बांग्लादेश के जमात नेता को मिलेगी युद्ध अपराध में मौत की सजा: कोर्ट
कानूनी प्रावधान के तहत इस्लाम दोबारा अपीलीय खंडपीठ द्वारा ही फैसले की समीक्षा की अपील कर सकते हैं और दोबारा अपील खारिज होने के बाद उनके पास राष्ट्रपति से माफी मांगने का रास्ता बचेगा।
ढाका। बांग्लादेश के उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के पक्ष में युद्ध अपराध करने के दोषी ठहराए गए जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता एटीएम अज़हरुल इस्लाम की मौत की सजा बृहस्पतिवार को बरकरार रखी। अपीलीय खंडपीठ की चार सदस्यीय पीठ ने इस्लाम की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उन्होंने उच्चाधिकार प्राप्त न्यायाधिकरण द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को चुनौती दी थी। प्रधान न्यायाधीश सैयद महमूद हुसैन ने पीठ का फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘याचिका खारिज की जाती है।’’
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कानूनी प्रावधान के तहत इस्लाम दोबारा अपीलीय खंडपीठ द्वारा ही फैसले की समीक्षा की अपील कर सकते हैं और दोबारा अपील खारिज होने के बाद उनके पास राष्ट्रपति से माफी मांगने का रास्ता बचेगा। हालांकि, इससे पहले राष्ट्रपति अब्दुल हामिद युद्ध अपराध से जुड़े ऐसे मामलों में क्षमा याचिकाएं खारिज कर चुके हैं। इस्लाम ने 28 जनवरी 2015 को उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें युद्ध अपराध के लिए उन्हें मौत की सुनाई गयी थी।
इस्लाम को 2012 में ढाका के मोघबाजार स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया गया था और अभी वह अति सुरक्षित काशिमपुर जेल में कैद हैं। उल्लेखनीय है बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार ने 1971 के युद्ध अपराधियों को सजा दिलाने की पहल की थी। इस्लाम का मामला आठवां ऐसा मामला है जिसमें अंतिम फैसला आया है। छह दोषियों को पांच को मौत की सजा दी जा चुकी है और इनमें पांच जमात के नेता थे। छठा दोषी पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी का है जो भ्रष्टाचार के मामले में दस साल कारावास की सजा काट रही हैं।
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