दिल्ली की हवा का जो हाल है वह देशभर में भी देखने को मिल सकता है

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सार्वजनिक यातायात को सुगम और सस्ता बनाने की दिशा में पहल के साथ सड़कों पर साइकिल ट्रैक का निर्माण किया जाना चाहिए। शहरों में कार केवल प्रदूषण का कारण ही नहीं बल्कि अतिक्रमण का कारक भी है।

दिल्लीवासियों के लिए वायु प्रदूषण की विकराल होती समस्या गले की फांस बनती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण का स्तर समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 381 के साथ बहुत ही खराब श्रेणी में पहुंच गया है। सर्दियों में शुष्क व नम होते मौसम व वातावरण में छाई धुंध की चादर के कारण लोगों के लिए सांस लेना दूभर होता जा रहा है। वहीं वाहन चालकों को वाहन चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के इन दमघोंटू हालातों को देखकर यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में यदि पर्यावरण का इसी गति से दोहन होता रहा तो पूरे देश को इस स्थिति से गुजरना पड़ सकता है। लेकिन सवाल है कि क्या केवल सरकार अपने स्तर पर इस समस्या से निजात पा सकती है? शायद नहीं! इसलिए आवश्यकता है जन सहयोग व सहभागिता की, जिसके माध्यम से एक स्वच्छ वातावरण का निर्माण किया जा सके।

आज जिस तरह से खराब वायु की स्थिति को देखते हुए देशी व विदेशी कंपनियां बिजनेस को एक नया रूप देने के लिए दिन प्रतिदिन बाजार में नए एयर प्यूरीफायर लांच कर रही हैं जिनकी अनुमानित कीमत तीन सौ तीन लाख तक है। भारत जैसी एक बड़ी आबादी अभी तक रोजी रोटी व अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रही है, क्या वह शुद्ध हवा के लिए इन उपकरण को खरीद पाएगी ? किसी भी शहर की ह्यूमन डेमोग्राफी उठाकर देखें तो ज्यादातर आबादी कामगारों की होती है। ऐसे में क्या सरकार उन्हें स्वच्छ हवा की उपलब्धि सुनिश्चित करवा पाएगी ! अभी तो मुश्किल प्रतीत होता है। ऐसे में जो व्यक्ति धूम्रपान नहीं करता फिर भी वह धूम्रपान की श्रेणी में आएगा। इसके पीछे अधिकाधिक कारणों को बताया जा रहा है। उसी में से एक बढ़ता निजी वाहन का प्रयोग या सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का बेहतर ढांचा ना होना और जंगलों का कंक्रीट में परिवर्तन होना व आसपास के राज्यों में पराली का जलाना है। अन्य भी कारण होंगे लेकिन उन पर शोध करने की बजाय हमें जमीनी स्तर पर कुछ करना होगा। क्या किया जा सकता है ? क्या पेड़ लगाए जा सकते हैं ? क्या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग किया जा सकता है ? 

इसके अलावा जीवाश्म ईंधनों पर से निर्भरता कम कर गैर-परंपरागत, ग्रीन-क्लीन ईंधन विकल्प को अपनाना होगा। फसलों के अवशेषों के निस्तारण हेतु कोई साझा प्रयास किया जाना आवश्यक है। पदार्थ, गैर जैव-अपक्षय जैसे प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना होगा। सार्वजनिक यातायात को सुगम और सस्ता बनाने की दिशा में पहल के साथ सड़कों पर साइकिल ट्रैक का निर्माण किया जाना चाहिए। शहरों में कार केवल प्रदूषण का कारण ही नहीं बल्कि अतिक्रमण का कारक भी है। लोगों के पास वाहनों को रखने के लिए जगह नहीं होती और वे वाहनों को सड़कों के किनारे पार्क करते हैं जिससे सड़कों पर यातायात अवरुद्ध होता है और जाम लगता है। वाहनों की नियमित सर्विस, टायरों में सही हवा का दबाव वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक होते हैं। साथ ही चाइना, लंदन, टोक्यो, वाशिंगटन सहित विकसित देशों के सहयोग व टेक्नोलॉजी से कल को सुरक्षित करना होगा। पिछले साल चाइना ने इस दिशा में एक शानदार प्रयोग किया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बीजिंग का दौरा किया तो वहां वायु प्रदूषण को सुधारने के लिए टेक्नोलॉजी के प्रयोग के माध्यम से वातावरण में वाटर कैनन के जरिए पानी की बूंदों की बौछार कर वातावरण को साफ किया। इसके अलावा स्मॉग पुलिस का गठन किया गया। जो नियम तोड़ने वालों पर एक्शन लेगी। ब्लू, यलो, ऑरेंज और रेड कलर का कोड अलर्ट जारी किया, जो कि प्रदूषण के अलग-अलग स्तर को दर्शाता है। ऐसे ही भारत को भी कारगर कदम उठाने होंगे।

-देवेन्द्रराज सुथार

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