By अनुराग गुप्ता | Oct 10, 2021
लखनऊ। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कहने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब संसद को भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण और इसके रचयिता वाल्मीकि, गीता और इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास को राष्ट्रीय सम्मान देने के लिए कानून लाने की नसीहत दी है।
हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। खंडपीठ ने कहा कि संसद को भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण और इसके रचयिता वाल्मीकि, गीता और इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास को सम्मान देने के लिए एक कानून लाया जाना चाहिए क्योंकि वे भारत की संस्कृति और परम्परा हैं।
जमानत याचिका हुई मंजूरआपको बता दें कि हाथरस के आकाश जाटव नामक युवक पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हिन्दू देवी-देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें साझा करने का आरोप है। इस व्यक्ति को पुलिस ने 4 जनवरी को गिरफ्तार किया था। इसी मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह टिप्पणी की। हालांकि कोर्ट ने आकाश जाटव की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है।कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चों को सभी स्कूलों में (भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण और इसके रचयिता वाल्मीकि, गीता और इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास) शिक्षित करने की जरूरत है। इस दौरान कोर्ट ने भगवत गीता के श्लोकों का भी उल्लेख किया।पहले भी आ चुकी है ऐसी ही टिप्पणी
गौरतलब है कि सितंबर में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने कहा था कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और गौरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में रखा जाए क्योंकि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था पर चोट होती है तो देश कमजोर होता है। गौहत्या मामले में आरोपी जावेद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि गौहत्या के आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए संसद को एक कानून बनाना चाहिए।जस्टिस शेखर कुमार यादव ने गायों को हिंदू आस्था और संस्कृति का प्रतीक बताया था। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा था कि वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय ही एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन लेती और छोड़ती है। कोर्ट ने कहा था कि गाय हमारी संस्कृति का आधार है और यह पुराणों, शास्त्रों, रामायण और महाभारत में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती थी।