यह नोटबंदी या मोदी की नहीं, देवेंद्र फड़नवीस की जीत है

यह जीत वास्तव में देवेंद्र फड़नवीस की है। यह फड़नवीस की चतुराई है कि उन्होंने अपना सेहरा मोदी के सिर पर बांध दिया। देश की राजनीति का चरित्र ही कुछ ऐसा हो गया है। नेताओं की स्वायत्तता समाप्त हो गई है।

महाराष्ट्र के स्थानीय चुनावों में कौन जीता, यह भी कोई सवाल है? सबको पता है कि कौन जीता? मुंबई और ठाने में शिवसेना, बाकी सभी आठों स्थानों पर भाजपा की विजय हुई है? मुंबई में भी भाजपा की ताकत तीन गुना बढ़ गई है। फिर भी यह सवाल कि कौन जीता? क्यों? इसलिए कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस अपूर्व और अद्भुत जीत का श्रेय खुद को नहीं दिया है। तो किस को दिया है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया है। उनकी नोटबंदी की नीतियों को दिया है।

यह श्रेय इस दृष्टि से तो ठीक है कि इन चुनावों में यदि भाजपा हार जाती तो कई अखबार और टीवी वाले तथा विरोधी नेता सारा ठीकरा मोदी के सिर फोड़ देते। जब हार का ठीकरा मोदी के सिर तो जीत का सेहरा मोदी के सिर क्यों नहीं?

लेकिन असलियत क्या है? यह जीत वास्तव में देवेंद्र फड़नवीस की है। यह फड़नवीस की चतुराई है कि उन्होंने अपना सेहरा मोदी के सिर पर बांध दिया। देश की राजनीति का चरित्र ही कुछ ऐसा हो गया है। नेताओं की स्वायत्तता समाप्त हो गई है। वे पार्टियों नहीं, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के अफसर बन गए हैं। यों फड़नवीस चतुर, सक्षम और उदीयमान नेता हैं। उनमें देश के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं भी छिपी हुई हैं। वे जो कहते हैं, वह करते हैं।

उनके मर्यादित व्यक्तित्व और कर्मण्य चरित्र के कारण तो यह विजय हुई ही है, इसके साथ-साथ एक बड़ा कारण यह भी है कि महाराष्ट्र के सभी चुनावी जिलों में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस से दल-बदलकर आए नेताओं ने अपनी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया। तो भाजपा को जीतना ही था। यह वैसा ही हुआ, जैसा कि असम में हुआ। इसे मोदी की जीत कैसे कहा जा सकता है?

अरुण जेटली का यह कहना कि यह नोटबंदी की जीत है, यह भी हास्यास्पद है। स्थानीय चुनावों के मुद्दे भी स्थानीय होते हैं, नेता भी स्थानीय ही होते हैं। उन्हें देखकर ही लोग वोट देते हैं। लोगों का पता है कि पुणे, नासिक, और सांगली के नगर-निकायों को चलाने के लिए मोदी और जेटली दिल्ली छोड़कर वहां नहीं आने वाले हैं। इन चुनावों ने देवेंद्र फड़नवीस का कद भाजपा के मुख्यमंत्रियों में थोड़ा ऊंचा कर दिया है। क्या यह तथ्य मोदी के लिए प्रसन्नता का विषय हो सकता है?

डॉ. वेदप्रताव वैदिक

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