Vinayaka Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी व्रत से सभी परेशानियां होती हैं दूर

Vinayaka Chaturthi 2024
Creative Commons licenses

पंडितों के अनुसार आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश को मोदक या बेसन के लड्‌डू अर्पित करना चाहिए, कहते हैं इससे वह जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी कार्य सिद्ध होते हैं। पंडितों का मानना है कि इससे संतान का बौद्धिक विकास होता है।

आज विनायक चतुर्थी है, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी विनायक चतुर्थी मनायी जाती है। विनायक चतुर्थी व्रत से भक्त को सुख-समृद्धि प्राप्त है, तो आइए हम आपको विनायक चतुर्थी का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।  

जानें विनायक चतुर्थी के बारे में 

अगर आप अपने बिजेनस संबंधी कार्य में सफलता, धन प्राप्ति चाहते हैं तो चतुर्थी के दिन संकटनाशन गणेश स्त्रोत में दिए गए भगवान के इस मंत्र का जाप करें। 

'प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम। 

भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।। 

पंडितों का मानना है इससे जीवन की सारी परेशानियां दूर होती है। ऐसे में इस व्रत, पूजा करने वालों को बप्पा संग बजरंगबली का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। मंगलवार को भगवान श्री रामचंद्र के मंदिर जाएं. हनुमान जी के श्री रूप के मस्तक का सिंदूर दाहिने हाथ के अंगूठे से लेकर सीता माता के श्री रूप के श्री चरणों में लगा दें और अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करें। 

इसे भी पढ़ें: Sawan Somwar 2024: 22 जुलाई को है सावन का पहला सोमवार, इस साल सावन मास में होंगे पांच सोमवार

पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी को समर्पित है। प्रत्येक माह के चतुर्थी तिथि का दिन गणेश जी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। आषाढ़ मास के विनायक चतुर्थी व्रत आज 09 जुलाई को रखा जाएगा। विनायक चतुर्थी भगवान गणपति जी को समर्पित है। गणेश जी की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, धन और सौभाग्य प्राप्त होता है। इस दिन स्त्रियां संतान की खुशहाली, तरक्की और उसकी लंबी उम्र की कामना से व्रत रखती हैं। 

आषाढ़ विनायक चतुर्थी 2024 का शुभ मुहूर्त 

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 जुलाई मंगलवार को सुबह 6 बजकर 08 मिनट से होगी. इस तिथि की समाप्ति 10 जुलाई बुधवार को सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर होगी।

पूजा मुहूर्त - सुबह 11.03 - दोपहर 01.50

आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर 3 शुभ संयोग 

सिद्धि योग - 9 जुलाई 2024, सुबह 02.06 - 10 जुलाई 2024, सुबह 02.27

सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 05:30 - सुबह 07:52

रवि योग - सुबह 07:52 - सुबह 05:31, जुलाई 10

विनायक चतुर्थी के दिन ऐसे करें पूजा 

पंडितों के अनुसार इस दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें। पूजन के समय श्रद्धा के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, तांबा या मिट्टी की गणेशजी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद सुगंधित चीजों से भगवान की पूजा करें। पूजा करते समय ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें। फिर गणेशजी की मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाएं. गणेशजी को 21 दूर्वा चढ़ाएं। फिर लड्डुओं का भी भोग लगाएं और आरती करें।

विनायक चतुर्थी के दिन इन उपायों से होगा लाभ

पंडितों के अनुसार सफेद रंग की वस्तुएं यथा तिल, चावल आदि का दान करना चाहिए। इसके अलावा पानी में पांच से सात दाने सफेद तिल के डाल कर उससे स्नान करें।

आराधनाः भगवान शंकर जी की आराधना करें।

राहु काल: अपराह्न 3:00 से 4:30 बजे तक

वैशाख विनायक गणेश जी को करें ये अर्पित

पंडितों के अनुसार आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश को मोदक या बेसन के लड्‌डू अर्पित करना चाहिए, कहते हैं इससे वह जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी कार्य सिद्ध होते हैं। धन संबंधी परेशानी है, बच्चे का मन पढ़ाई में एकाग्र नहीं हो पाता तो आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर गणेश चालीसा का पाठ करें और बच्चे से गणपति पर सिंदूर चढ़वाएं। पंडितों का मानना है कि इससे संतान का बौद्धिक विकास होता है।

विनायक चतुर्थी के दिन इन गणेश मंत्रों का जाप करें

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:। 

निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा।।

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। 

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।।

सिद्धिबुद्धि पते नाथ सिद्धिबुद्धिप्रदायिने। 

मायिन मायिकेभ्यश्च मोहदाय नमो नमः।।

विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के अर्पित करें ये चीजें

विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी को मोदक, दुर्वा, बूंदी के लड्डू और सिंदूर जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से गजानन जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा घर में सुख-समृद्धि आती है और बच्चों बुद्धि और एकाग्रता का आशीर्वाद मिलता है।

जानें विनायक चतुर्थी व्रत की पौराणिक कथा

हिन्दू धर्म में विनायक व्रत से जुड़ी एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार माता पार्वती के मन में एक बार विचार आया कि उनका कोई पुत्र नहीं है। इस तरह एक दिन स्नान के समय अपने उबटन से उन्होंने एक बालक की मूर्ति बनाकर उसमें जीव भर दिया। उसके बाद वह एक कुंड में स्नान करने के लिए चली गयीं। उन्होंने जाने से पहले अपने पुत्र को आदेश दे दिया कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी व्यक्ति को अंदर प्रवेश नहीं करने देना। बालक अपनी माता के आदेश का पालन करने के लिए कंदरा के द्वार पर पहरा देने लगता है। थोड़ी देर बाद जब भगवान शिव वहां पहुंचे तो बालक ने उन्हें रोक दिया। भगवान शिव बालक को समझाने का प्रयास करने लगे लेकिन वह नहीं माना। क्रोधित होकर भगवान शिव त्रिशूल से बालक का शीश धड़ से अलग कर दिया। उसके बाद माता पार्वती के कहने पर उन्होंने उस बालक को पुनः जीवित किया।

- प्रज्ञा पाण्डेय

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़