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RBI ने ब्याज दरें घटाईं, आम लोगों को मिली बड़ी राहत
- अंकित सिंह
- जून 6, 2019 12:06
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रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद आम लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दर 0.25 अंक घटाकर छह प्रतिशत की जगह 5.75 प्रतिशत कर दिया है। रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत जबकि उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत की गयी है। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ से ‘नरम’ किया।
RBI has been decided to set up a Committee involving all stakeholders, under the chairmanship of CEO Indian Banks’ Association (IBA), to examine the entire gamut of ATM charges and fees. Committee to submit its recommendations within two months of its first meeting. pic.twitter.com/C91rvikT3P
— ANI (@ANI) June 6, 2019
Inflation outlook at 3.0%-3.1% in first half of 2019-20 and 3.4%-3.7% in second half of the year. https://t.co/2UqHRNDFIs
— ANI (@ANI) June 6, 2019
RBI cuts repo rate by 25 basis points, now at 5.75% from 6%. Reverse repo rate and bank rate adjusted at 5.50 and 6.0 per cent respectively. pic.twitter.com/greB9paac3
— ANI (@ANI) June 6, 2019
रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद आम लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ने 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति 3-3.10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। पिछली समीक्षा में यह अनुमान 2.90-3.0 प्रतिशत का था। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्य रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती और नीतिगत रुख में बदलाव के पक्ष में रहे है।
WATCH: RBI Governor Shaktikanta Das addresses the media in Mumbai https://t.co/qnYv69newC
— ANI (@ANI) June 6, 2019
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बोले, अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की हो रही कोशिश
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 26, 2021 18:01
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा,“मेरी कामना है कि आप सब पूरी लगन और समर्पण के साथ अपने निर्धारित लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ते जाइए। हमारी सरकार की विभिन्न योजनाओं में पूरी भागीदारी निभाइए। आज हम सबको मिलकर नवा छत्तीसगढ़ गढ़ना है।”
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अर्थव्यवस्था के मेरूदंड को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है और दोहराया कि यदि नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने की कोशिश होगी तब राज्य सरकार इस संयंत्र को खरीदने के लिए तैयार है। बघेल ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के लालबाग मैदान में ध्वजारोहण के बाद प्रदेश वासियों को संबोधित किया। मुख्यमंत्री ने कहा, “सार्वजनिक उपक्रमों को भारत की अर्थव्यवस्था का मेरूदंड बनाया गया था। विडम्बना है कि मेरूदंड को कमजोर करने की कोशिशें हो रही हैं। हमने छत्तीसगढ़ विधानसभा के मंच पर यह शासकीय संकल्प लिया है कि यदि बस्तर में बनाए जा रहे नगरनार इस्पात संयंत्र को निजी हाथों में बेचने की कोशिश की जाती है तो छत्तीसगढ़ सरकार इस संयंत्र को खरीदने को तैयार है। आज मैं गणतंत्र दिवस के अवसर पर आप सब लोगों के सामने अपना यह संकल्प दोहराता हूं।”
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उन्होंने कहा कि इस तरह हम आपके जल-जंगल-जमीन के साथ ही आपके संसाधनों और अवसरों की रक्षा के लिए भी संकल्पबद्ध हैं। बघेल ने कहा,“मेरी कामना है कि आप सब पूरी लगन और समर्पण के साथ अपने निर्धारित लक्ष्यों की ओर आगे बढ़ते जाइए। हमारी सरकार की विभिन्न योजनाओं में पूरी भागीदारी निभाइए। आज हम सबको मिलकर नवा छत्तीसगढ़ गढ़ना है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की एकता, अखंडता के साथ राज्य में संविधान प्रदत्त नागरिक अधिकारों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि समाज के किसी भी वर्ग पर यदि कहीं से कोई भी संकट आता है तो प्रदेश सरकार उनके साथ चट्टान की तरह खड़ी मिलेगी।
उन्होंने कहा कि किसानों, ग्रामीणों तथा आम जनता का सबसे बड़ा संरक्षक हमारा संविधान है, लेकिन अगर कोई नया कानून इस व्यवस्था में आड़े आता है तो ऐसी चुनौती से निपटना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, जिसे उनकी सरकार ने छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक के माध्यम से निभाया। मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं आज फिर कहना चाहता हूं कि संविधान ने जो संरक्षण आपको दिया है, उसके रास्ते में आने वाली बाधाओं के निदान के लिए हम हमेशा तत्पर रहेंगे, चाहे इसके लिए किसी भी स्तर पर संघर्ष करना पड़े।” उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने बीते दो वर्षों में विशेषकर जरूरतमंद तबकों के हक और हित में बड़े कदम उठाए हैं। “गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की बहुतायत को देखते हुए, उन्हें राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने की चुनौती स्वीकार की। किसानों, ग्रामीणों, भूमिहीनों के साथ आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को न्याय दिलाने का वादा पूरा करने के लिए हम हर चुनौती का सामना करने को तैयार हैं।”
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मुख्यमंत्री राज्य में जारी योजनाओं को लेकर कहा कि किसानों, ग्रामीणों, भूमिहीनों के साथ आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को न्याय दिलाने का वादा पूरा करने के लिए हम हर चुनौती का सामना करने को तैयार हैं। बघेल ने कहा कि ‘हाफ बिजली बिल योजना’ से अब तक 38 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को एक हजार 336 करोड़ रूपए की राहत दी गई है। उन्होंने कहा कि सेहत के साथ सुपोषण का गहरा नाता होता है। हमने सार्वभौम पीडीएस योजना लागू करके राज्य की 97 प्रतिशत आबादी को पोषण सुरक्षा दी है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से एक वर्ष में 99 हजार बच्चों का कुपोषण मुक्त तथा 20 हजार महिलाओं का एनीमिया मुक्त होना एक बड़ी उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के बाहर ‘छत्तीसगढ़ मॉडल’ की खूब चर्चा होती है। उन्होंने कहा, “जगजाहिर है कि हमें विराट जनादेश तो मिला लेकिन हमारी सरकार को विरासत में खाली-खजाना मिला था। लोगों को न्याय का इंतजार था, इसलिए तात्कालिक राहत के साथ दूरगामी विकास के कदम भी उठाने थे। हमने इस स्थिति का मुकाबला गांधी-नेहरू-शास्त्री-पटेल-आजाद-डॉक्टर आंबेडकर जैसे मनीषियों की वैचारिक विरासत से किया।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सादगी, सरलता, जन विश्वास और राज्य के संसाधनों के सम्मान और मूल्य संवंर्धन को मूल मंत्र बनाया।
