अश्विनी वैष्णव बोले- प्रौद्योगिकी विकास के लिए नियामकीय ढांचे में बदलाव की जरूरत

वैष्णव ने टीडीसैट की संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम उद्योग के साथ एक भागीदार के रूप में बातचीत करना चाहते हैं, किसी ‘विरोधी’ की तरह नहीं। उन्होंने कहा कि प्रणाली में सभी उलझे हुए हैं और कुछ ऐसे लोग जिनके नैतिक मूल्य मजबूत नहीं हैं, उन्होंने पूर्व में पूरे दूरसंचार क्षेत्र को बदनाम किया है।
उन्होंने कहा कि अभी तक अधिक कुछ नहीं किया गया है। हमें प्रौद्योगिकी के विकास के लिए काम करते रहने की जरूरत है। अधिक से अधिक स्टार्टअप जोड़ने की जरूरत है क्योंकि यह ऐसा बाजार है जहां भविष्य के उद्यमी बनेंगे। वैष्णव ने कहा, ‘‘जब 2जी और 3जी की बात थी, तो हम पिछड़ गए थे। हम 4जी को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन 5जी और 6जी के मामले में हमें आगे रहना होगा। ऐसा नहीं होता है, तो यह कहने का क्या लाभ होगा कि हम ऐसे राष्ट्र में रहते हैं जो प्रतिभाओं का देश है।’’ ‘‘एक प्रतिभाली देश को इस तरह से सोचना चाहिए, जिससे वह अगुवाई कर सके, लक्ष्य तय कर सके और पुरी दुनिया के लिए दिशा निर्धारित कर सके।’’Addressed TDSAT seminar on ‘25 years of the TRAI Act, 1997’. pic.twitter.com/kZsKfTpN7Z
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 13, 2022
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उन्होंने बताया कि आईआईटी-चेन्नई, आईआईटी-कानपुर, आईआईटी-बंबई और आईआईएससी-बेंगलूर सहित 11 संस्थानों के गठजोड़ ने 14 महीने में सिर्फ तीन करोड़ डॉलर के खर्च पर 4जी प्रौद्योगिकी तैयार की है। यह दूरसंचार क्षेत्र की बड़ी कंपनियों द्वारा इस प्रौद्योगिकी के विकास पर हुए खर्च का बहुत छोटा हिस्सा है। वैष्णव ने कहा कि अब 35 भारतीय दूरसंचार कंपनियां अपने उत्पादों को विदेशी बाजारों में निर्यात करने की तैयारी में हैं। भविष्य की 5जी और 6जी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ के तहत सबसे महत्वपूर्ण अध्ययन समूहों की अगुवाई आज भारतीय प्रतिनिधि कर रहे हैं।
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