इसरो ने बनायी अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की नयी पहचान

एक समय था जब दुनिया के देशों द्वारा उपग्रह किराए पर लिए जाते थे। किराए पर लिए जाने वाले उपग्रहों पर अधिक खर्चा होने के कारण अंतरिक्ष में अपने स्वयं के उपग्रह स्थापित करने पर बल दिया जाने लगा।

वाकई देश के हरेक नागरिक की छाती 56 इंची हो गई है। होगी भी क्यों नहीं, यह वाकई देश के प्रत्येक नागरिक के लिए गर्व करने का अवसर है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसधान संस्थान (इसरो) ने एक साथ 104 उपग्रहों का अंतरिक्ष में सफल प्रक्षेपण कर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया गया है। इसरो ने एक दो नहीं, दस−बीस भी नहीं, सौ−पचास भी नहीं पूरे 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण कर विश्व रिकार्ड बनाया है। अब तक एक साथ सर्वाधिक 37 उपग्रहों के प्रक्षेपण का विश्व रिकार्ड रूस के नाम था लेकिन इसरो ने उससे कई गुणा ज्यादा उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष में कामयाबी के नए झंडे गाड दिए हैं।

पिछले जून में ही इसरो ने एक साथ 23 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया था। अमेरिका के नाम 29 उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित करने का रेकार्ड है। उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में भारत की यह सबसे ऊँची और सबसे बड़ी कामयाबी की उड़ान है। भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान पोलर सेटेलाईट लांच वेहिकल (पीएसएलवी) ने अन्य देशों के 101 व भारत के तीन उपग्रहों का बिना किसी व्यवधान या बाधा के सफल प्रक्षेपण कर उपग्रह प्रक्षेपण में भारतीय वैज्ञानिकों की महारत को सिद्ध कर दिया है। असल में इसरो के वैज्ञानिकों ने उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में व्यावसायिक विशेषज्ञता हासिल कर ली है। इसरो का यह 39वां मिशन है। इसरो के केवल एक पहले अभियान को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी प्रक्षेपणों ने कामयाबी के झंडे गाड़े हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसरो की इस कामयाबी को पूरे देश के लिए गौरवान्वित करने वाला बताते हुए अभियान से जुड़े वैज्ञानिकों को बधाई दी है।

एक समय था जब दुनिया के देशों द्वारा उपग्रह किराए पर लिए जाते थे। किराए पर लिए जाने वाले उपग्रहों पर अधिक खर्चा होने के कारण अंतरिक्ष में अपने स्वयं के उपग्रह स्थापित करने पर बल दिया जाने लगा, पर इसके लिए सबसे बड़ी समस्या अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान की रही है। पर भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने उपग्रहों के सफल दोष रहित प्रक्षेपण और निश्चित स्थान पर उपग्रह की स्थापना में महारत हासिल की है। विशेषज्ञ देशों द्वारा तकनीकी सहयोग प्राप्त नहीं होने के बाद भी भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने प्रयासों से पीएसएलवी यान विकसित किया और सफलता को इसी से आंका जा सकता है कि इसरो के प्रक्षेपण पूरी तरह से सफल रहे हैं। दूसरे देश उपग्रह प्रक्षेपण के लिए भारत को प्राथमिकता देते हैं। इसका बड़ा कारण यह है कि उपग्रह प्रक्षेपण में भारत की महारथ के साथ ही अन्य देशों की तुलना में लागत कई गुणा कम है। भारत में उपग्रह प्रक्षेपण की लागत यही कोई 100 करोड़ रुपये आती है जबकि जापान, अमेरिका, चीन आदि में यही लागत 6692 करोड़ के आसपास पहुंचती है यही कारण है कि अमेरिका सहित दुनिया के अधिकांश देश अपने उपग्रहों को भारत से प्रक्षेपित कराने को प्राथमिकता देते हैं। आज प्रक्षेपित 104 उपग्रहों में भी सर्वाधिक 96 अमेरिका के ही हैं वहीं भारत के तीन और शेष इजराइल, कजाखिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमिरात के हैं। अमेरिका द्वारा अपने उपग्रहों को भारत से प्रक्षेपित करवाना इस बात का प्रमाण है कि अंतरीक्ष प्रक्षेपण के क्षेत्र में दुनिया के देशों में भारत और एकमात्र भारत ही सबसे अधिक कामयाब, सफल और सस्ता है।

भारत से उपग्रहों के प्रक्षेपण में लागत भी तुलनात्मक दृष्टि से कम आने के कारण अंतरिक्ष में अपना उपग्रह स्थापित करने वाले देशों द्वारा भारत को प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि अमेरिका और रूस पृथ्वी के कक्ष में उपग्रह स्थापित करने का कार्य पहले से ही कर रहे हैं। उपग्रह प्रक्षेपण और पृथ्वी के कक्ष में स्थापन अब सस्ता होने से अधिकांश देश अपने स्वयं के उपग्रह स्थापित करने पर बल देने लगे हैं। अब अलग−अलग सेवाओं व अध्ययनों के लिए देश अपने स्वयं के उपग्रह स्थापित करने लगे हैं। 

इसरो के प्रवक्ता डॉ. डी.पी. कार्णिक का यह कथन अपने आप में महत्वपूर्ण हो जाता है कि ''हमारा मकसद रेकार्ड बनाना नहीं हैं। हम सिर्फ अपनी लांचिंग क्षमता जांचना चाहते हैं।'' इसरो की इस सफलता से हमारी लांचिंग क्षमता का लोहा सारी दुनिया को मानना पड़ेगा। इस कामयाबी को इस तरह से भी देखा जा सकता है कि इसरो ने पिछले वर्षों में प्रक्षेपण के क्षेत्र में नई ऊँचाइयां छुई हैं। पिछले 42 सालों में इसरो ने 167 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया वहीं वेलेन्टाईन डे के दूसरे ही दिन एक साथ 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है।

इसरो के वैज्ञानिक इसलिए भी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने प्रक्षेपण के क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय पहचान बनाई है। आज मोबाइल व संचार क्रान्ति, मौसमी बदलावों, अन्य अध्ययन इन उपग्रहों के माध्यम से सटीक होने लगे हैं और इसका लाभ देश−दुनिया को प्राप्त होने लगा है। इसरो की इस सफलता पर पूरा देश गौरवान्वित है। जय विज्ञान।

- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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