संविधान दिवस: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के पालन पर दिया जोर

नयी दिल्ली। संविधान दिवस के अवसर पर मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों का अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के पालन पर जोर देने का आह्वान किया, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि हमें नागरिक के तौर पर अधिकारों एवं कर्तव्यों के बीच ‘‘संतुलन’’ बनाना होगा।
Watch LIVE as President Kovind addresses the Parliament on the 70th anniversary of the Constitution. #ConstitutionDay https://t.co/j7OafOtqPl
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 26, 2019
संविधान को अंगीकार करने के 70 वर्ष पूरा होने के अवसर पर संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में आयोजित लोकसभा एवं राज्यसभा की संयुक्त बैठक को कोविंद, नायडू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और मोदी ने संबोधित किया। हालांकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों द्वारा इस बैठक का बहिष्कार किया गया। संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान ने दो मंत्रों ‘‘भारतीयों के लिए गरिमा’’ और ‘‘भारत की एकता’’ को साकार किया है। उन्होंने भारतीय नागरिकों का आह्वान किया, ‘‘हम सब देश के नव नागरिक और नेक नागरिक बनें।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की तरफ आगे बढ़ पा रहे हैं । भारतीयों के लिये गरिमा और भारत की एकता.. संविधान ने इन दो मंत्रों को साकार किया है।’’ उन्होंने कहा कि संविधान अधिकारों के प्रति सजग एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाता है, ऐसे में हमें नागरिक के तौर पर अधिकारों एवं कर्तव्यों में संतुलन बनाना होगा।
इसे भी पढ़ें: सबसे उत्तम संविधान देकर गये अंबेडकर, पर सपनों का भारत अब भी नहीं बना
उन्होंने कहा कि अधिकारों और कर्तव्यों के बीच के इस रिश्ते और इस संतुलन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बखूबी समझा था। आज जब देश पूज्य बापू की 150वीं जयंती का पर्व मना रहा है तो उनकी बातें और भी प्रासांगिक हो जाती हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठकर, संविधान-सम्मत प्रक्रियाओं का पालन करने को संवैधानिक नैतिकता का ‘‘सार-तत्व’’ बताया और कहा कि देश में हर प्रकार की परिस्थिति का सामना करने के लिए संविधान सम्मत रास्ते उपलब्ध हैं और ‘‘इसलिये संविधान की मर्यादा, गरिमा और नैतिकता के अनुरूप काम करें।’’ उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम सभी को संवैधानिक मूल्यों, ईमानदारी को अपनाते हुए भय, प्रलोभन, पक्षपात, राग द्वेष एवं भेदभाव से मुक्त रहकर काम करने की आवश्यकता है। ऐसे में संविधान निर्माताओं की भावना को शुद्ध अंत:करण से अपनाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘भय, प्रलोभन, राग-द्वेष, पक्षपात और भेदभाव से मुक्त रहकर शुद्ध अन्तःकरण के साथ कार्य करने की भावना को हमारे महान संविधान निर्माताओं ने अपने जीवन में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से अपनाया था। उनमें यह विश्वास जरूर रहा होगा कि उनकी भावी पीढ़ियां, अर्थात हम सभी देशवासी भी, उन्हीं की तरह, इन जीवन-मूल्यों को, उतनी ही सहजता और निष्ठा से अपनाएंगे।’’ कोविंद ने संविधान दिवस के अवसर पर 250 रुपये के स्मारक सिक्के और एक विशेष डाक टिकट को जारी किया, वहीं उन्होंने राष्ट्रीय युवा संसद योजना के पोर्टल और संसद भवन के पुस्तकालय में आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।
इस अवसर पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ‘‘भारतीय संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा की भूमिका’’ नामक पुस्तक को जारी किया और इसकी पहली प्रति राष्ट्रपति कोविंद को भेंट की। नायडू ने देश के नागरिकों का आह्वान किया कि यदि वे प्रतिबद्धता के साथ अपने दायित्वों को निभायें तथा राष्ट्रीय उद्देश्यों एवं संवैधानिक मूल्यों के प्रति संकल्पबद्ध रहें तो देश का तेजी से विकास हो सकता है और यह अधिक परिपक्व लोकतंत्र बन सकता है। नायडू नेदेशवासियों से संविधान की मान्यताओं और मर्यादाओं के संरक्षण और संवर्धन के प्रति पुन: संकल्पबद्ध होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘यदि हम प्रतिबद्धता के साथ अपने दायित्वों को निभायें तथा राष्ट्रीय उद्देश्यों एवं संवैधानिक मूल्यों के प्रति संकल्पबद्ध रहें तो देश का तेजी से विकास हो सकता है और यह अधिक परिपक्व लोकतंत्र बन सकता है। संविधान दिवस के अवसर पर संसद के दोनों सदनों की मंगलवार को हुई संयुक्त बैठक का कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, द्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों समेत विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया, वहीं बसपा के सदस्य इस समारोह में शामिल हुए। तृणमूल कांग्रेस ने भी संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह का बहिष्कार किया, हालांकि इस पार्टी की लोकसभा सदस्य नुसरत जहां केन्द्रीय में दिखाई दीं।
इसे भी पढ़ें: हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष चुने गए भाजपा के रणबीर गंगवा
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ‘‘अनुशासन’’ को मौलिक अधिकारों द्वारा प्रदान की गई स्वतंत्रता और शक्तियों के प्रयोग की एक जरूरी शर्त बताते हुए कहा कि कर्तव्यों से विमुख होकर सिर्फ अधिकारों की बात करने से एक प्रकार का असंतुलन पैदा होगा। उन्होंने कहा ‘‘संविधान में जहां एक तरफ मौलिक अधिकारों के रूप में हमें पर्याप्त स्वतंत्रता और शक्तियां दी गई हैं, वहीं दूसरी तरफ संतुलन बनाते हुए मौलिक कर्तव्यों का निर्देश करके हमें अनुशासित भी किया है।’’
अन्य न्यूज़