By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 05, 2021
जकार्ता। म्यांमार के उत्तरी काचिन राज्य में आंतरिक तौर पर विस्थापित लोगों के शिविरों में रह रहे किसान हर साल बरसात के मौसम से पहले अपने उन गांवों में लौट जाते थे, जहां से वे भागे हैं और साल भर अपना पेट पालने के लिए वहां फसलें उगाते थे, लेकिन इस बार सैन्य तख्तापलट के कारण स्थिति पहले की तरह नहीं हैं। बरसात का मौसम करीब है, लेकिन फरवरी में सेना द्वारा किए गए तख्तापलट के बाद किसान अपने अस्थायी घरों से बमुश्किल ही निकल रहे हैं और शिविरों को छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। उनका कहना है कि वे म्यांमार सेना या उनसे संबद्ध मिलिशिया के सैनिकों से टकराने का जोखिम नहीं ले सकते हैं।
एक किसान लू लू ऑन्ग ने कहा, “हम तख्तापलट के बाद से कहीं नहीं जा सकते और न ही कुछ कर सकते हैं।” उन्होंने कहा, “हर रात, हम अपने शिविरों के ऊपर बेहद करीब से लड़ाकू विमानों की आवाजें सुनते हैं।” सेना द्वारा आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार के तख्तापलट के बाद से यांगून और मंडाले जैसे बड़े शहरों में प्रदर्शनकारियों पर घातक सैन्य कार्रवाई की हर तरफ चर्चा है। इस बीच, सेना एवं अल्पसंख्यक गुरिल्ला सेनाओं में लंबे समय से जारी संघर्ष के फिर से भड़क जाने के बाद म्यांमा के दूरस्थ सीमाई क्षेत्रों में लू लू ऑन्ग और देश के अल्पसंख्यक नस्ली समूह के लाखों अन्य लोग भी नई अनिश्चितताओं और घटती सुरक्षा का सामना कर रहे हैं। पूर्वी सीमा पर प्रजातीय अल्पसंख्यक कारेन गुरिल्लाओं की भूमि पर सेना ने घातक हवाई हमले करने शुरू कर दिए हैं, जिसके बाद स्थिति और बिगड़ गई है। इस वजह से हजारों नागरिक विस्थापित हो गए और पड़ोसी थाईलैंड भाग गए हैं।