WHO की रिपोर्ट पर मनसुख मंडाविया ने फिर उठाए सवाल, कहा- हमारी चिंताओं की अनदेखी की गई

By अंकित सिंह | May 23, 2022

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने एक बार फिर से विश्व स्वास्थ्य संगठन के उस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं जिसमें यह कहा गया था कि भारत में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 47 लाख से ज्यादा हो सकती है। दरअसल, मनसुख मंडाविया ने विश्व स्वास्थ्य सभा के 75वें सत्र को डब्ल्यूएचओ मुख्यालय जिनेवा में संबोधित किया। इस अवसर पर डब्ल्यूएचओ की भारत में कोरोना से मौत की रिपोर्ट का मुद्दा भी उन्होंने उठाया और इस पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत से सभी कारणों से अधिक मृत्यु दर पर डब्ल्यूएचओ के हालिया बयान पर निराशा और चिंता व्यक्त करता है। उन्होंने कहा कि भारत के वैधानिक के प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित देश विशिष्ट प्रमाणिक डेटा की अवहेलना की गई है।

 

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मनसुख मंडाविया ने कहा कि भारत और अन्य देशों द्वारा व्यक्त की गई चिंता की अनदेखी करते हुए, जिस तरह से WHO द्वारा मृत्यु दर पर रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित की गई थी, उस पर भारत अपनी निराशा व्यक्त करता है। मंडाविया ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद, जिसमें भारत के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों का प्रतिनिधित्व है, एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया है जिसमें मुझे इस संबंध में उनकी सामूहिक निराशा और चिंता व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने टीकों और दवाओं के लिए समान पहुंच को सक्षम करने के लिए एक लचीला वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है, जो टीकों, चिकित्सा विज्ञान, सुधारों के लिए डब्ल्यूएचओ की अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है।

 

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पारंपरिक औषधि का वैश्विक केंद्र भारत में स्थापित: डब्ल्यूएचओ

 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और भारत सरकार ने मिलकर गुजरात के जामनगर में पारंपरिक औषधि का वैश्विक केंद्र स्थापित किया है ताकि प्रैक्टिस और उत्पादों के प्रभाव के संबंध में भरोसेमंद साक्ष्य और आंकड़े जुटाए जा सकें। यह बात विश्व स्वास्थ्य निकाय के प्रमुख ने सोमवार को कही। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनोम गेब्रेयेसस ने कहा, ‘‘लगभग 90 प्रतिशत सदस्य देशों के पांरपरिक औषधि के इस्तेमाल को मान्यता देते हुए पिछले महीने ही हमने पारंपरिक औषधि का वैश्विक केंद्र भारत में स्थापित किया है, ताकि प्रैक्टिस और उन उत्पादों के प्रभाव के संबंध में भरोसेमंद साक्ष्य और आंकड़े जुटाए जा सकें,जिनका इस्तेमाल करोड़ों लोग करते हैं।’’ उन्होंने यह बात विश्व स्वास्थ्य सभा के 75वें सत्र के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही। 

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