आजादी के दिन पतंगबाजी करने का मजा ही कुछ और है

By प्रज्ञा पाण्डेय | Aug 14, 2019

नीले आसमान में उड़ती रंग-बिरंगी पतंगें सबका मन लुभाती हैं। पतंगबाजी एक ऐसा शौक है जिसके दीवाने बच्चे और बूढ़े दोनों होते हैं। यूं तो आसमान में अक्सर ही पतंगें लहराया करती हैं लेकिन आजादी के दिन यानि 15 अगस्त को लोग खासतौर से पतंग उड़ाते हैं तो आइए हम आपको स्वतंत्रता दिवस पर पतंगों के शौकीन लोगों के बारे में कुछ बतातें हैं।

 

पतंग उड़ाने में सभी होते हैं एक्सपर्ट

जी हां यह सच है पतंग उड़ाने के लिए किसी को किसी ट्रेनिंग की कभी जरूरत नहीं होती है। बस पतंग और मांझा लिया और शुरू हो गए। 15 अगस्त के दिन तो राजधानी दिल्ली में आकाश पतंगों से भर जाता है और बच्चे-बूढ़े सभी इसका मजा लेते हैं।


पतंग के शौकीन धूप की नहीं करते परवाह

15 अगस्त को चिलचिलाती धूप में भी पतंग के शौकीन अपना शौक पूरा करते हुए पतंग जरूर उड़ाते हैं। अगर मौसम सुहाना हुआ तो पतंग उड़ाने का मजा और भी बढ़ जाता है।


पतंगों से भी भेजे जाते थे संदेश

आजकल मोबाइल फोन और इंटरनेट जैसी तकनीक के सामने पतंगों से संदेश भेजने की बात आपको आश्चर्यचकित कर सकती है। पतंगों पर कुछ मैसेज लिखकर उड़ाना बेहद पुरानी और रोमांचित करने वाली तकनीक है। आज भी कभी-कभी पतंगों पर कुछ न कुछ मैसेज लिखकर लोग 15 अगस्त के दिन पतंग उड़ाते हैं। पतंगों पर संदेश लिखने की तकनीक आजादी की लडाई के दौरान भी अपनायी गयी थी। 1927 में स्वतंत्रता सेनानियों ने साइमन कमीशन के विरोध में पतंगें उड़ाई थीं। बहुत से नौजवानों ने साइमन गो बैक के नारे वाली पतंगें आसमान में उड़ाई थीं।

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बाजारों में खास थीम की पतंगें भी हैं मौजूद

आजकल बाजार में तरह-तरह के थीम की पतंगें मौजूद हैं। जहां एक ओर कार्टून कैरेक्टर वाली पतंगें दिखती वहीं पतंगों पर नेताओं की तस्वीरें भी लोगों का ध्यान खींचती हैं। मोदी, राहुल, वसुंधरा, केजरीवाल के अलावा ओबामा की तस्वीर भी दिखाई देती हैं। इसके अलावा बॉलीवुड स्टार जैसे सलमान खान, आमिर खान, शाहरूख खान, दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ, प्रियंका चोपड़ा, करीना कपूर की तस्वीर वाली पतंगें भी बहुत पसंद की जाती हैं।

 

लगता है खास बाजार 

हर शहर में पतंग का एक खास बाजार होता है। राजधानी दिल्ली में पुरानी दिल्ली के लाल कुआं इलाके में स्वतंत्रता दिवस पर हर साल खास पतंग बाजार लगता है जहां देश भर से लोग पतंगें खरीदने आते हैं। पतंग उड़ाने के लिए दो तरह की डोर इस्तेमाल होती है। एक डोर सफेद रंग की होती है जिसे सादी कहते हैं और दूसरी पतंग काटने वाली होती है जिसे मांझा कहा जाता है। मांझा बरेली में अच्छा मिलता है। इसके अलावा बाजार में अलग-अलग प्रकार के मांझा भी मिल रहे हैं। 

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इन राज्यों में होती है खास पतंगबाजी

उत्तर भारत के लोग रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस को पतंग उड़ाते हैं। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के लोग इस दिन पतंगबाजी का जमकर लुत्फ उठाते हैं। पतंग उड़ाने में लोग समाज में छोटे-बड़े का भेदभाव भूल जाते हैं। अहमदाबाद की पतंगबाजी पूरी दुनिया मशहूर है। देश में दिल्ली, लखनऊ, मुरादबाद जैसे शहरों के लोग पतंग उड़ाने के बहुत शौकीन होते हैं।


मकरसंक्रांति पर होती है पतंगबाजी

देश के कई हिस्सों में मकर संक्रांति पर पतंग उड़ायी जाती है। हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन होता है। हैदराबाद और लाहौर में भी पतंग शौक से उड़ाते हैं। लखनऊ के अलावा दिल्ली, भोपाल, जयपुर, अहमदाबाद, कोलकाता सहित प्रदेश के कई शहरों में पतंग उड़ायी जाती है। 1977 से लखनऊ महोत्सव में पतंग महोत्सव को भी शामिल किया गया है।

 

पतंगबाजी का इतिहास

ग्रीक इतिहासकारों की मानें तो पतंगबाजी लगभग 2500 वर्ष पुरानी है। साथ ही कुछ लोगों का मानना है कि पतंगबाजी के खेल की शुरूआत चीन में हुई थी। 

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आजादी के दिन पतंगबाजी है पुरानी परम्परा

आजादी से पहले साइमन कमीशन का विरोध दर्ज कराने का बेहतरीन जरिया रहीं रंग-बिरंगी पतंगों के ट्रेंड में कई आकर्षक बदलाव तो हुए लेकिन परंपरा वही रही। पहले जहां आकाश में तैरती इन पतंगों पर चंद किरदारों का ही कब्जा रहता था वहीं अब बॉलीवुड स्टार और चर्चित नेताओं की तस्वीर वाली पतंगें सबसे ज्यादा पसंद की जा रही हैं।


छत पर पतंग गिरने से बनता था पकवान 

भारत में मुगल काल में नवाबों की पतंगें बेहद खूबसूरत होती थीं। इन पतंगों में सोने और चांदी के तारों से कलाकारी होती थी। ये पतंगें जब छत पर गिरती थीं तो उनके घर पुलाव बनते थे। नवाबों में नवाब सआदत अली खां ने पतंग लड़ाने की शुरुआत की थी, इसके बाद बादशाह अमजद अली ने भी पतंगबाजी को आगे बढ़ाया।

 

करवा चौथ की रात उड़ती है सफेद पतंगें 

देश के कुछ शहरों में करवा चौथ की रात में सफेद पतंगें उड़ाने का भी रिवाज है। 

 

-प्रज्ञा पाण्डेय

 

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