एडविना-नेहरू के निजी खतों में क्या था ऐसा खास? ब्रिटिश कोर्ट ने सार्वजनिक करने से किया मना

By अभिनय आकाश | Apr 30, 2022

एंड्रयू लोअनी नाम के एक ब्रिटिश लेखक इन दिनों खूब चर्चा में हैं। पिछले कुछ सालों से वो लगातार इस कोशिश में लगे थे कि भारत के आखिरी वायसराय लार्ड माउंटबिटेन की पत्नी एडविना की व्यक्तिगत डायरी प्राप्त करने के लिए लंबी और खर्चीली कानूनी लड़ाई लड़ी। लेकिन 3.5 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद वो ये कानूनी लड़ाई हार गए। ब्रिटेन के एक ट्रिब्यूनल ने निजी डायरी और एडविना माउंटबेटेन और जवाहर लाल नेहरू के बीच लिखे गए पत्रों को ब्रिटिश लेखक को देने से मना कर दिया। जज सोफी बकले ने लेखक एंड्रयू लाउनी की अपील को खारिज कर दिया। 

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टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एंड्रयू लोअनी उन पत्रों को भी हासिल करना चाहते थे जो एडविना माउंटबेटन और जवाहरलाल नेहरू ने 1947 और 1960 के बीच एक-दूसरे को भेजे थे। ट्रिब्यूनल ने पाया कि साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय नेहरू और एडविना के बीच भेजी गईं चिट्ठियां नहीं हैं। न्यायाधीश ने पाया कि यूनिवर्सिटी लॉर्ड बेब्रोर्न की तरफ से कुछ पेपर्स को संभाल कर रखे हुई थी। यूनिवर्सिटी के पास विकल्प था कि वो इन पत्रों को 100 पाउंड में खरीद सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। 

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न्यायाधिकरण (सूचना अधिकार) के न्यायाधीश सोफी बकले ने लॉर्ड एंड लेडी माउंटबेटन की व्यक्तिगत डायरी और एडविना माउंटबेटन और जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तिगत पत्रों को जारी करने के लिए उनकी याचिका को खारिज करने के बाद ब्रिटिश लेखक एंड्रयू लोनी ने कहा कि मैं नहीं समझता हूं कि कुछ भी सनसनीखेज बचा है, ये गैर मामूली चीजों के लिए बड़ी कानूनी लड़ाई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश लेखर लोअनी ने इस केस को लड़ने के लिए अपने 3 लाख पाउंड खर्च कर डाले। उन्होंने पैसों के लिए उन्होंने क्राउड फंडिंग भी की। उन्होंने कहा कि वे लोग जो कुछ भी छिपाने की कोशिश कर रहे थे उनमें से ज्यादातर चीजें पहले से ही पब्लिक डोमेन में मौजूद है। लोअनी ने कहा कि उन्हें संदेह है कि दस्तावेजों को इसलिए नहीं जारी किया गया क्योंकि वो पाकिस्तान और भारत के संबंध में है। उन्होंने कहा, "एडविना की प्रकाशित डायरी में जिन्ना के मनोरोगी होने का जिक्र है। मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान के साथ संबंध प्रभावित होने वाले हैं।"

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