वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन बढ़े और एफडी पर टैक्स कटना बंद हो

महँगाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है लेकिन पेंशन में बढ़ोतरी नहीं होती हैं। सेवानिवृति के समय जो पेंशन फ़िक्स हो जाती है वह ही राशि पेंशनर के जीवित रहने तक मिलती रहती है।
हमारे देश में लगभग छह करोड़ ऐसे वरिष्ठ नागरिक हैं जो सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियों से सेवानिवृत हुए हैं और जो पेंशन पर ही अपनी जीविका चलाते हैं। इन वरिष्ठ नागरिकों ने राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। देश का इनके ऊपर कर्ज़ है। इनमें से अधिकांश वरिष्ठ नागरिक कई सामाजिक एवं सेवा संस्थानों से जुड़े हुए हैं जहाँ ये अपनी निःशुल्क सेवाएँ देते हैं। कई वरिष्ठ नागरिक नई पीढ़ी का निःशुल्क मार्गदर्शन करते हैं।
वरिष्ठ नागरिकों की भी सोचें
महँगाई दिनों दिन बढ़ती जा रही है लेकिन पेंशन में बढ़ोतरी नहीं होती हैं। सेवानिवृति के समय जो पेंशन फ़िक्स हो जाती है वह ही राशि पेंशनर के जीवित रहने तक मिलती रहती है। कुछ वरिष्ठ नागरिकों ने उस राशि को जो पीएफ़ फंड सेवानिवृति के समय मिला था उसे बैंक में फ़िक्स डिपाजिट में रख दिया था उस पर भी टीडीएस कट जाता है और ब्याज की राशि कम मिलती है। भविष्य निधि खातों और डाकघर की लघु बचत योजनाओं में भी ब्याज दरों में काफ़ी कमी हो गयी है। इसके कारण वरिष्ठ नागरिकों की आय पर काफ़ी असर पड़ा है और उनकी आर्थिक हालत और कमजोर हो गयी है। बहुत से परिवार सिर्फ़ वरिष्ठ नागरिक की पेंशन और बैंक या डाकघर में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज की राशि पर ही टिके रहते हैं। ऐसे परिवारों की आर्थिक हालत आयकर और एफडी पर कटने वाले टीडीएस के कारण और दयनीय हो जाती है। हमारे देश में कई छोटे-छोटे व्यापारियों की मासिक आय पेंशनधारी वरिष्ठ नागरिकों की पेंशन से कई गुना अधिक है लेकिन वे आयकर नहीं भरते हैं क्योंकि वे अपना टर्नओवर कम बताते हैं।
रेल यात्रा सबसिडी छोड़ी
जिन वरिष्ठ नागरिकों की माली हालत अच्छी है और जिनके आय के अन्य साधन हैं या परिवार के प्रति आर्थिक जवाबदारी नहीं है ऐसे 9 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने अपनी स्वयं की मर्ज़ी से रेल यात्रा में सब्सिडी छोड़ी है और यह राशि लगभग 40 करोड़ रूपये की है। पिछले वित्तीय वर्ष की अपेक्षा इस वित्तीय वर्ष में अभी तक आयकर संग्रह की राशि में 18.2 फीसदी की वृद्धि हुई है।
आयकर छूट की सीमा बढ़े
यूपीए सरकार के समय पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के नेतृत्व वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में आयकर छूट की सीमा 2.50 लाख रूपये से बढ़ाकर 5 लाख रूपये करने का सुझाव दिया था। तब बीजेपी ने इसका समर्थन किया था। उस समय बीजेपी के नेताओं ने कहा था कि यदि बीजेपी सत्ता में आयेगी तो वह आयकर छूट सीमा में ख़ासी बढ़ोतरी करेगी। टैक्स एक्सपर्ट्स और अर्थशास्त्रियों का भी कहना है कि बढ़ती हुई महँगाई को देखते हुए आयकर छूट में अच्छी बढ़ोतरी करनी होगी। वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयकर में छूट की सीमा 3 लाख रूपये है और 80 वर्ष से ऊपर के सुपर वरिष्ठ नागरिकों के लिए 5 लाख रूपये है। कुछ ऐसे देश है जहाँ पेंशन की आय पर आयकर नहीं लगता है वे देश हैं- पनामा, कास्टारिका, उरूग्वे, इक्वेडोर, बेलिज और मलेशिया।
वरिष्ठ नागरिकों को बैंक में या डाकघरों में जमा राशि पर 0.25 फीसदी या 0.50 फीसदी ज़्यादा ब्याज देना अस्थाई उपाय हैं। ये उपाय संपूर्ण समस्या का समाधान नहीं हैं। सन् 2004 से सन् 2015-16 के बीच 12 वर्षो में उद्योग क्षेत्र को कारपोरेट टैक्स में लगभग 50 लाख करोड़ रूपये की छूट सरकार द्वारा दी गई। यदि इस राजस्व के एक अंश पर भी सरकार ध्यान देवे तो वरिष्ठ नागरिकों, पेंशनरों की समस्या का समाधान आसानी से हो सकता हैं।
सौतेलेपन की नीति छोड़ें
सरकार की इस सौतेलेपन की नीति के कारण ही देश में अमीरों और ग़रीबों की बीच की खाई बढ़ती ही जा रही है। कारपोरेट घरानों के कर्ज़ से बैंकों के एनपीए बढ़े हैं और बैंकों की सेहत खराब हुई है उसे सुधारने के लिए आम जनता के पैसो का इस्तेमाल होगा। इस आम जनता में वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हैं। वैसे मानवीय आधार पर पेंशन पर आयकर लगना ही नहीं चाहिए। सिर्फ़ वरिष्ठ नागरिक दिवस मनाने से सरकार की इन नागरिकों के प्रति जवाबदेही पूरी नहीं हो जाती है। अब समय आ गया है कि सरकार आने वाले बजट में वरिष्ठ नागरिकों की माली हालत को ध्यान में रखते हुए आयकर अधिनियम में संशोधन करे।
-दीपक गिरकर
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