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त्योहारी मांग सरसों तेल में सुधार, निर्यात मांग समाप्त होने से मूंगफली में गिरावट
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- नवंबर 1, 2020 11:02
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निर्यात की मांग खत्म होने तथा सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले महंगा होने के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली दाना (तिलहन) और तेल कीमतों में गिरावट को छोड़कर लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख देखने को मिला।
नयी दिल्ली। निर्यात की मांग खत्म होने तथा सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले महंगा होने के कारण बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मूंगफली दाना (तिलहन) और तेल कीमतों में गिरावट को छोड़कर लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख देखने को मिला। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह त्योहारी मांग होने के कारण सरसों दाना एवं सरसों तेल कीमतों में सुधार के अलावा सोयाबीन तेल तिलहन, पाम एवं पामोलीन कीमतों में सुधार आया।
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सस्ते आयातित तेलों की मांग होने से बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) की कीमत पिछले सप्ताहांत 30 रुपये की हानि के साथ बंद हुई। सूत्रों ने कहा कि मूंगफली की निर्यात मांग खत्म होने तथा सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले भाव महंगा होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली के दाम में भारी गिरावट देखने को मिली। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर त्योहारी मांग बढ़ने के बीच बाजार में स्टॉक कम होने से सरसों दाना और इसके तेल की कीमतों में सुधार आया। कोविड-19 महामारी की वजह से किसान अप्रैल-मई के महीने में मंडी में बिक्री के लिए स्टॉक नहीं लाये जिससे व्यापारियों और तेल मिलों के पास सरसों का कोई स्टॉक नहीं है।
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सरकार की ओर से सहकारी संस्था नाफेड ने किसानों से सरसों की खरीद की जिसके कारण सरसों का सीमित स्टॉक या तो नाफेड के पास या फिर किसानों के पास रह गया है। सूत्रों ने कहा कि सर्दी के मौसम और त्योहारों में सरसों तेल की मांग बढ़ती है। फिलहाल स्टॉक की कमी है। उन्होंने कहा कि नाफेड को जून-जुलाई में सरसों बिक्री के बजाय सरसों की बिजाई के बाद अक्टूबर-नवंबर में सरसों की बिक्री करनी चाहिये थी। इससे किसानों को फायदा होता और सरसों की भी इतनी कमी नहीं होती। उन्होंने कहा कि हालांकि यह स्थिति भविष्य में सरसों के लिए बेहतर साबित होगी क्योंकि मौजूदा वर्ष में सरसों की अच्छी कीमत मिलने से किसान उत्साहित हैं और आगे इसके उत्पादन की मात्रा बढ़ सकती है।
साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने भी सरकार को पत्र लिखकर तेल उद्योग की चिंतायें बताई हैं और इस बात को रेखांकित किया है कि अन्य जिंसों के मुकाबले तेल कीमतों में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है। उसने तेल कीमतों में वृद्धि की वकालत की है और कहा है कि इस वृद्धि का घरों के बजट पर विशेष असर नहीं होगा क्योंकि घरेलू बजट का मामूली हिस्सा खाद्य तेल का होता है। सूत्रों ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूरजमुखी बीज उत्पादकों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं। इस ओर ध्यान दिये जाने की जरूरत है। सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में तेजी का रुख होने तथा हल्के तेलों में सरसों, मूंगफली, तिल इत्यादि के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत सस्ता होने के कारण सोयाबीन तेलों की मांग बढ़ी है।
सर्दियों के मौसम और त्योहारों की वजह से घरेलू खपत के लिए मांग बढ़ने के साथ-साथ देश में ’ब्लेंडिंग’ के लिए भी सोयाबीन डीगम की मांग है। इन परिस्थितियों में समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाना सहित इसके तेल की कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। बाकी तेलों के मुकाबले सबसे सस्ता होने, ब्लेंडिंग की मांग बढ़ने के साथ-साथ त्योहारी मांग बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान सोयाबीन दाना और लूज की कीमतें क्रमश: 50 रुपये और 45 रुपये सुधरकर क्रमश: 4,345-4,395 रुपये और 4,215-4,245 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सोयाबीन दिल्ली के भाव पूर्ववत रहे जबकि सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 150 रुपये और 30 रुपये सुधरकर क्रमश: 10,350 रुपये और 9,350 रुपये क्विन्टल पर बंद हुए। सूत्रों ने कहा कि नाफेड हरियाणा, राजस्थान में सरसों दाना की सीमित मात्रा में बिकवाली कर रहा है लेकिन सट्टेबाज नाफेड से कम कीमत पर खरीद करने का दबाव बनाने के लिए वायदा कारोबार में भाव पहले से नीचा चलाने लगते हैं। हालांकि, नाफेड कम कीमत वाली बोली को निरस्त भी कर रहा है।
