 को मुंबई का पुलिस कमिश्नर बनाया गया था।
  • राकेश मारिया 26/11 मुंबई हमले की जांच करने वाले मुंबई क्राइम ब्रांच के मुखिया थे। 
  • 2016 में मारिया होमगार्ड के डायरेक्टर जनरल पद से रिटायर हुए।

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घरेलू राजनीति का फायदा उठाने के लिए हमारे ही देश के नेताओं ने एक शब्द की खोज की थी। वो था हिन्दू आतंकवाद। आपको याद होगा एक जमाना था जब हिन्दू आतंकवाद को लेकर देश में चर्चा जोरों पर थी और पाकिस्तान को ये बात समझ आ गई थी कि भारत बंटा हुआ है और भारत के अपने ही लोग एकजुट नहीं हैं। आईएसआई और आतंकवादी संगठनों ने इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश की और अजमल कसाब को हिन्दू बनाकर मुंबई की सड़कों पर खून बहाने के लिए उतार दिया। उसके हाथ में एक लाल धागा बांधा गया और उसे एक हिन्दू नाम दिया गया। समीर चौधरी जैसा हिन्दू नाम आईएसआई ने उसे दे दिया ताकि जब कसाब मरे तो लोगों को ये लगे कि वो एक हिन्दू आतंकवादी है। पाकिस्तान ये चाहता था कि लोगों को ये लगे कि ये हिन्दू हैं और अपने ही देश की सरकार के खिलाफ खड़े हुए हैं। 

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हमारे देश-दुनिया में कई कहावतें हैं जैसे पीठ में छुरा घोंपना, विभीषण होना, जयचंद होना, मान सिंह होना और मीर जाफर होना। इन सारी कहावतों का जो व्यापकता में अर्थ निकल कर आता है उसमें यह बात साफ़ तौर पर निकल कर बाहर आती है कि इन्हें धोखेबाजी के पर्याय के तौर पर जाना जाता है। ऐसे ही लोगों की वजह से हम पहले मुगलों से हारे और ऐसे ही लोगों की वजह से हम अंग्रेजों के गुलाम बन गए। वर्तमान में भी हम अपने ही देश के कुछ ऐसे ही लोगों से दो-चार होते रहते हैं। 

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आपने अक्सर सुना होगा कि आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि कोई भी धर्म हिंसा के रास्ते पर चलना नहीं सिखाता। लेकिन जरा एक पल के लिए ये सोचिए की 26/11 के दिन मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों में अजमल कसाब की जगह कोई समीर दिनेश चौधरी शामिल होता तो क्या तब भी हमारे देश के बुदि्धिजीवी और कुछ राजनेता यही कहते कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है और ये हिन्दू धर्म को बदनाम करने की साजिश है। 

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ठीक वैसा ही सच भी है। इसके बाद कहा जाता कि भगवा आतंकवाद के नाम पर लोगों का खून बहाया जा रहा है। इसके पीछे आरएसएस है। कुछ विदेशों से पोषित पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ता इस थ्योरी को सच साबित करने के लिए समीर चौधरी का घर और पता ठिकाना ढूढ़ंने में लग जाते। पाकिस्तान से आया अजमल कसाब अगर जिंदा नहीं पकड़ा गया होता तो उसे समीर चौधरी ही साबित कर दिया जाता। 

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राकेश मारिया के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस ने 26/11 हमले को हिंदू आतंकवाद का रूप देने की साजिश रची थी। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने आईएसआई का साथ दिया था। इसके लिए आईएसआई ने अजमल कसाब समेत सभी 10 हमलावरों को नकली आईकार्ड के साथ उन्हें हिंदू बनाकर मुंबई भेजा था। पुलिस को कसाब के पास से बेंगलुरु के रहने वाले किसी समीर चौधरी का फर्जी आईकार्ड भी मिला था। हिंदू दिखने के लिए कसाब ने अपने दाएं हाथ की कलाई में कलावा भी बांध रखा था। पूर्व आईपीएस ऑफिसर ने बताया- 'गिरफ्तारी के तुरंत बाद हम कसाब को मुर्दाघर लेकर गए थे, जहां हमले में मारे गए 160 लोगों की लाशें रखी थी। लाशों को दिखाकर कसाब से पूछा गया था कि क्या यही जिहाद के लिए उसका सहयोग है? मुर्दाघर में उसके साथियों की लाशें भी थीं, जिन्हें देखकर कसाब की हालत खराब हो गई थी। वह उल्टियां करने वाला था। मारिया बताते हैं- 'पूछताछ के दौरान कई मौके पर कसाब अपना होश खोने लगा था, लेकिन उसने कभी अपने किए के लिए शर्मिंदगी या पछतावा जाहिर नहीं किया।

