Bihar Elections: महिलाओं की बढ़ी भागीदारी, भारी मतदान से तय होगा अगली सरकार का रास्ता

बिहार विधानसभा चुनाव 2024, जिसमें महागठबंधन और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला है, को आगामी राज्य चुनावों का महत्वपूर्ण संकेतक माना जा रहा है। भारी मतदान के बावजूद, मतदाता सूची से लाखों नाम हटाने को लेकर विपक्ष के आरोपों ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है, जिससे परिणाम पर गहरा असर पड़ सकता है।
बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत गुरुवार को वोटिंग जारी रही, और कई जिलों में सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें देखने को मिली हैं। बताया जा रहा है कि 18 जिलों की 243 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान कराया जा रहा है। मतगणना 14 नवंबर को होगी। यह चुनाव कई अन्य राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जा रहा है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, राज्य में कुल 7.4 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग कर रहे हैं। गौरतलब है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची में किए गए संशोधन को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए थे। उनका आरोप था कि असली मतदाताओं को निकाला जा रहा है और भाजपा को लाभ पहुंचाने की कोशिश हो रही है। हालांकि भाजपा और चुनाव आयोग ने इन दावों को खारिज किया है।
वोटिंग के दौरान कई मतदान केंद्रों पर खास इंतज़ाम किए गए दिखे। कई बूथों पर तंबू और बैठने की व्यवस्था भी की गई थी ताकि लोग धूप से बच सकें। कुछ स्थानों पर महिलाओं और बुजुर्गों के लिए विशेष सुविधाएं दी गईं। साथ ही, कई बूथों पर सेल्फी प्वॉइंट भी लगाए गए जहां लोग मतदान के बाद तस्वीरें खिंचवा रहे थे।
एक 70 वर्षीय महिला को परिवार के लोग चारपाई पर उठाकर मतदान केंद्र तक लाए, क्योंकि वे बीमार थीं लेकिन वोट देना चाहती थीं। इसी तरह कई पोलिंग बूथों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की मदद से वृद्ध और दिव्यांग मतदाताओं को लाया जा रहा था।
चुनाव आयोग के अनुसार, शाम 4 बजे तक 53.77% मतदान दर्ज किया गया था। यह भी बता दें कि बिहार देश का एक गरीब और अत्यधिक आबादी वाला राज्य है, जहां से बड़ी संख्या में लोग रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं। भाजपा अब तक राज्य में अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है।
मौजूदा सरकार में भाजपा और जदयू की गठबंधन सरकार है। इस बार भी दोनों दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस, राजद और कुछ अन्य दलों ने महागठबंधन बनाकर मोर्चा संभाला है। इस चुनाव में प्रशांत किशोर की नई पार्टी भी मैदान में है, जो पहली बार सीधे तौर पर राजनीति में उतर रही है।
चुनाव से पहले किए गए एक अन्य विवादित निर्णय में चुनाव आयोग ने 47 लाख से अधिक नाम मतदाता सूची से हटाए थे, जिस पर विपक्ष ने खासा विरोध जताया था। आयोग ने हालांकि इसे नियमित प्रक्रिया बताया।
जांचकर्ताओं का मानना है कि महिला मतदाता इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। कई महिलाओं ने खुद आगे आकर मतदान के लिए जागरूकता फैलाई है। मसौढ़ी गांव की कुशबू देवी कहती हैं कि महिलाओं के मतदान के बिना वास्तविक जनमत का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है, इसलिए वे हर घर जाकर महिलाओं को मतदान के लिए प्रेरित कर रही हैं।
ऐसे में बिहार का यह चुनाव न सिर्फ राजनीतिक समीकरण बदलेगा, बल्कि आने वाले समय में चुनावी रुझानों का भी संकेत देगा हैं।
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