कश्मीर में मानवाधिकार के हालात पर अमेरिकी सांसद ने चिंता जताई

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भारत सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय संविधान मानव अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कानूनों के तहत पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करता है। भारतीय संसद ने पांच अगस्त, 2019 को राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करते हुए जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया था।

वाशिंगटन|  एक प्रमुख अमेरिकी सांसद ने कश्मीर में मानवाधिकार के हालात को लेकर चिंता जताई है। सांसद एंडी लेविन ने कहा कि अमेरिकी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिये कि वह भारत जैसे लोकतंत्र से बेहतर होने की उम्मीद करता है।

विदेश मामलों की समिति और एशिया-प्रशांत एवं अप्रसार मामले की उपसमिति की सदस्य एंडी लेविन ने यह बयान वर्चुअल सम्मेलन में दिया, जिसे भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद और 16 अन्य समूहों ने बुधवार को आयोजित किया था। डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद ने भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर अमेरिका को स्पष्ट रुख अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका को इस बात का ख्याल रखना चाहिये कि कश्मीर में क्या होता है, हम भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों से बेहतर की उम्मीद करते हैं। भारत ने देश में नागरिक स्वतंत्रता के हनन संबंधी आरोपों को लेकर विदेशी सरकारों, सांसदों और मानवाधिकार समूहों द्वारा की जा रही आलोचना को बार-बार खारिज किया है।

सरकार ने जोर देकर कहा है कि भारत में सभी के अधिकारों की रक्षा के लिए अच्छी तरह से स्थापित लोकतांत्रिक प्रथाएं और मजबूत संस्थान हैं।

भारत सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि भारतीय संविधान मानव अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कानूनों के तहत पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करता है। भारतीय संसद ने पांच अगस्त, 2019 को राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करते हुए जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया था।

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि संविधान हमेशा से ही संप्रभुता का मामला था और रहेगा। भारत ने साफ कर दिया है कि अनुच्छेद 370 से संबंधित घटनाक्रम पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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