मॉमस्प्रेसो के मॉम्स मेनिफेस्टो सर्वे का खुलासा- 70% भारतीय माताओं को सुरक्षा की चिंता

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[email protected] । May 14 2019 5:18PM

स्थानीय विश्लेषण में यह पाया गया कि दिल्ली की 47 प्रतिशत माताएं और मुंबई की 40% प्रतिशत माताएं प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा अधिकांश उत्तरदाताओं ने सार्वजनिक शौचालय और उनके आस-पास की सफाई व्यवस्था के बारे में खेद व्यक्त किया।

आम चुनावों से पहले भारतीय माताओं की आवाज को बुलंद करने के लिए भारत में महिलाओं के सबसे बड़े यूजर-जनरेटेड प्लेटफार्म मॉमस्प्रेसो ने मॉम्स मैनिफेस्टो सर्वे किया है। इसका उद्देश्य लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भारतीय माताओं की आवाज को बुलंद करना है। इसमें उनकी प्रमुख चिंताओं और उम्मीदों को पता करने की कोशिश की गई है। मॉमस्प्रेसो के अनुसार करीब 70 प्रतिशत भारतीय माताओं की प्रमुख चिंता महिलाओं की सुरक्षा है, खासकर महानगरों में। वहीं, 62 प्रतिशत माताओं ने अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। सर्वेक्षण के अनुसार देशभर में अधिकांश माताओं को देश में शिक्षा की स्थिति की चिंता है। 85 प्रतिशत उत्तर देने वाली माताओं ने कहा कि शिक्षा का खर्च जान-बूझकर बढ़ाया गया है। उन्होंने भारतीय स्कूलों में आम हो चुकी वार्षिक शुल्क वृद्धि की भी निंदा की है। भारतीय माताओं का एक बड़े हिस्से ने अपने आसपास के मुद्दों को उठाया है, जिनमें से 23% ने देश में जल / वायु प्रदूषण की बढ़ती दर पर चिंता जताई है। 

स्थानीय विश्लेषण में यह पाया गया कि दिल्ली की 47 प्रतिशत माताएं और मुंबई की 40% प्रतिशत माताएं प्रदूषण को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा अधिकांश उत्तरदाताओं ने सार्वजनिक शौचालय और उनके आस-पास की सफाई व्यवस्था के बारे में खेद व्यक्त किया। कोलकाता की 60% और चेन्नई की 37% माताओं ने स्वच्छता को सबसे बड़ी चिंता बताया है। माताओं के लिए चिंता के अन्य क्षेत्रों में बढ़ता भ्रष्टाचार (23%), सब-पार मेडिकल सुविधाएं (20%) और माताओं के लिए नौकरियों की कमी (13%) शामिल हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि मॉमस्प्रेसो के सर्वेक्षण में अधिकांश माताओं ने अपने बच्चों के कल्याण को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। सर्वेक्षण के मुताबिक 80% से अधिक भारतीय माताएं बच्चों के लिए अधिक और अच्छे स्कूल चाहती हैं, 84% माताएं सभी प्रमुख कंपनियों या शहर के बड़े कार्यालयों में डे-केयर सुविधाएं चाहती हैं। सर्वेक्षण में शामिल सभी कामकाजी माताओं को लगता है कि सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान के लिए अधिक कमरों की आवश्यकता है, जबकि 10 में से 8 भारतीय माताओं को लगता है कि खाने के पदार्थों में मिलावट भविष्य में उनके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा। 

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सर्वे पर बात करते हुए, मॉमस्प्रेसो के सह-संस्थापक और सीईओ विशाल गुप्ता ने कहा, "मॉमस्प्रेसो में हमने दृढ़ता से महसूस किया है कि भारतीय माताओं के जीवन को जो वास्तविक मुद्दे प्रभावित करते हैं, उनका उल्लेख सभी घोषणा पत्रों और बातचीत में शामिल नहीं किया गया है। हमने इसे ही ध्यान में रखते हुए माताओं के सबसे बड़ी कम्युनिटी के तौर पर एक ऐसा घोषणा पत्र बनाने का फैसला किया, जिसमें माताओं की आवाज को सामने लाया जा सके। एक ऐसा दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जाए जो देश की समग्र प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। इस सर्वेक्षण के माध्यम से, हम इन आवाज़ों को सामने ला रहे हैं जो अक्सर अनसुनी रह जाती हैं, और हमारे प्लेटफार्म के माध्यम से अपनी बात प्रस्तुत करती हैं। हमारा मानना है कि माताओं की ये चिंताएं और आकांक्षाएं अब सही जगह तक पहुंचेंगी। अंत में लगभग 70% भारतीय माताओं ने बताया कि वे राजनीतिक नौटंकी से प्रभावित नहीं होती हैं। अपने और अपने बच्चों के जीवन की बेहतर गुणवत्ता की तलाश में भारतीय माताओं ने अपनी पसंद पर बारीकी से विचार करने के बाद ही अपना वोट डालने की योजना बनाई। मॉमस्प्रेसो द्वारा किए गए अध्ययन में पूरे भारत में 1,317 माताओं का सर्वेक्षण किया गया, जिनमें कामकाजी माताएं (33.7 प्रतिशत) और गृहिणियां (66.3 प्रतिशत) शामिल थीं। 

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