पेटकोक, फर्नेस ऑयल पर प्रतिबंध लागू करने के लिए उद्योगों ने मांगा वक्त
प्रदूषण नियंत्रण के लिए फर्नेस ऑयल और पेट कोक जलाने पर प्रतिबंध लगाने वाले शीर्ष न्यायालय के फैसले को लागू करने के लिए ‘‘यथोचित समय’’ की मांग करने वाली उद्योग समूहों की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने छह नवंबर को सुनवायी करने पर हामी भरी है।
नयी दिल्ली। प्रदूषण नियंत्रण के लिए फर्नेस ऑयल और पेट कोक जलाने पर प्रतिबंध लगाने वाले शीर्ष न्यायालय के फैसले को लागू करने के लिए ‘‘यथोचित समय’’ की मांग करने वाली उद्योग समूहों की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने छह नवंबर को सुनवायी करने पर हामी भरी है। न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि मामले की सुनवायी छह नवंबर को उपयुक्त पीठ करेगी। उद्योग समूह की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि उन्हें न्यायालय के 24 अक्तूबर के आदेश पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन ‘‘इसे लागू करने के लिए यथोचित समय दिया जाना चाहिए।’’
वकील ने बताया कि न्यायालय ने एक नवंबर से फर्नेस ऑयल और पेट कोक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है और कहा है कि आदेश का अनुपालन नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई कर उन्हें बंद भी किया जा सकता है। इससे पहले उच्चतम न्यायालय की ओर से नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकार (ईपीसीए) ने शीर्ष न्यायालय को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि ‘‘एनसीआर में फर्नेस ऑयल और पेट कोक की आपूर्ति, बिक्री और इस्तेमाल पर सख्ती से प्रतिबंध लागू करें।’’ अदालत ने अपने दो मई के आदेश में रेखांकित किया था कि दिल्ली में फर्नेस ऑयल और पेट कोक का प्रयोग प्रतिबंधित है।
न्यायालय पर्यावरणविद् एम. सी. मेहता की ओर से वर्ष 1985 में दायर जनहित याचिका पर सुनवायी कर रहा था। याचिका में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाया गया था।
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