रिटर्न भरना आसान बनाने के लिये विशेषज्ञों से चर्चा करेगी जीएसटीएन समिति
जीएसटी रिटर्न भरने को सरल बनाने के उपाय सुझाने के लिए गठित समिति इस मुद्दे पर कर विशेषज्ञों व व्यापार मंडलों से परामर्श करेगी ताकि कम कारोबार करने वाली इकाइयों के लिए प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके।
नयी दिल्ली। जीएसटी रिटर्न भरने को सरल बनाने के उपाय सुझाने के लिए गठित समिति इस मुद्दे पर कर विशेषज्ञों व व्यापार मंडलों से परामर्श करेगी ताकि कम कारोबार करने वाली इकाइयों के लिए प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके। जीएसटीएन के चेयरमैन अजय भूषण पांडे ने यहां यह जानकारी दी। पांडे की अध्यक्षता में गठित इस समिति में कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश व पंजाब के राजस्व विभाग एवं केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
पांडे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हम विशेषज्ञों से भी बातचीत कर रहे हैं और विभिन्न अन्य भागीदारों की भी राय ले रहे हैं ताकि देखा जा सके कि क्या सरलीकरण कियाजा सकता है। इसके पीछे हमारा कुल मिलाकर उद्देश्य यही है कि मामूली कारोबार वाले या भविष्य में इस्तेमाल के लिए पंजीकरण करवा चुके लोगों के लिए जीएसटीआर-1 व जीएसटीआर-3बी दाखिल करना आसान बनाया जा सके।’ जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) पोर्टल पर रिटर्न दाखिल करने वाली लगभग 40 प्रतिशत इकाइयों की कर देनदारी शून्य है।
जीएसटी परिषद ने रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया सरल बनाने के उपाय सुझाने के लिए यह समिति गठित की है। इसके साथ ही जीएसटीआर-2 व जीएसटीआर-3 की फाइलिंग को 31 मार्च तक स्थगित रखने का फैसला किया गया है। जीएसटीआर-1 में माल की बिक्री का ब्यौरा होता है जबकि जीएसटीआर-2 में खरीदे गये माल की जानकारी रहती है। जीएसटीआर-3बी खरीद और बेचे गये माल का मिलान होता है। कितना माल खरीदा और कितना बेचा गया। कारोबारी इकाइयों को अब मार्च तक जीएसटीआर-1 बिक्री रिटर्न के साथ जीएसटीआर- 3बी दाखिल करनी होगी।
पांडे ने कहा, समिति प्रक्रिया को सरल बनाने पर विचार करेगी क्योंकि सभी (जीएसटी रिटर्न) आपस में सम्बद्ध हैं। उन्होंने कहा कि समिति इस पर भी विचार करेगी कि रिटर्न में कौन सी सूचना को लिया जाना चाहिये और कितने अंतराल में इसे लिया जाना चाहिये। आखिरकार हमारा लक्ष्य लोगों को सुविधा देना है। जो भी रिटर्न दाखिल कर रहे हैं वह आसानी से यह काम कर सकें।
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