Hypertension का आज ही करें उपचार, वरना हो सकते हैं खतरनाक बीमारियों के शिकार

प्रेशर बढ़ता है जब तो कुछ-कुछ चीजें समझ में आती है जैसे हेडेक होना, पसीना होना और घबराहट होना और यह सारी चीजें कुछ जैसे हाथ पैर में झुनझुनी होना यह सब चीजें शुरुआत में दिखती है। कई बार ऐसा होता है कि आपकी नींद पूरी नहीं होने की वजह से भी ब्लड प्रेशर बढ़ा होता है।अगर किसी भी मरीज को घर में बैठे-बैठे अचानक से पसीना आने लग जाए सर में दर्द हो रही हो, सीवियर पेन हो रहा हो, हेडेक हो रहा हो तो बीपी चेक करा लेना चाहिए।
इस बार प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम आस्क दी एक्सपर्ट में हमने बात की लगातार कॉमन होती जा रही बीमारी हाइपरटेंशन के बारे में। यह बीमारी बहुत डेंजरस है और इससे अक्सर बहुत सी और बीमारियां होने का खतरा भी बना रहता है। इस बीमारी पर बात करने के लिए हमारे साथ जुड़े डॉक्टर फरहान अहमद जो एमएस जनरल सर्जरी है और उत्तर प्रदेश में लाइफलाइन हॉस्पिटल को चलाते हैं।
ब्लड प्रेशर कहते किसे है?
ब्लड का प्रेशर मतलब जो ब्लड फ्लो होता है हमारे शरीर में धमनियों के माध्यम से उसके अंदर जो धमनियों का प्रेशर बनता है, उसी को ब्लड प्रेशर कहा जाता है। अब उसमें जो है दो तरह का ब्लड प्रेशर होता है एक सिस्टोलिक एक डायस्टोलिक। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर उसे कहते हैं जो हार्ट बीट जब होता है उस वक्त जो फ्लो बनता है, और जब हार्ट बीट रुक के यह रेस्ट पीरियड में होता है उसको जो है डायस्टोलिक कहा जाता है।
अब किन मरीजों को हम हाइपरटेंशन का मरीज कहेंगे?
जिन मरीजों का नॉर्मल बीपी ज्यादा होता है उन्हें हाइपरटेंसी कहेंगे जैसे की स्टोलिक 120 और डायस्टोलिक 80 तक है, तो नॉर्मल है। अगर उससे बढ़ा हुआ है तो हाइपरटेंशन है। हाइपरटेंशन के मरीज़ का बीपी लगातार बढ़ा हुआ आता है जिसके लिए डॉक्टर उसे कंट्रोल करने की दवा देते हैं।
कब हम मरीज़ को कहेगे की यह हाइपरटेंशन से ग्रसित है?
अब मरीज हमारे पास आया और उसका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है तो ऐसा नहीं है कि हम फौरन ही उसे हाइपरटेंशन कह देंगे। जब तक की उसकी कम से कम तीन रीडिंग ना करें और तीनो में उसका ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो। कई बार ऐसा देखा जाता है कि पैदल चलकर मरीज आया है तो उसकी वजह से जो है ब्लड प्रेशर बढ़ा होता है। कभी-कभी सांस फूल रही होती है मरीज की उसकी वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ा होता है तो ऐसे में हर मरीज को ब्लड प्रेशर की दवा नहीं दी जाती उनके लाइफ स्टाइल भी चेंज करने के लिए कहा जाता है और जब देखा जाता है कि लाइफ स्टाइल चेंज करने के बावजूद भी ब्लड प्रेशर नॉर्मल नहीं हो रहा है तब उन्हें जो है मेडिसिन प्रिस्क्राइब किया जाता है।
ब्लड प्रेशर की रीडिंग दिन में कब और कितनी बार करनी चाहिए?
