बला की खूबसूरत थीं मधुबाला लेकिन बहुत जल्द चली गयीं

हिन्दी फिल्मों की ‘वीनस’ कही जाने वाली मधुबाला जिनकी खूबसूरती को लोग आज भी नहीं भूल पाए हैं, 1940 के दशक की एक बेहद खूबसूरत हीरोइन थीं।

हिन्दी फिल्मों की ‘वीनस’ कही जाने वाली मधुबाला जिनकी खूबसूरती को लोग आज भी नहीं भूल पाए हैं, 1940 के दशक की एक बेहद खूबसूरत हीरोइन थीं। मधुबाला का असली नाम मुमताज जहां बेगम था। बॉलीवुड में मधुबाला की एंट्री 1942 में बेबी मुमताज के नाम से फिल्म ‘बसंत’ में हुई थी तब वे सिर्फ 9 साल की थीं। देविका रानी ‘बसंत’ में किए गए उनके अभिनय से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने उनका नाम बेबी मुमताज से बदलकर मधुबाला रख दिया। बतौर अभिनेत्री मधुबाला की पहली फिल्म निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की ‘नीलकमल’ थी जो 1947 में प्रदर्शित हुई। इस फिल्म में अभिनेता राजकपूर थे और बतौर अभिनेता राजकपूर की भी यह पहली फिल्म थी। ‘नीलकमल’, ‘महल’ ‘फागुन’, ‘हावरा ब्रिज’, ‘काला पानी’, ‘चलती का नाम गाड़ी’ और ‘मुगल-ए-आजम’ मधुबाला की चर्चित फिल्मों में से थीं। फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में तो मधुबाला की दिलकश अदाकारी के चर्चे आज भी सुने जा सकते हैं।

मधुबाला की खूबसूरती और उनकी दिलकश मुस्कान का जादू उनकी फिल्मों के दर्शकों तक ही सीमित नहीं था वरन फिल्म इंडस्ट्री की कई नामी हस्तियां उनकी खूबसूरती की कायल थीं। मधुबाला के बारे में शम्मी कपूर बताते थे कि मधुबाला से उनकी पहली मुलाकात ‘रेल का डिब्बा’ फिल्म के सेट पर हुई थी, उन्हें देखकर उनके चेहरे से नजरें हटाना मुश्किल था। वे जब पानी पीती थीं तो पानी उनके गले की नस में से गुजरता हुआ देखा जा सकता था। उनकी खूबसूरती के सामने तो वे फिल्म में अपने डायलॉग भी भूल गये थे। बात 1953 की है जब फेमस अमेरिकन डायरेक्टर फ्रैंक काप्रा मुम्बई आये थे। फ्रैंक काप्रा ने जब एक पत्रकार के पास मुवी टाइम के कवर पेज छपी मधुबाला की फोटो देखी तो वे पूछे बिना नहीं रह सके कि क्या रियल लाइफ में भी मधुबाला इतनी ही हसीन हैं।

मधुबाला ने जहां फिल्मों में बेहद कामयाबी पाई वहीं उनकी जिंदगी में उन्हें हर वो खुशी हासिल नहीं हो पाई जिनकी उन्हें चाहत थी। खासकर प्रेम के मामले में मधुबाला को नाकामयाबी ही मिली। मधुबाला दिलीप कुमार से बेहद प्रेम करती थीं और सिने जगत में भी उनकी जोड़ी अभिनेता दिलीप कुमार के साथ काफी पसंद की गई थी किन्तु दोनों की हां के बावजूद रियल लाइफ में इस जोड़ी को न ही हासिल हुई। दिलीप कुमार से अपने प्यार का इजहार मधुबाला ने स्वयं किया था। उन्होंने अपनी ड्रेस डिजाइनर को गुलाब का फूल और एक खत देकर दिलीप कुमार के पास इस संदेश के साथ भेजा कि यदि वह भी उनसे प्यार करते हों तो इसे अपने पास रख लें। दिलीप कुमार ने मधुबाला के दिए फूल और खत को अपने पास रखकर अपनी हां जाहिर की थी किन्तु जब मधुबाला के पिता अताउल्ला खान को मधुबाला और दिलीप कुमार की नजदीकियां पता चलीं तो उन्होंने मधुबाला को दिलीप कुमार के साथ काम करने से मना कर दिया और यह जोड़ी बिखर गई। 

पचास के दशक में मधुबाला को पता चला था कि वे हृदय की गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं किन्तु यह वक्त था जब उनकी कई फिल्में निर्माण के दौर में थीं। मधुबाला ने किसी को अपनी बीमारी का अहसास कराए बिना फिल्मों की शूटिंग जारी रखी। इस बीच मधुबाला की तबीयत काफी खराब रहा करती थी बावजूद इसके उन्होंने फिल्मों में अपने किरदार को बखूबी निभाया। अपने किरदार की जीवंतता के लिए उन्होंने जैसमेलर के रेगिस्तान में कुंए और पोखरे का गंदा पानी तक पिया और अपने शरीर पर लोहे की भारी जंजीरें भी लादे रखीं।

साठ के दशक में मधुबाला ने अपनी तबियत की वजह से फिल्मों मे काम करना काफी कम कर दिया था। इस बीच ‘चलती का नाम गाड़ी’ और ‘झुमरू’ फिल्मों से मधुबाला और किशोर कुमार एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए थे हालांकि मधुबाला ने किशोर कुमार को अपनी बीमारी के बारे में बता दिया था किन्तु इसके बावजूद किशोर कुमार ने मधुबाला से शादी कर ली। शादी के बाद मधुबाला ने पासपोर्ट, झुमरू, बॉयफ्रेंड ,हाफ टिकट और शराबी फिल्मों में अपना अभिनय बखूबी निभाया और बहुत छोटी महज 36 साल की उम्र में 23 फरवरी 1969 को वे इस दुनिया को अलविदा कह गईं।

अमृता गोस्वामी

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