सेबी ने संदिग्ध मुखौटा कंपनियों से फारेंसिक आडिट में सहयोग करने को कहा

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[email protected] । Oct 30 2018 5:10PM

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एक दर्जन से ज्यादा संदिग्ध मुखौटा कंपनियों से तय समयसीमा के भीतर खातों का फारेंसिक आडिट कराने में सहयोग देने के लिये कहा है।

नयी दिल्ली। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एक दर्जन से ज्यादा संदिग्ध मुखौटा कंपनियों से तय समयसीमा के भीतर खातों का फारेंसिक आडिट कराने में सहयोग देने के लिये कहा है। नियामक ने कहा है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो इन कंपनियों के खिलाफ सख्त कारोबारी प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं। बंबई शेयर बाजार (बीएसई) की वेबसाइट पर सोमवार को जारी किये गये सर्कुलर में सेबी ने कम से कम 13 कंपनियों को सलाह दी है कि वह आडिट कंपनियों के साथ सहयोग करें ताकि फारेंसिक आडिट को तय समय सीमा के भीतर पूरा किया जा सके। इन कंपनियों में आधार वेंचर्स इंडिया, अल्का इंडिया, एलाइड कंप्यूटर्स इंटरनेशनल (एशिया) लिमिटेड, ब्ल्यू सर्कल सविर्सिज, डेसिलियोन फाइनेंस, आईकेएफ टैक्नालाजीज, प्रभाव इंडस्ट्रीज, एस टी सविर्सिज, सिंगुइने मीडिया, सिंटिल्ला कमर्शियल एण्ड क्रेडिट, सिल्वर पांइट इंफ्राटेक, प्रीमियत कैपिटल मार्किअ एण्ड इन्वेस्टमेंट्स और विनी कमर्शियल एण्ड फिसकल सविर्सिज शामिल हैं।

कंपनियों का फारेंसिक आडिट स्वतंत्र लेखापरीक्षकों द्वारा किया जा रहा है। उनकी नियुक्ति सेबी के निर्देश पर शेयर बाजारों ने की है।इन कंपनियों की साख और उनकी वास्तविकता के सत्यापन के लिये कंपनियों के स्वतंत्र निदेशकों को उनका फारेंसिक आडिट कराने का अधिकार है। मुखौटा कंपनियां मुख्यत: ऐसी कंपनियां हैं जिनका इस्तेमाल काले अवैध धन को सफेद करने के लिये इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि कंपनी कानून के तहत ‘मुखौटा कंपनी’ जैसा कोई शब्द शामिल नहीं किया गया है। नियामक ने कहा है कि यदि कोई कंपनी सहयोग नहीं करती है तो उसके खलाफ कठोर कारवाई की शुरू की जायेगी। सेबी के मुताबिक इन कंपनियों को आडिट फर्मों को जरूरी दस्तावेज और जानकारी उपलब्ध कराने के लिये कई मौके दिये जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद ये कंपनियां एक्सचेंज का अनुपालन करने में नाकाम रहीं हैं। 

सेबी के मुताबिक यदि ये कंपनियां दस दिन के भीतर आडिट कंपनियों को जरूरी जानकारी उपलब्ध नहीं कराती हैं और लगातार असहयोग जारी रखती हैं तो उसके बाद इन कंपनियों की प्रतिभूतियों को ‘छठे स्तर’ पर वापस ला दिया जायेगा जिसमें ग्रेडेड निगरानी उपाय शुरू हो जायेंगे। इन निगरानी उपायों के तहत कंपनी की प्रतिभूतियों में कारोबार पर माह में एक बार अतिरिक्त जमा के साथ प्रतिबंध लगाया जाता है। 

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