कम से कम 3 बार 15-15 मिनट के गैप में हमें बीपी नापना चाहिए और अगर तीनो बार वो बढ़ा हुआ आता है तो डॉक्टर से मिलना चाहिए। अगर वह तीनों रीडिंग में ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है तो हम उनसे जो है हाइपरटेंसी कहेंगे।
ऊपर और नीचे की रीडिंग का मतलब क्या है? यह प्लस रेट से कैसे अलग है? अगर प्लस कम है तो क्या बीपी फिर भी बढ़ा हो सकता है?
पल्स रेट हमारे दिल के चलने या हार्ट बीट की गति को कहा जाता है। नॉर्मल हार्ट रेट जो है वो 60 से 100 तक होनी चाहिए उससे अगर ज्यादा होती है तो भी अबनॉर्मल है उससे कम है तो भी अबनॉर्मल है। अब उसको जब हम देखते है तो वह पल्स रेट कहलाता है और ब्लड प्रेशर बढ़ा होने के बावजूद भी प्लस रेट कम हो सकती है। ब्लड प्रेशर अलग चीज है और पल्स रेट अलग चीज है। जरूरी है यह नहीं है कि पल्स रेट कम है तो बीपी भी कम हो। यह जरूरी नहीं है कि पल्स रेट ज्यादा है तो बीपी ज्यादा हो। हां, वह अलग चीज है लेकिन दोनों एक दूसरे से मिलते-जुलते ही हैं।
हाई बीपी और हाइपरटेंशन में लगभग मतलब कुछ फर्क है क्या?
बीपी का बढ़ा हुआ होना ही हाइपरटेंशन है। ब्लड प्रेशर नॉर्मल है तो हाइपरटेंशन नहीं है। हाइपरटेंशन हाइपर मतलब बढ़ा हुआ अगर ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है तो हाइपरटेंशन है।
हाई बीपी के साइंस एंड सिम्टम्स क्या है?
प्रेशर बढ़ता है जब तो कुछ-कुछ चीजें समझ में आती है जैसे हेडेक होना, पसीना होना और घबराहट होना और यह सारी चीजें कुछ जैसे हाथ पैर में झुनझुनी होना यह सब चीजें शुरुआत में दिखती है। कई बार ऐसा होता है कि आपकी नींद पूरी नहीं होने की वजह से भी ब्लड प्रेशर बढ़ा होता है।अगर किसी भी मरीज को घर में बैठे-बैठे अचानक से पसीना आने लग जाए सर में दर्द हो रही हो, सीवियर पेन हो रहा हो, हेडेक हो रहा हो तो बीपी चेक करा लेना चाहिए।
ऐसी क्या चीजें होंगी जिनसे बीपी टेंपरेरी स्पाइक हो सकता है?
जैसे अचानक से कोई ऐसी चीज उसके नजर में आ गई जो वह उम्मीद नहीं करता हो। किसी ने कोई ऐसी दुर्घटना के बारे में बता दिया या कोई ऐसी चीजें बता दे जो उसे दुखी कर सकती है। उस कंडीशन में बीपी बढ़ भी सकती है और कम भी हो सकती है। ऐसे में पेशेंट शॉक भी हो सकता है और वह अचानक से गिर भी सकता है।
हाइपरटेंशन की रेमेडीज जो लाइफ स्टाइल रिलेटेड है तो वह क्या होंगी?
