Amazon India के कर्मचारियों ने कंपनी पर लगाए गंभीर आरोप, भारतीयों से अमानवीय परिस्थिति में करवाया जाता है काम

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रितिका कमठान । Jul 11 2024 4:09PM

लगभग 86 प्रतिशत गोदाम कर्मचारियों और 28 प्रतिशत ड्राइवरों ने आरोप लगाया कि अमेज़न द्वारा उन्हें दिए गए शौचालय ब्रेक अपर्याप्त थे। एक कर्मचारी ने कहा, "देर से आने का फीडबैक तब मिलता है जब आप शौचालय में 10 मिनट से अधिक समय बिताते हैं।"

भारत में अमेज़न के गोदाम और डिलीवरी कर्मचारियों ने अपने कंपनी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। कर्मचारियों द्वारा किया गया ये खुलासा काफी हैरान करने वाला है। कंपनी के कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि कर्मचारियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। 

पांच में से चार गोदाम श्रमिकों ने बताया कि उनके कार्य लक्ष्य को प्राप्त करना ‘बहुत कठिन’ है, जबकि कुछ ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें शौचालय जाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है या कार्य-संबंधी चोटों के लिए वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही है। यूएनआई ग्लोबल यूनियन द्वारा अमेज़न इंडिया वर्कर्स एसोसिएशन (एआईडब्ल्यूए) के साथ साझेदारी में किए गए सर्वेक्षण में 1,838 प्रतिभागियों ने भारत में अमेज़न की सुविधाओं में काम करने की भयावह स्थिति का आरोप लगाया। कुल प्रतिभागियों में से 21.3 प्रतिशत श्रमिकों और डिलीवरी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें ‘असुरक्षित’ कार्य स्थितियों का सामना करना पड़ता है। 

शौचालय जाने की अनुमति नहीं

लगभग 86 प्रतिशत गोदाम कर्मचारियों और 28 प्रतिशत ड्राइवरों ने आरोप लगाया कि अमेज़न द्वारा उन्हें दिए गए शौचालय ब्रेक अपर्याप्त थे। एक कर्मचारी ने कहा, "देर से आने का फीडबैक तब मिलता है जब आप शौचालय में 10 मिनट से अधिक समय बिताते हैं।"

उच्च कार्य दबाव

एक पूर्व गोदाम कर्मचारी ने कहा, "10 घंटे खड़े रहने से मेरे पैरों में बहुत दर्द होता है" जबकि एक अन्य ने आरोप लगाया कि काम का दबाव इतना अधिक है कि कर्मचारियों को एक-दूसरे से बात करने का भी मौका नहीं मिलता। एक डिलीवरी करने वाले व्यक्ति ने कहा, "मेरा एक्सीडेंट हो गया था और किसी ने मेरी मदद नहीं की। मैंने अपना सारा पैसा खर्च कर दिया।"

श्रमिकों ने कहा कि उनका कम वेतन जीवन-यापन की लागत और बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में मुश्किल से ही सक्षम है, क्योंकि लगभग 46.4 प्रतिशत गोदाम श्रमिकों ने कहा कि उनका वेतन पर्याप्त नहीं है, जबकि 52.9 प्रतिशत ने कहा कि यह उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ही पर्याप्त है। 

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