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मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि आप सबने कोरोना संकट के दौर में न केवल खुद को संभाला, अपने संपर्क में आने वाले लोगों को संभाला बल्कि राज्य को भी संभाल लिया। लाखों प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित व सफल घर वापसी हुई। उन्हें छत्तीसगढ़ महतारी के आंचल में अपनी नई जिंदगी शुरू करने का अवसर मिला। कोरोना के वैक्सीन की खोज करने वाले महान वैज्ञानिकों को नमन करते हुए मैं आह्वान करता हूं कि समस्त प्रदेशवासी टीकाकरण के अभियान को सफल बनाने में भी सहयोग प्रदान करें।
चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में आ सकती है आठ फीसदी की गिरावट: फिक्की सर्वेक्षण
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 26, 2021 16:39
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फिक्की ने सर्वेक्षण के परिणामों में कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र ने महामारी के दौरान बढ़िया लचीलापन प्रदर्शित किया है। रबी की अच्छी बुवाई, अच्छे मानसून, जलाशयों के उच्च स्तर और ट्रैक्टरों की बिक्री में मजबूत वृद्धि से कृषि क्षेत्र में तेजी के संकेत मिलते हैं।’’
नयी दिल्ली। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वित्त वर्ष 2020-21 में आठ प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। उद्योग व वाणिज्य संगठन फिक्की के आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण के नये दौर में यह बात सामने आयी है। फिक्की ने कहा कि सर्वेक्षण जनवरी में किया गया है। इसके परिणाम उद्योग जगत, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष अर्थशास्त्रियों की प्रतिक्रियाओं पर आधारित हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां वित्त वर्ष 2020-21 में 3.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज कर सकती हैं।
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फिक्की ने सर्वेक्षण के परिणामों में कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र ने महामारी के दौरान बढ़िया लचीलापन प्रदर्शित किया है। रबी की अच्छी बुवाई, अच्छे मानसून, जलाशयों के उच्च स्तर और ट्रैक्टरों की बिक्री में मजबूत वृद्धि से कृषि क्षेत्र में तेजी के संकेत मिलते हैं।’’ हालांकि महामारी के चलते सर्वाधिक प्रभावित उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों में 2020-21 के दौरान क्रमश: 10 प्रतिशत और 9.2 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है।
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सर्वे में कहा गया कि औद्योगिक क्षेत्र का पुनरुद्धार गति पकड़ रहा है, लेकिन वृद्धि अभी व्यापक नहीं है। लॉकडाउन के दौरान क्षीण पड़ जाने के बाद त्योहारी सत्र में उपभोग संबंधी गतिविधियां कुछ तेज हुईं, लेकिन इसका बने रहना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा पर्यटन, आतिथ्य, मनोरंजन, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र, जिनमें संपर्क की आवश्यकता होती है, अभी भी सामान्य स्थिति से दूर हैं। सर्वेक्षण में शामिल भागीदारों ने अनुमान व्यक्त किया कि 2020-21 की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। चौथी तिमाही में वृद्धि सकारात्मक राह पर लौट सकती है और जीडीपी 0.5 प्रतिशत बढ़ सकती है।
लॉकडाउन के चलते भारत की वृद्धि दर में 2020 के दौरान 9.6 फीसदी संकुचन का अनुमान: संयुक्त राष्ट्र
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 26, 2021 12:00
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रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था कैलेंडर वर्ष 2020 में 9.6 प्रतिशत की दर से घटेगी। इस दौरान कोरोना वायरस महामारी को काबू में करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से घरेलू खपत में कमी आई है।
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2021 में 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जबकि कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के चलते 2020 में इसमें 9.6 प्रतिशत संकुचन होने का अनुमान है। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (यूएन डीईएसए) द्वारा तैयार रिपोर्ट - विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं 2021 में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते शताब्दी के सबसे बड़े संकट से प्रभावित हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक वृद्धि 2021 में 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके साथ ही कैलेंडर वर्ष 2021 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से वृद्धि हासिल करने वाला देश होगा। इस दौरान चीन की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
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रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था कैलेंडर वर्ष 2020 में 9.6 प्रतिशत की दर से घटेगी। इस दौरान कोरोना वायरस महामारी को काबू में करने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से घरेलू खपत में कमी आई है। पिछले साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 4.3 प्रतिशत की कमी हुई, जो 2009 के संकट के मुकाबले ढाई गुना से अधिक गिरावट है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में 4.7 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है, जो 2020 के नुकसान को कुछ कम करेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के विनाशकारी सामाजिक-आर्थिक प्रभाव को आने वाले वर्षों में महसूस किया जाएगा।

