ई-वाणिज्य नीति के मसौदे में कई महत्वपूर्ण बातो को नहीं कहा गया है: कैट

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इन शर्तों में कहा गया है कि विदेश में संरक्षित ऐसे किसी भी डेटा को ग्राहक की सहमति के बावजूद भी देश के बाहर किसी अन्य कंपनी के साथ साझा नहीं किया जा सकता है।

नयी दिल्ली। व्यापारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को कहा कि सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय ई-वाणिज्य नीति के मसौदे में कई महत्वपूर्ण विषयों को छोड़ दिया गया है, जिससे क्षेत्र के लिए नयी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, "मसौदा स्वागतयोग्य है क्योंकि पहली बार ई-वाणिज्य व्यापार को मान्यता देने के लिए सरकार एक नीति का प्रारूप लेकर आई है... मसौदे में अनेक अच्छे प्रावधान जोड़े गए हैं लेकिन इसके साथ ही अनेक महत्वपूर्ण विषयों को छोड़ भी दिया गया है जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा, "नीति के मसौदे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के पक्ष को तो ध्यान में रखा गया है, लेकिन घरेलू ई कॉमर्स कंपनियों के बारे में मसौदे में कुछ नहीं कहा गया है, जबकि घरेलू ई-वाणिज्य कंपनियों को भी इस नीति के तहत लाना जरूरी है तभी समान प्रतिस्पर्धा हो सकती है।"खंडेलवाल ने साथ ही कहा कि नीति को लागू करने का सारा दारोमदार सचिवों की स्थायी समिति अथवा उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग को दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह काम एक समिति को करना चाहिए जिसमें जनता के प्रतिनिधि और विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हों।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने नयी राष्ट्रीय ई-वाणिज्य नीति का मसौदा शनिवार को जारी कर दिया। इसमें सीमा-पार डेटा प्रवाह पर रोक के लिए कानूनी एवं तकनीकी ढांचा तैयार करने एवं कंपनियों के लिये संवेदनशील आंकड़ों को स्थानीय तौर पर संग्रहण, प्रसंस्करण करने और उन्हें दूसरे देशों में रखने को लेकर कई तरह की शर्तों का प्रावधान किया गया है। मसौदा नीति में कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरणों के जरिए डेटा संग्रह और ई-वाणिज्य मंचों, सोशल मीडिया, सर्च इंजन के जरिए भारत में एकत्रित उपयोगकर्ताओं की जानकारी सहित खास स्रोतों से सीमा-पार आंकड़ों के प्रवाह को प्रतिबंधित करने का आधार तैयार करने के लिए रूपरेखा ढांचा बनाया जाएगा। 42 पृष्ठ के इस मसौदे में ई-वाणिज्य तंत्र के छह व्यापक विषयों - डेटा, अवसंरचना विकास, ई-वाणिज्य प्लेटफॉर्म, विनियमन संबंधी मुद्दों, घरेलू डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने और ई-वाणिज्य के जरिए निर्यात गतिविधियों को बढ़ावा देने- को शामिल किया गया है।

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'राष्ट्रीय ई-वाणिज्य नीति- भारत के विकास के लिए भारतीय डेटा' शीर्षक से जारी मसौदे में कहा गया है, "आज के समय में यह आम धारणा हो गयी है कि डेटा नया ईंधन है। तेल के विपरीत डेटा का प्रवाह एक-दूसरे देश में बिना किसी रोक-टोक के होता है। विदेश में इसे संरक्षित किया जा सकता है या इसका प्रसंस्करण किया जा सकता है और प्रसंस्करण करने वाला सारी अहम जानकारी को अपने पास रख सकता है। इसलिए भारत के डेटा का इस्तेमाल देश के विकास में होना चाहिए और भारतीय नागरिकों एवं कंपनियों को डेटा के मौद्रीकरण का आर्थिक लाभ मिलना चाहिए।" नीति के मसौदे के मुताबिक भारत में किसी संवेदनशील डेटा को एकत्र करने या प्रसंस्कृत करने एवं दूसरे देश में उसे संरक्षित करने वाली कंपनियों को कुछ खास शर्तों का पालन करना होगा। इन शर्तों में कहा गया है कि विदेश में संरक्षित ऐसे किसी भी डेटा को ग्राहक की सहमति के बावजूद भी देश के बाहर किसी अन्य कंपनी के साथ साझा नहीं किया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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