Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा पर गाय की सेवा से मिलता है विशेष लाभ

गोवर्धन पूजा पर भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा का विधान है। इसलिए सबसे पहले मुहूर्त के अनुसार आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बना लें। इसपर रोली और चावल रखें। अब पूजा के लिए महाराज के पास दीपक जलाएं।
आज गोवर्धन पूजा है, दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन घर घर गोबर से गोवर्धन महाराज का चित्र बनाया जाता है और पूजा की जाती है। इस दिन लोग पूजा-अर्चना के साथ विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं तो आइए हम आपको गोवर्धन पूजा का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें गोवर्धन पूजा के बारे में
गोवर्धन पूजा का पर्व हर साल धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है। यह दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। यह शुभ दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ब्रजवासियों को देवराज इंद्र के प्रकोप से बचाने और गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाने की महान लीला का प्रतीक है। यह दीपावली उत्सव का प्रमुख दिन है, जिसे श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल की रक्षा के रूप में मनाया जाता है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है। यह दीपावली उत्सव का प्रमुख दिन है, जिसे श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल की रक्षा के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाकर उसकी पूजा होती है। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हुए दान-दक्षिणा जैसे कार्य किए जाते हैं। हिंदू धर्म में गोवर्धन को प्रकृति की रक्षा का प्रतीक माना जाता है, जो दीपावली से अगले दिन मनाया जाता है।
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गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्तूबर को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर होगी। इसका समापन 22 अक्तूबर को रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगा। तिथि के मुताबिक इस बार गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्तूबर को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा 2025 शुभ मुहूर्त
इस साल गोवर्धन पूजा पर दोपहर 03 बजकर 13 मिनट से शाम 05 बजकर 49 मिनट तक शुभ मुहूर्त बन रहा है। इस तिथि पर स्वाति नक्षत्र और प्रीति का संयोग रहेगा। खास बात यह है कि इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य तुला राशि में रहेंगे, जहां चंद्रमा भी गोचर करेंगे। ऐसे में पूजा के लिए यह समय कल्याणकारी रहने वाला है।
गोवर्धन पूजा के दिन करें ऐसे पूजा
गोवर्धन पूजा पर भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा का विधान है। इसलिए सबसे पहले मुहूर्त के अनुसार आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बना लें। इसपर रोली और चावल रखें। अब पूजा के लिए महाराज के पास दीपक जलाएं। अब खीर-पूरी और बताशे सहित जल, दूध और केसर रखें। इसके बाद सभी के साथ मिलकर गोवर्धन की परिक्रमा करें। अंत में आरती करें और पूजा में हुई भूल की क्षमा मांग लें। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इससे जीवन में सकारात्मकता आती हैं। इस दिन गाय की पूजा करने और गौसेवा करने से विशेष पुण्य मिलता है।
गोवर्धन पूजा के दिन ये करें, होगी पुण्य की प्राप्ति
शास्त्रों के अनुसार घर के आंगन या मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। इसके मध्य में भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें। इस दिन 56 भोग या अन्नकूट तैयार करें और भगवान श्रीकृष्ण तथा गोवर्धन महाराज को अर्पित करें। इसमें कढ़ी-चावल, बाजरा, और माखन-मिश्री जरूर शामिल करें। इस दिन गाय की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसे में उन्हें स्नान कराकर, तिलक लगाएं और फूल- माला पहनाएं। साथ ही हरा चारा खिलाएं। इस दिन सात्विक भोजन ही करें। गोवर्धन पर्वत की बनाई गई आकृति की सात बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय वैदिक मंत्रों का जाप करें। अगर हो पाए तो गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें। इस दिन भगवान कृष्ण के मंदिर में दर्शन के लिए जरूर जाएं। शुभ कार्यों में लाल, पीला, नारंगी जैसे रंग के कपड़े पहनना चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन ये न करें
गोवर्धन पूजा के दिन और इससे पहले आने वाली अमावस्या को तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। पूजा के समय काले या नीले रंग के वस्त्र पहनने से बचें। इस दिन घर का मुख्य द्वार या खिड़की लंबे समय तक बंद नहीं रखनी चाहिए। गोवर्धन पूजा के दिन घर में मांस, मदिरा या अन्य तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए। इस दिन किसी भी पेड़-पौधे को नहीं काटना चाहिए, क्योंकि यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार जाहिर करने का ही है।
गोवर्धन पूजा के दिन होते हैं ये अनुष्ठान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म के विभिन्न संप्रदायों के अनुसार गोवर्धन पूजा से जुड़े अनुष्ठान भिन्न-भिन्न होते हैं। भारत के कुछ राज्यों में, इस विशेष दिन अग्नि, इंद्र और वरुण, अग्नि, वज्र और समुद्र के देवताओं की भी पूजा की जाती है। इस दिन किए जाने वाले कुछ विशेष अनुष्ठान हैं:
इस दिन गोवर्धन पर्वत के आकार का गोबर का ढेर बनाया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है। पूजा में जल, अगरबत्ती, फल और अन्य नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। यह पूजा सुबह जल्दी या देर शाम को की जाती है। इसके अलावा इस दिन कृषि में लोगों की मदद करने वाले बैल और गाय जैसे जानवरों की पूजा की जाती है। इस दिन गोवर्धन गिरि नामक पर्वत की अपने आप में एक देवता के रूप में पूजा की जाती है। गोबर से एक प्रतिमा बनाकर उसे ज़मीन पर स्थापित किया जाता है। इस पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है जिस पर कई प्रकार की आहुति दी जाती है, जैसे कि क्रिस्टलीकृत चीनी, शहद, दही, दूध और गंगाजल।
साथ ही भारत के कुछ इलाकों में इस दिन कुशल कारीगरों के देवता भगवान विश्वकर्मा की भी पूजा की जाती है। उद्योगों में मशीनों और कारखानों में मशीनों के लिए प्रसाद और पूजा की जाती है। देश भर के मंदिरों में 'भंडारे' नामक भोज का आयोजन किया जाता है और भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। गोवर्धन पूजा का एक महत्वपूर्ण पहलू गोवर्धन पर्वत का प्रतिनिधित्व करने वाले गोबर से बने पर्वत के चारों ओर परिक्रमा करना है। यह गोवर्धन भगवान की जय-जयकार करके किया जाता है। आवश्यक परिक्रमा पूरी होने के बाद, ज़मीन पर जौ बोए जाते हैं।
इस दिन अन्नकूट भी बनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण को अर्पित करने के लिए विभिन्न अनाजों का मिश्रण होता है। पंडितों के अनुसार गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थित है। इसी कारण से, लाखों भक्त गोवर्धन पर्वत पर आते हैं और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेने और अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए पर्वत की परिक्रमा करते हैं।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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