PCOS Symptoms: महिलाओं के शरीर के ये लक्षण PCOS की ओर करते हैं इशारा, ऐसे करें कंट्रोल

PCOS Symptoms
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पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक ऐसी हेल्थ कंडीशन है, जिसमें शरीर में हार्मोनल डिसबैलेंस हो जाता है। हम आपको PCOS के लक्षणों और इसे कंट्रोल करने के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।

पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक ऐसी हेल्थ कंडीशन है, जिसमें शरीर में हार्मोनल डिसबैलेंस हो जाता है। बता दें कि इस कंडीशन में ओवरीज एंड्रोजेन हार्मोन ज्यादा बनने लगते हैं। यह महिलाओं में काफी कम मात्रा में पाया जाता है। इसकी वजह से रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं और ओवरीज में सिस्ट यानी गांठें भी बन सकती हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि PCOS की समस्या से पीड़ित महिला को सिस्ट हो, लेकिन ऐसा हो भी सकता है।

PCOS का सबसे आम लक्षणों में अनियमित पीरियड्स का होना शामिल है। इसके अलावा शरीर में कई बदलाव देखने को मिलते हैं। इसलिए PCOS की समस्या के बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है, जिससे की जल्द से जल्द इस समस्या का इलाज किया जा सके। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको PCOS के लक्षणों और इसे कंट्रोल करने के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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PCOS के लक्षण

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक यह एक ऐसी कंडीशन है, जो महिलाओं को किशोरावस्था से लेकर 45 साल की उम्र के बीच में होती है। इनमें सबसे आम समस्या होती है कि महिलाओं के पीरियड्स नियमित रूप से नहीं होते हैं। आमतौर पर 21-35 दिन की साइकिल के बीच पीरियड्स होते हैं। लेकिन PCOS की समस्या होने पर ऐसा नहीं होता है। इस समस्या के होने पर पीरियड साइकिल के बीच समय बढ़ने लगता है।

कई बार यह पीरियड साइकिल 2-4 महीने या उससे भी अधिक जा सकता है। वहीं अनियमितता के कारण जब पीरियड होता है, तो हैवी फ्लो के साथ होता है और सामान्यता 3-5 दिनों की जगह अधिक दिनों तक रहता है। पीरियड समय पर न होने का कारण है कि PCOS की कंडीशन में एग्स ठीक से नहीं बनते हैं या फिर छोटे-छोटे एग्स बनते हैं। जिसके कारण ओवुलेशन नहीं होता है। ओवुलेशन न होने पर अनियमित पीरियड की समस्या हो सकती है।

PCOS का दूसरा लक्षण असामान्य बालों की ग्रोथ है। इसमें जॉ लाइन्स, ठुड्डी, चेहरे, पेट, पीठ और जांघों पर मेल पैटर्न पर बाल उग आते हैं। बता दें कि ऐसा हार्मोनल डिस्बैलेंस की वजह से होता है। क्योंकि इस समस्या के होने पर एंड्रोजेन का लेवल बढ़ने लगता है। इसलिए महिलाओं में ऐब्नॉर्मल हेयर ग्रोथ आने लगती है।

PCOS का सबसे आम लक्षण एक्ने और पिंपल्स का होना है। हार्मोन असंतुलन होने पर पीठ, छाती, और फेस पर एक्ने और पिपंल्स की समस्या हो सकती है। इसके अलावा हार्मोन असंतुलन होने के कारण सिस्टिक एक्ने तक हो सकते हैं। इसके निशान लंबे समय तक रह सकते हैं।

रीप्रोडक्टिव एज की महिलाओं को PCOS की समस्या होने से कंसीव करने में दिक्कत हो सकती हैं। क्योंकि इस समस्या के होने पर एग ठीक से मेच्योर नहीं होते हैं और यह फर्टिलाइज नहीं हो पाते हैं। इसलिए महिलाओं को कंसीव करने में समस्या होती है। हालांकि डॉक्टर की सलाह और दवाओं के सेवन से महिलाएं कंसीव करने में सहायता मिलती है।

PCOS की वजन से बढ़ने की समस्या भी हो सकती है।

ऐसे करें PCOS की समस्या को कंट्रोल

इस समस्या को कंट्रोल करने के लिए अपनी सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो PCOS को मैनेज करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। लाइफस्टाइल में बदलाव करके ही इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है। PCOS की समस्या को इलाज के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है।

अगर आपका वेट अधिक है, तो वेट लॉस का प्रयास करें। नॉर्मल बीएमआई रेंज के बीच वेट होने से ओवुलेशन की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में सहायता मिलती है। साथ ही हार्मोन डिस्बैलेंस की समस्या भी कम होती है।

PCOS की समस्या को कम करने के लिए हेल्दी फूड का सेवन करें। अपनी डाइट में आप दही, साबुत अनाज, दाल, सब्जियां, फल, मछली और चिकन आदि को शामिल करें। वहीं बाहर का खाना और जंक फूड आदि खाने से बचना चाहिए। अधिक मात्रा में तेल-मसाला, अधिक नमक, मैदा और शुगर आदि खाने से बचना चाहिए। इन सारी चीजों का सेवन न करने पर आपको वेट लॉस में भी सहायता मिलेगी। इससे हार्मोनल संतुलन भी कंट्रोल होगा।

हर रोज कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। हार्मोनल संतुलन के लिए एक्सरसाइज करना काफी जरूरी होता है। एक्सरसाइज करने से वेट कंट्रोल में रहता है और पूरे शरीर को फायदा मिलता है।

यदि आपको मानसिक तनाव रहता है, तो आप स्ट्रेस मैनेजमेंट या थेरेपी के अन्य तरीकों को अपना सकते हैं। स्ट्रेस के कारण हार्मोन्ल असंतुलित होने लगते हैं। इसलिए तनाव को मैनेज करना बेहद जरूरी है।

PCOS के कुछ मरीज जब तक दवाएं लेते हैं, तब तक उनकी समस्या कंट्रोल में रहती है। लेकिन दवाओं का सेवन बंद करते ही परेशानी फिर से शुरू हो जाती है। इन मरीजों के साथ ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वह अपनी लाइफस्टाइल में कोई बदलाव नहीं करते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप इस समस्या को कंट्रोल करने के लिए दवाओं के साथ-साथ लाइफस्टाइल पर भी ध्यान दें।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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