सेनाध्यक्ष की चेतावनी को कश्मीर में बनाया जा रहा मुद्दा

गुस्साए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने उन तत्वों को धमकी भरी चेतावनी भी जारी कर दी जो पिछले करीब एक साल से कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में रोड़े पैदा कर रहे हैं।

क्या अब सेना के जवान कश्मीर में विरोध प्रदर्शन करने वालों तथा पत्थरबाजों पर सीधे गोली चलाते हुए कानून-व्यवस्था को भी संभालेंगे। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान के बाद कश्मीर में यह सबसे बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। हालांकि उनके बयान ने कश्मीर में बवाल भी खड़ा कर दिया है क्योंकि कश्मीरियों पर सीधे गोली चलाने की अप्रत्यक्ष धमकी और चेतावनी के बाद कई राजनीतिक दल उनके विरोध में उठ खड़े हुए हैं।

तीन दिनों के भीतर सेना के 6 जवानों की आतंकियों से हुई मुठभेड़ों में हुई मौतों ने सेना को झकझौर कर रख दिया। यही कारण था कि गुस्साए सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने उन तत्वों को धमकी भरी चेतावनी भी जारी कर दी जो पिछले करीब एक साल से कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में रोड़े पैदा कर रहे हैं। सेना प्रमुख की चेतावनी कहती थी कि आतंकवाद विरोधी अभियानों में रोड़ा अटकाने वालों के साथ ही आईएसआईएस और पाकिस्तानी झंडे लहराने वालों के साथ सख्ती के साथ निपटा जाएगा।

रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल ऐसे तत्वों से निपटने में नाकाम हो रहे हैं जो मुठभेड़ स्थलों पर विरोध प्रदर्शन तथा पथराव कर आतंकियों को भागने में अप्रत्यक्ष तौर पर मदद कर रहे हैं। याद रहे मुठभेड़ स्थलों पर पथराव करके सेना के जवानों का ध्यान बंटा कर तथा उनके काम में रोड़ा अटकाने से सेना के कई जवान मारे जा चुके हैं और दर्जनों खूंखार आतंकी घेरे से भाग निकलने में कामयाब हो चुके हैं।

यह आतंकियों तथा आईएसआई की नई रणनीति है जिसे सीमा पार से मिले निर्देशों के बाद पिछले साल के आरंभ से ही पत्थरबाज अपना रहे हैं। मुठभेड़ों की खबर मिलते ही पत्थरबाज एकत्र होकर अभियान में बाधा पहुंचाने लगते हैं। पहले यही समझा जाता रहा था कि कश्मीरियों द्वारा यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है पर जब सच खुल कर सामने आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

सच सामने आने के बाद राज्य पुलिस और केंद्रीस सुरक्षा बलों की सहायता के अतिरिक्त धारा 144 का भी सहारा लिया गया पर परिस्थितियों में कोई अंतर नहीं आया। नतीजा सामने था। आतंकियों को भागने में पत्थरबाज मदद करते रहे और सेना के जवानों को आतंकियों की गोलियों के साथ ही पथराव से भी जूझना पड़ा। 

अब सेनाधिकारी कहते हैं कि वे इस दोहरे मोर्चे से तंग आ गए हैं। अभी तक सेना पत्थरबाजों के खिलाफ कोई सीधी कार्रवाई नहीं कर रही थी लेकिन अब सेना प्रमुख की चेतावनी और धमकी के बाद यह लगने लगा है कि आतंकियों के साथ होने वाली मुठभेड़ें दोहरे मोर्चे पर खूनी साबित इसलिए हो सकती हैं क्योंकि सेना के जवान पत्थरबाजों पर भी सीधी गोलियां दाग सकते हैं। एक सेनाधिकारी के बकौल, जवानों को दुश्मन पर सीधी गोली चलाने का प्रशिक्षण दिया गया होता है और ऐसे में जबकि राज्य पुलिस तथा अन्य केंद्रीय सुरक्षा बल प्रदर्शनकारियों व पत्थरबाजों को रोकने में नाकाम हो रहे हैं, तो सेना के साथ अब यही एक विकल्प बचा हुआ है।

इतना जरूर था कि सेना प्रमुख द्वारा कश्मीरी युवाओं को चेतावनी दिए जाने के बाद कश्मीर में राजनीतिक तौर पर भी बवाल मचा हुआ है। सबसे बड़े विपक्षी दल नेशनल कांफ्रेंस का कड़ा जवाब आया है। नेकां ने कहा है कि चेतावनियों और धमकियों की जगह कश्मीर के भटके हुए युवाओं के साथ सरकार को राजनीतिक तौर पर घुलना-मिलना होगा। नेकां के नेता जुनैद मट्टू ने कहा है कि मुठभेड़ स्थलों की तरफ लोगों की भीड़ और पथराव चिंता का विषय है। उनके साथ राजनीतिक तौर पर निबटा जाना चाहिए न कि उन्हें कड़ी कार्रवाई की धमकियां और चेतावनियां दी जानी चाहिएं। नेकां प्रवक्ता ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि नई दिल्ली कश्मीर के भटके हुए युवाओं को सेना प्रमुख के द्वारा सन्देश भिजवा रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में भटके हुए युवाओं के साथ धमकियों से नहीं निपटा जा सकता है।

- सुरेश एस डुग्गर

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