दुनिया की बेहतरीन फिल्मों को देखने के लिये IFFI में बड़ी तादाद में उमड़ रहे हैं दर्शक

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 27, 2019

पणजी। भारत के 50वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) को इस बार ‘बाई दी ग्रेस आफ गॉड’, ‘कमिटमेंट’ ‘डेनियल’, ‘डेविल बिटवीन द लेग्स’,‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ , ‘पेन एंड ग्लोरी’ तथा ‘दी गोल्डन ग्लव’ जैसी बेहतरीन फिल्मों के लिए याद किया जाएगा। इस बार इफ्फी में ऐसी ही कुछ बेहतरीन फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है जिन्हें देखने के लिए दर्शक अच्छी खासी संख्या में उमड़ रहे हैं  ‘बाई दी ग्रेस आफ गॉड’ निदेशक फ्रेंकोइस ओजन की फ्रैंच फिल्म है। अपने कथानक के चलते इस फिल्म की इफ्फी में काफी चर्चा हो रही है। वास्को से फिल्म देखने आयीं गृहिणी टीना इस फिल्म के कथानक से काफी प्रभावित हैं और कहती हैं कि इस प्रकार के विषयों पर खुलकर चर्चा किए जाने की जरूरत है। साल 2004 में इफ्फी का आयोजन शुरू होने के बाद से वह लगातार इस फिल्म समारोह में आ रही हैं। हालांकि मुख्य रूप से उनकी पसंद कोंकणी फिल्में हैं लेकिन उन्हें विश्व प्रतिस्पर्धा सिनेमा के तहत दिखाई जाने वाली अंतरराष्ट्रीय फिल्में और मलयाली फिल्में देखना विशेष तौर पर पसंद है।

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कहानी का कथानक कुछ इस प्रकार है कि अपने परिवार के साथ लियन में रहने वाले अलेक्जेंडर के साथ बचपन में एक पादरी ने दुराचार किया था। एक दिन उसे पता चलता है कि वह पादरी आज भी वही कर रहा है। अलेकजेंडर इस इंसान के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत जुटाता है। यह फिल्मफादर बर्नार्ड प्रेनैट के सच्चे केस पर आधारित है जिस पर साल 2016 में लियन में 70 बच्चों के शारीरिक शोषण का आरोप लगा था। इस फिल्म को बर्लिन फिल्मोत्सव 2019 में ‘सिल्वरबीयर ग्रैंड ज्यूरी अवार्ड ’’ से नवाजा गया था। इफ्फी की बढ़ती लोकप्रियता का हाल यह है कि सभी श्रेणियों में फिल्मों के टिकट बिक चुके हैं और हर स्क्रीनिंग हाल में दर्शकों की भारी भीड़ देखी जा सकती है।

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इसी श्रेणी की चर्चित फिल्म है ‘रवांडा’। फिल्म रिकार्डो सैलवेती द्वारा निर्देशित अंग्रेजी फिल्म है जिसमें इतिहास के एक भयानक नरसंहार को दिखाया गया है। यह एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है जिसमें एक महिला, उसका पति और उसके परिवार को दिखाया गया है। इस कहानी में किसी को मरना है तो किसी को मारना है। नरसंहार की भयावहता बयान करती यह सशक्त कथानक वाली सैलवेती की पहली फीचर फिल्म है। 75 साल की सुमिता दासगुप्ता इंदौर की रहने वाली हैं लेकिन वह हर साल इफ्फी समारोह के लिए अपनी गोवा में रहने वाली बेटी नैना के पास आ जाती हैं। पिछले साल इफ्फी के दौरान उन्होंने 22 फिल्में देखी थीं । उनका कहना है कि इफ्फी में विश्व का श्रेष्ठ सिनेमा दिखाया जाता है और इसलिए हर साल वह इसके लिए गोवा आती हैं।

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इस बार बीमार होने और व्हीलचेयर की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण वह फिल्म नहीं देख पायी हैं लेकिन समारोह के अहसास को जीने के लिए अपनी बेटी के साथ इफ्फी समारोह स्थल घूमने के लिए आयी हैं। इसी प्रकार तुर्की के पटकथाकार, फिल्म निर्देशक और निर्माता सेमीड कापलैनोग्लू की फिल्म ‘‘कमिटमेंट’’भी अपने कथानक के चलते खूब सराही जा रही है। इसमें असली नामक महिला अपने बच्चे के लिए आया की तलाश में है और उसकी मुलाकात गुलनीहाल से होती है जो खुद एक मां है। इस फिल्मको 92वें अकैडमी अवार्ड में सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा की फिल्म श्रेणी में तुर्की कीओर से एंट्री मिली थी। 

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मैक्सिको में जन्में पटकथाकार और निर्देशक आरदुरो रिप्सटीन की स्पेनिश भाषा में बनी फिल्म ‘डेविल बिटवीन दी लेग्स’ एक बूढ़े इंसान और खूबसूरत बीट्रिज के बीच की कहानी है। उनकी नौकरानी के दोनों के बीच में आने से कहानी किस खूबसूरती से बदलती है, यही इस फिल्म में दिखाया गया है। 21साल की उम्र में अपनी पहली फिल्म ‘‘टाइम टू डाई’’ बनाने वाले आरदुरो ‘‘ वुमन आफ द पोर्ट’,‘ ला रीना दा ना नोशे ’ और ‘डीप क्रिमसन’ के श्रेष्ठ निर्देशन के लिए जाने जाते हैं। ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ पिता और बेटी के बीच के जटिल रिश्तों को सुलझाते हुए पुराने राज और पाशविक प्रवृतियों को बेनकाब करती है।

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कनाडाई रंगकर्मी और फिल्म निर्देशक एटम इगोयान द्वारा निर्देशित इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर इस साल वेनिस फिल्म फेस्टिवल में हुआ था। इन सभी फिल्मों की स्क्रीनिंग ‘मास्टर फ्रेम’ श्रेणी में की जा रही है जो कि विश्व की बेहतरीन फिल्मों का संग्रह है। ये फिल्में सीरियल किलर से लेकर मानवता के अस्तित्व के लिए ही खतरा बनने वाले विषयों को समेटे हुए हैं। 20 नवंबर से शुरू होकर 28 नवंबर तक चलने वाले भारत के 50वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इफ्फी में विश्व की ऐसी ही कुछ और फिल्में दर्शकों को देखने को मिलेंगी। 

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