कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा प्रधानमंत्री की संवेदनशीलता का परिचायक: बाबूलाल मरांडी

Babulal Marandi
प्रतिरूप फोटो

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री बधाई व धन्यवाद के पात्र हैं। मरांडी ने कहा कि अगर केंद्र सरकार चाहती तो अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती कर सकती थी, लेकिन संवेदनशीलता दिखाते हुए ऐसा नहीं किया गया।

पाकुड़ (झारखंड)|  झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को कहा कि कृषि कानूनों की वापसी का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदनशीलता का परिचायक है।

मरांडी ने संवाददाताओं से कहा कि यह फैसला किसी के दवाब में नहीं बल्कि छोटे किसानों के हितों के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने किया है।

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उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रधानमंत्री बधाई व धन्यवाद के पात्र हैं। मरांडी ने कहा कि अगर केंद्र सरकार चाहती तो अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सख्ती कर सकती थी, लेकिन संवेदनशीलता दिखाते हुए ऐसा नहीं किया गया।

उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के गठन के बाद से ही राज्य में अराजकता की स्थिति पैदा हो गयी है।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अपराधी बेख़ौफ़ हैं और आम जनता भयभीत है। आपराधिक घटनाओं, खासकर बलात्कार, हत्याओं के मामलों ने तो पिछला सारा रिकार्ड तोड़ दिया है।

सरकारी संरक्षण में अवैध उत्खनन व खनिजों की तस्करी चरम पर है।’’ उन्होंने कहा कि विभिन्न वजहों से पंचायतों को अवधि विस्तार दिया जा रहा है ताकि सरकारी अमलों के जरिए विकास के नाम पर वसूली की जा सके।

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उन्होंने राज्य सरकार पर अवधि विस्तार की आड़ में हरेक पंचायत से दस से पंद्रह हजार रुपए वसूलने का भी आरोप लगाया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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