By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 13, 2022
बौद्ध पदाधिकारियों ने अपने पत्र में कहा कि वे वीडियो से “बहुत परेशान” हैं, क्योंकि जो हुआ है, वह पूरी तरह से भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और बौद्ध धर्म के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने लिखा, “बौद्ध धर्म अन्य धर्मों के खिलाफ जहर उगलने की शिक्षा नहीं देता। बौद्ध धर्म अन्य देवी-देवताओं को अस्वीकार करने या उनका अनादर करने का समर्थन नहीं करता। भगवान बुद्ध की शिक्षाएं सदियों से स्वयं प्रबुद्ध की भावना और सभी धर्मों के प्रति सम्मान का प्रतीक हैं। बौद्ध और हिंदू शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ रहते हैं और इनके बीच एक समृद्ध अंतरधार्मिक संवाद रहा है। महात्मा गांधी भगवान बुद्ध के विचारों से बहुत प्रभावित थे और समय-समय पर इनपर बात भी करते थे।”
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में ‘धर्म संस्कृति संगम’ के राजेश लांबा, ‘महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया’ के. पी. सीवाले और ‘इंटरनेशनल बौद्ध रिसर्च’ के शांतिमित्र शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस कार्यक्रम में दिल्ली के एक कैबिनेट मंत्री मौजूद थे। उन्होंने दावा किया कि यह सभा किसी भी तरह से देश के संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है, जिसे उन्होंने बरकरार रखने की शपथ ली थी। पत्र में कहा गया है, “दिल्ली सरकार के मंत्री के वहां जाने की किसी ने निंदा नहीं की। हमें उम्मीद है कि जल्द से जल्द ऐसा किया जाएगा। हम संबंधित अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि देश को बांटने के प्रयास के लिए उनके साथ-साथ उपस्थित लोगों के खिलाफ भी तत्काल कार्रवाई की जाए।