बिजली क्षेत्र में सब्सिडी वितरण कंपनियों की लागत पर नहीं हो: कांत

Subsidy In Power Sector Should Not Be At The Cost Of Distribution: Kant

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने आज कहा कि वितरण कंपनियों की लागत पर सब्सिडी देने की व्यवस्था खत्म हो तथा लक्षित उपभोक्तओं को उनके खाते में सब्सिडी का अंतरण सीधे किया जाए।

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने बिजली सब्सिडी नीति में आमूल चूल बदलाव पर बल देते हुए आज कहा कि वितरण कंपनियों की लागत पर सब्सिडी देने की व्यवस्था खत्म हो तथा लक्षित उपभोक्तओं को उनके खाते में सब्सिडी का अंतरण सीधे किया जाए। उन्होंने उपभोक्ताओं के एक वर्ग को सस्ती बिजली देने के लिए दूसरे वर्ग से ऊंचा मूल्य वसूलने की क्रास सब्सिडी व्यवस्था भी बंद करने पर बल दिया। उन्होंने सब्सिडी को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये दिये जाने और उसे आधार से जोड़ने तथा बजली वितरण में तकनीकी व वाणिज्यक नुकसान रोकने के लिए फीडर लाइनों की निगरानी सख्त करने की भी आवश्यकता बतायी।

यहां बिजली उद्योग के सम्मेलन ‘इंडिया एनर्जी फोरम’ के कार्यक्रम में कांत ने कहा, ‘‘बिजली क्षेत्र की मजबूती के लिए वितरण कंपनियों का मजबूत होना जरूरी है। इसके लिये जरूरी है कि इसमें निजी कंपनियों को लाया जाए।’’ उन्होंने यह भी कहा कि सतत रूप से 9 से 10 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने में बिजली क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने कहा, ‘‘राज्यों में क्रास सब्सिडी नहीं हो और साथ ही जो भी सब्सिडी दी जा रही है, वह बिजली वितरण कंपनियों की लागत पर न हो। बिजली क्षेत्र में जो सब्सिडी दी जा रही है उसका हस्तांतरण डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) के जरिये किये जाने और उसे आधार से जोड़ने की जरूरत है।’’

उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में पायलट परियोजना गोवा में चलायी जा रही है। उन्होंने कहा कि देश में बिजली वितरण की बेहतर व्यवस्था और सभी घरों को विद्युत पहुंचाने के लिये फीडरों पर नजर रखने की जरूरत है और इसके बिना हम उदय योजना के जरिये भी वितरण नुकसान को कम नहीं कर सकते। कांत ने यह भी कहा कि उदय योजना के बावजूद वितरण कंपनियों का तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान (एटी एंड सी) नहीं सुधरा है बल्कि यह और बिगड़ा है और इसके लिये फीडर पर नजर रखने की जरूरत है। उदय बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय रूप से पटरी पर लाने की योजना है। उन्होंने कहा, ‘‘उदय योजना की सफलता के लिये जरूरी है कि फीडरों पर करीबी नजर रखी जाए। गांवों में 1–22 लाख फीडर हैं लेकिन हम केवल चार हजार पर ही नजर रख पा रहे हैं। इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में 32,168 फीडर में से केवल 80 प्रतिशत पर ही नजर रखी जा रही है।’’

कांत ने कहा कि शहरों और उद्योग को सातों दिन 24 घंटे बिजली देने के लिये फीडर पर नजर रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सभी गांवों और घरों तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से जो गांव अब बचे हैं, वे सभी कठिन भौगोलिक क्षेत्र में हैं और इस पर काम जारी है। बिजली मंत्रालय के गर्व डैशबोर्ड के अनुसार कुल 18,452 गांवों में 15,022 गांवों में बिजली पहुंचायी जा चुकी है जबकि 1035 गांव ऐसे हैं जहां कोई नहीं रहता। शेष 2395 गांवों में बिजली पहुंचाने का काम जारी है। सरकार ने इस साल दिसंबर तक यह लक्ष्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है। वहीं लगभग चार करोड़ बिजली से वंचित परिवार को दिसंबर 2018 तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

नीति आयोग के सीईओ ने नये दक्ष बिजली संयंत्रों पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘98,000 मेगावाट के बिजली संयंत्र पेटकोक, फर्नेस आयल और डीजल पर चल रहे हैं। इन ईंधन के उपयोग पर अंकुश लगाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया तो उच्चतम न्यायालय एक दिन काम करेगा। उन्होंने बिजली क्षेत्र में 1–8 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति फंसे होने का भी जिक्र किया और कहा कि अगर इस दिशा में कदम नहीं उठाये गये तो यह पांच लाख करोड़ रुपये पहुंच सकता है। पारेषण क्षेत्र में उन्होंने कृषि फीडर को अलग करने पर जोर दिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़