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हालांकि साल 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में जो आतंकी हमला हुआ था उसकी कलई तो पहले ही खुल चुकी थी। कांग्रेस ने इस हमले को लेकर पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी थी। उस समय दिग्विजय सिंह ने आरएसएस पर साजिश करने का आरोप लगाया था। उस वक्त एक मुस्लिम पत्रकार अजीज बर्नी ने एक किताब लिखी थी। जिस किताब का नाम था 26/11 आरएसएस की साजिश? खास बात ये कि इस किताब का विमोचन दिग्विजय सिंह ने किया था। हिन्दू आतंकवाद कांग्रेस का पसंदीदा टू लाइनर रहा है और दिग्विजय सिंह इसके चैंपियन रहे हैं। एटीएस प्रमुख शहीद हेमंत करकरे ने आपको याद ही होंगे। दिग्विजय सिंह ने उनके सहारे भी हिन्दू आतंकवाद की थ्योरी प्लांट करने की नाकाम कोशिश की थी। नाकाम इसलिए कि करकरे की पत्नी ने दिग्विजय के बयान के बाद साफ कहा कि उनके पति की शहादत का मजाक नहीं बनाया जाए। कविता करकरे ने कहा, ’’यह कहना गलत है कि मेरे पति को हिंदू संगठनों ने मारा है। वह आतंकी हमले में शहीद हुए हैं।’’ बता दें कि दिग्विजय सिंह ने कहा था कि हेमंत करकरे ने मुंबई हमले से कुछ घंटे पहले मुझे फोन कर कहा था कि उन्हें हिंदू आतंकवादियों से खतरा है, सोची समझी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा लगता है। उस दौर की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाला, आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला तथा राष्ट्रमंडल खेल घोटाले को लेकर गर्म राजनीतिक माहौल से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश में हिन्दू आतंकवाद को ट्रेंड कराने और उसका राजनीतिक प्रयोग करने में जुटी थी। 

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मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के मुकदमे की अदालत में पैरवी करने वाले विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम का कहना है कि मुंबई हमले के 10 में से 9 आतंकी जो मारे गए थे उनके पास से जो आई कार्ड मिले थे उन पर हिन्दू नाम लिखे थे। निकम ने कहा कि ''यह बात सच है कि अजमल कसाब के पास जो पहचान पत्र मिला था उस पर नाम समीर चौधरी, हैदराबाद लिखा था। वह फर्जी थे, इसकी जांच की गई थी और अदालत में कॉलेज के प्रिंसिपल की गवाही भी हुई थी। मारिया के मुताबिक, लश्कर-ए-तैयबा आतंकी कसाब को एक हिंदू आतंकी के रूप में पेश करना चाहता था। मारिया ने उसे गिरफ्तार करने के बाद जबरन 'भारत माता की जय' के नारे लगवाए थे।

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मारिया ने आगे बताया- 'काफिला मेट्रो जंक्शन की तरफ आया। हम उसी जगह आकर रुके, जहां इस दरिंदे (अजमल कसाब) ने कुछ दिन पहले हमले को अंजाम दिया था। वहां मेरे प्यारे सहयोगियों और निर्दोष नागरिकों की लाशें बिछी हुई थीं। मुझे नहीं पता कि अचानक मुझे क्या हुआ? मैंने काफिला रोक दिया और कार से बाहर निकल आया। मैंने अजमल कसाब को बाहर लाने को कहा, तब सुबह के कुछ 4:30 बजे होंगे। सर्द हवा चल रही थी। मंदिर और मस्जिद भी नहीं खुले थे।' मारिया ने आगे कहा- 'मैंने कसाब को ऑर्डर दिया- नीचे झुको और जमीन पर अपना माथा टेको। वह चुपचाप मेरे निर्देशों का पालन करने लगा। अब कहो- भारत माता की जय। भारत माता की जय! कहो- कसाब। एक बार सुनकर मैं संतुष्ट नहीं हुआ। मैंने उसे कई बार भारत माता की जय कहने को बोला।'

बहरहाल, राजनीति में सवाल तो आसानी से खड़े किए जाते हैं, लेकिन सवालों का जवाब कोई नहीं देना चाहता है। यूपीए सरकार ने अपने राज में हिन्दू आतंकवाद नामक शब्द गढ़ा था। इस शब्द ने भारत में बड़े-बड़े सवाल खड़े किए और इस शब्द के सहारे मूल और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की भरपूर कोशिश भी हुई। एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश हुई। कुछ वैसा ही जैसा कि पाकिस्तान भी भारत में सेट करना चाहता था। भारत के राजनेता चाहे-अनचाहे में पाकिस्तान के एजेंडे में उसे मदद कर रहे थे और ऐसी थ्योरी देकर उसे फायदा पहुंचा रहे थे।- अभिनय आकाश

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