डिफॉल्टर के बैंक खाते से पैसे की वसूली के लिए IRP की मंजूरी जरुरी

IRP approval must for recovering money from defaulter’s bank account

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कहा कि वित्तीय देनदार (बैंक आदि) कारपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया के तहत रखे गए ऋण चूक करने वाले कर्जदार के बैंक खातों से इस दौरान दौरान अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) की मंजूरी के बिना किसी भी तरह की राशि की वसूली नहीं कर सकते हैं।

नयी दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कहा कि वित्तीय देनदार (बैंक आदि) कारपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया के तहत रखे गए ऋण चूक करने वाले कर्जदार के बैंक खातों से इस दौरान दौरान अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) की मंजूरी के बिना किसी भी तरह की राशि की वसूली नहीं कर सकते हैं। एमटेक ऑटो के आईआरपी दिन्नकर टी वेंकटसुब्रमण्यम के खिलाफ इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) को राहत देने से इनकार करते हुए एनसीएलएटी ने कहा कि एक बार अधिस्थगन अवधि घोषित हो जाने पर, वित्तीय संस्थाओं को कारपोरेट ऋणी के खाते के संबंध में "आईआरपी के निर्देशों पर कार्य करना पड़ता है।"

एनसीएलएटी खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश एस जे मुखोपाध्याय ने कहा, "एक बार अधिस्थगन घोषित कर दिया गया तो वित्तीय देनदारों (ऋण देने वालों) और समाधान के लिए अपील करने वाले बैंक को इस बात की अनुमति नहीं है कि वह कर्जदार कंपनी के खाते से अपनी किसी भी बकाया राशि की वसूली अपने आप कर सके" न्यायाधीकरण ने कहा कि दिवाला और दिवालियापन संहिता की धारा 17 (1) (डी) में कहा गया है कि कारपोरेट देनदार के खातों को बनाए रखने वाले वित्तीय संस्थानों को ऐसे खातों के संबंध में आईआरपी के निर्देशों पर कार्य करना पड़ता है और इससे संबंधित सभी सूचनाएं प्रस्तुत करनी होती है।

एनसीएलएटी इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी ) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जो कि कर्ज के तले दबे कलपुर्जा निर्माता कंपनी एमटेक ऑटो के वित्तीय देनदारों में से एक है। कुल कर्ज में आईओबी का हिस्सा 4.08 प्रतिशत है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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