कुछ लोग की आदत होती है कि नमक जो है खाने के ऊपर से डाल के खाते हैं कच्चा नमक खाते हैं। तो सबसे पहले उन्हें यह होता है कि आप कच्चा नमक ना लीजिए और नमक जो है कम खाइए कम खाने का मतलब यह नहीं कि आप खाने में से नमक निकाल दे या नमक खाने में डाले ही नहीं। उस कंडीशन में यह होती है कि जब नमक आदमी छोड़ देता है तो शरीर के अंदर में सोडियम की कमी हो जाती है और तकलीफ बढ़ जाती है। तो मरीज को मना नहीं करना है बल्कि यह मना करना है कि आप जो ऊपर से खाने में नमक डालते हो या फ्रूट के ऊपर नमक डालते हो या कोई नमक चाट वाला डालते हो उसके अंदर नमक पड़ा हो तो वह ना डाले बिना खाना खाए। दूसरी चीज यह है कि वह अपनी एक्सरसाइज को बढ़ाए, साइकिलिंग करे या फिर पैदल चलने कोशिश जरूर करें। डेली अगर आदमी एक से डेढ़ किलोमीटर अगर पैदल चल ले सुबह उठकर तो उम्मीद है कि चीजें बेहतर हो सकती है। पानी का सेवन अच्छे से अच्छा करें। हाइड्रेट रहे इस घंटी गर्मी के मौसम में तो हाइड्रेशन बहुत जरूरी है। कई बार ऐसा होता है कि पेशेंट जो है पानी नहीं पीता है और वह हाइपोटेंशन में चला जाता है। दवा बीपी की दवा भी खा लिया और पानी भी नहीं पिया और धीरे-धीरे डिहाइड्रेशन हो के जो है हाइपोटेंशन हो जाता है।
क्या बीपी को बिना दवाइयों के पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है?
ब्लड प्रेशर ऐसी कोई बीमारी नहीं है कि बुखार आया और हमने पैरासिडामाल ले लिया और वह खत्म हो गया। ब्लड प्रेशर अगर बढ़ता हुआ आ रहा है तो उसको जो दवाई दी जाती है मरीज को वह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने की दवा दी जाती ना की ब्लड प्रेशर को खत्म करने की दवा दी जाती है। अगर आप दवा खा रहे हैं मतलब यह बीमारी खत्म हो जाएगी ऐसा नहीं है वह खत्म नहीं होती बल्कि वह कंट्रोल होती है। कंट्रोल नहीं रहेगा ब्लड प्रेशर पर तो वह तमाम तरह की बीमारियों को पैदा करेगा। जैसा कि हमने आपको शुरुआत में बताया कि हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का भी कारण बन सकता है ब्लड प्रेशर।
डायबिटीज और बीपी का कॉम्बिनेशन ख़तरनाक क्यों माना जाता है?
हमने आपको शुरू में बताया कि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है और डायबिटीज का मरीज है तो वह धमनियों में जो है कोलेस्ट्रॉल और यह सारी चीजें धीरे-धीरे जमने लगेंगी और कभी ब्लड प्रेशर बढ़ा और वह कहीं ना कही अचानक से जो है वह स्ट्रोक का कारण बनेगा या हार्ट अटैक का कारण बनेगा।
हाइपरटेंशन के पेशेंट्स को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए? चाय या कॉफी अक्सर हाइपरटेंशन की प्रॉब्लम पर कितना असर डालती है?
ऐसे देखा जाता है कि जो मैक्सिमम हाइपरटेंशन वाले मरीज हैं, उन्हें चाय तो अवॉयड करनी होती है और जो हाइपरटेंशन वाले मरीज हैं, उनको जो है कॉफी बंद करने के लिए कहा जाता है। तो देखा जाएगा जिस तरीके का पेशेंट आता है उस हिसाब से उसको एडवाइज किया जाता है। हाइपरटेंशन के मरीजों को नॉनवेज अवॉयड करना चाहिए।
हाइपरटेंशन की दवा शुरू करते हैं, तो इस मेडिसिन को स्टार्ट करने के बाद कंट्रोल होने में लगभग कितना टाइम लगता है?
यह देखिए यह हर मरीज का अलग-अलग क्राइटेरिया है, हर मरीज में अलग-अलग तरीके से काम करती है, किस मरीज में कौन सी दवा काम करेगी, वह वक्त के हिसाब से और मरीज के ऊपर डिपेंड करता है, पहले से डिसाइड नहीं किया जा सकता।
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