आलोच्य सप्ताह के दौरान घरेलू तेल-तिलहन बाजार में सरसों दाना (तिलहन फसल) पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 300 रुपये का सुधार दर्शाता 6,200-6,250 रुपये और सरसों तेल (दादरी) 280 रुपये के सुधार के साथ 12,280 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि सरसों पक्की घानी और सरसों कच्ची घानी की कीमतें 40-40 रुपये सुधरकर क्रमश: 1,855-2,005 रुपये और 1,975-2,085 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को तिलहनों का भी बफर स्टॉक बनाना चाहिये तथा देशी स्तर पर तिलहन उत्पादन बढ़ाने के साथ सस्ते आयातित तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाना चाहिये ताकि हमारे तिलहन उत्पाद आयातित तेलों की प्रतिस्पर्धा का सामना कर सकें। उन्होंने कहा कि बफर स्टॉक के कारण देशी तिलहन पूरा का पूरा बाजार में खप जायेगा और किसानों को इससे फायदा होगा।
मूंगफली की निर्यात मांग खत्म होने से पिछले सप्ताहांत के मुकाबले मूंगफली दाना 200 रुपये की गिरावट के साथ 5,275-5,325 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। इसके अलावा मूंगफली तेल गुजरात 650 रुपये की हानि दर्शाता 13,100 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ, जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड 90 रुपये की गिरावट दर्शाता 2,030-2,090 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। मांग न होने के बीच बेपड़ता कारोबार के कारण समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन एक्स-कांडला की कीमतें क्रमश: 320 रुपये, 100 रुपये और 50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 8,350 रुपये, 9,600 रुपये और 8,750 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं। सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले मांग प्रभावित होने से बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) का भाव 30 रुपये की हानि दर्शाता समीक्षाधीन सप्ताहांत में 9,250 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ।
भारत में ऐपल का कारोबार अभी भी अवसरों के मुकाबले काफी कम है: टिम कुक
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 11:24
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ऐपल ने 23 सितंबर को भारत में ऐपल स्टोर की ऑनलाइन शुरुआत की थी, जिसके जरिए पहली बार देश भर के ग्राहकों को सीधे उत्पादों की पूरी श्रृंखला और सेवाओं की पेशकश की गई।
न्यूयॉर्क। ऐपल के सीईओ टिम कुक ने कहा कि कंपनी की भारत में बाजार हिस्सेदारी उपलब्ध अवसरों के मुकाबले काफी कम है, और वहां भविष्य में खुदरा स्टोरों को खोलना एक बड़ी पहल होगी। ऐपल ने 23 सितंबर को भारत में ऐपल स्टोर की ऑनलाइन शुरुआत की थी, जिसके जरिए पहली बार देश भर के ग्राहकों को सीधे उत्पादों की पूरी श्रृंखला और सेवाओं की पेशकश की गई।
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कुक ने बुधवार को 2021 की पहली तिमाही के लिए कंपनी की आय संभावनाओं पर चर्चा के दौरान कहा, ‘‘यदि आप भारत का उदाहरण लें, तो हमारा कारोबार पिछले साल की तुलना में दोगुना हो गया है। लेकिन वहां हमारा व्यापार अभी भी उपलब्ध अवसरों की तुलना में काफी कम है। और आप दुनिया भर में ऐसे और भी बाजार पा सकते हैं।’’ भारतीय बाजार में ऐपल के प्रयासों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कुक ने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने पहले बताया, ऐसे कई बाजार हैं।
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भारत उनमें से एक है, जहां हमारी हिस्सेदारी काफी कम है। एक साल पहले के मुकाबले हमने सुधार किया है। इस अवधि में हमारा कारोबार लगभग दोगुना हो गया। और हम इस बढ़ोतरी के बारे में बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि ऐपल भारत में कई पहल कर रहा है। ‘‘उदाहरण के लिए, हमने वहां ऑनलाइन स्टोर खोला, और बीती तिमाही ऑनलाइन स्टोर की पहली पूर्ण तिमाही थी। इसकी एक शानदार प्रतिक्रिया मिली और इससे पिछली तिमाही के हमारे लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिली।’’ कुक ने आगे कहा विकसित बाजारों में भी वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं।
