‘लोकतंत्र के मंदिरों’ की गरिमा बनाए रखें: झारखंड के राज्यपाल

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 23, 2021

रांची| झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने सोमवार को कहा कि संसद और राज्य विधानसभाएं लोकतंत्र के मंदिर हैं और जन प्रतिनिधियों को इन संस्थानों की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।

झारखंड विधानसभा के 21वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए ब्यास ने जन प्रतिनिधियों से बिना किसी व्यवधान के गुणवत्तापूर्ण बहस करने का आग्रह किया।

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उन्होंने कहा, “संसद और विधानसभाओं के कामकाज में काफी बदलाव आया है। सदन की कार्यवाही को बाधित करना दस्तूर बन गया है। ”

बैस ने कहा, “मामूली मसलों पर सदन को स्थगित करने की मांग करना या लोकतंत्र के मंदिरों को कामकाज नहीं करने देना एक परंपरा बन गई है ... हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे आचरण से इन संस्थाओं की गरिमा को ठेस न पहुंचे।”

राज्यपाल ने कहा कि निर्धारित परंपराओं और नियमों के तहत सम्मानजनक तरीके से मुद्दों को उठाने के बजाय, कार्यवाही को बाधित करने के लिए आसन के सामने जा कर पीठासीन अधिकारियों के समक्ष शोर मचाने का चलन हो गया है।

उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में विधायी सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण है, जो ऐसे कानून बनाता है जो नागरिकों की सामूहिक इच्छा को दर्शाता है। विपक्ष की जिम्मेदारी है कि वह जनता की समस्याओं को प्रभावी ढंग से सरकार के सामने रखे और रचनात्मक भूमिका निभाए।”

विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने कहा कि सरकार समावेशी विकास के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष का लक्ष्य राज्य का विकास है।

उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के समग्र विकास के लिए काम कर रही है और 15 नवंबर को झारखंड के स्थापना दिवस के मौके कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गई हैं। कई सुरक्षाकर्मियों को मरणोपरांत सम्मानित किया गया।

पूर्व सिंहभूम, रांची और रामगढ़ जिलों के उपायुक्तों को कोविड टीकाकरण अभियान में उनके प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। वहीं बिश्रामपुर से भाजपा के वरिष्ठ विधायक को सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार दिया गया है।

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वह सदन में अपने शिष्ट व्यवहार के लिए जाने जाते हैं और उन जन प्रतिनिधियों में शामिल हैं जिनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है।

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