भारत ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य 5 साल कम कर 2025 किया
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 11:20
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मंहगे तेल आयात पर निर्भरता कम करने के इरादे से यह कदम उठाया गया है। उन्होंने एफआईपीआई (फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री) पुरस्कार समारोह में कहा, ‘‘वर्ष 2014 में पेट्रोल में एक प्रतिशत से भी कम एथनॉल का मिश्रण हो रहा था जबकि लक्ष्य 5 प्रतिशत का था।
नयी दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को कहा कि भारत ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल करने की समय सीमा पांच साल कम कर 2025 कर दी गयी है। मंहगे तेल आयात पर निर्भरता कम करने के इरादे से यह कदम उठाया गया है। उन्होंने एफआईपीआई (फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री) पुरस्कार समारोह में कहा, ‘‘वर्ष 2014 में पेट्रोल में एक प्रतिशत से भी कम एथनॉल का मिश्रण हो रहा था जबकि लक्ष्य 5 प्रतिशत का था।
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पिछले चीनी वर्ष में यह अनुपात 8.5 प्रतिशत पहुंच गया है और अगले साल यह 10 प्रतिशत होगा।’’ पिछले साल सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण (90 प्रतिशत पेट्रोल के साथ 10 प्रतिशत एथनॉल का मिश्रण) और 2030 तक 20 प्रतिशत का लक्ष्य रखा था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब 20 प्रतिशत का लक्ष्य 2024-25 तक हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।’’ प्रधान ने कहा कि अगर इस लक्ष्य को हासिल किया जाता है, भारत पेट्रोल में एथनॉल मिलाने वाला ब्राजील के बाद दूसरा देश होगा। लेकिन निरपेक्ष रूप से हम ब्राजील से आगे होंगे।
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भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिये 83 प्रतिशत आयात पर निर्भर है। पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण से आयात में कमी की जा सकेगी। साथ ही एथनॉल कम प्रदूषण फैलाना वाला ईंधन है। अत: इससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। प्रधान ने कहा, ‘‘2025 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने के लिये , 1,000 करोड़ लीटर की जरूरत होगी। माजूदा भाव पर यह 60,000 से 65,000 करोड़ रुपये का है।’’ पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण बढ़ाने से चीनी मिलों को आय का अतिरिक्त स्रोत प्राप्त होगा और उन्हें किसानों के बकाये के भुगतान में मदद मिलेगी।
असमानता दूर करने में सरकारों की विफलता की कीमत चुका रही है दुनिया : ऑक्सफैम
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 28, 2021 11:13
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कोविड-19 महामारी के दौरान असमानता में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने बुधवार को कहा कि सरकारों की इस मुद्दे को हल करने की विफलता की कीमत आज दुनिया को चुकानी पड़ रही है।
नयी दिल्ली/दावोस। कोविड-19 महामारी के दौरान असमानता में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने बुधवार को कहा कि सरकारों की इस मुद्दे को हल करने की विफलता की कीमत आज दुनिया को चुकानी पड़ रही है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के ऑनलाइन दावोस एजेंडा शिखर बैठक में ‘सुधार के दौरान सामाजिक न्याय की आपूर्ति’ पर एक सत्र में संबोधित करते हुए बुचर ने कहा, ‘‘समानता एक ताजा और सैद्धान्तिक और गंभीर रूपरेखा है और यह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है।
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हम सरकारों की असमानता को दूर करने में विफलता की कीमत चुका रहे हैं। हमने असमानता में सबसे अधिक अधिक वृद्धि देखी है।’’ बुचर ने कहा कि किनारे पर बैठकर कुछ नहीं होगा। हमें असमानता को समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से दुनियाभर के नेताओं ने प्रणालीगत असमानता को दूर करने की नई प्रतिबद्धताएं जताई हैं और साथ ही उन्होंने सामाजिक न्याय को लेकर अपने हितधारक दायित्व को दर्शाया है।
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‘‘इनमें से कई ने जलवायु न्याय में उल्लेखनीय निवेश की घोषणा की है।’’ इसी सत्र को संबोधित करते हुए लंदन के मेयर सादिक खान ने कहा कि लंदन में श्वेत और अश्वेतों पर स्वास्थ्य नतीजों और कोविड-19 के प्रभाव का अंतर इस बात का संकेत है कि हमें असमानता से निपटने को मिलकर काम करना होगा।

