‘भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र का केंद्रीय घटक होना चाहिए’

India should become a central component of Asia-Pacific strategy: American scholar

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘हिन्द-प्रशांत’ शब्दावली का समर्थन करते हुए एक शीर्ष अमेरिकी रणनीतिकार ने कहा है कि भारत को अमेरिका की एशिया-प्रशांत क्षेत्र रणनीति का केंद्रीय हिस्सा होना चाहिए।

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘हिन्द-प्रशांत’ शब्दावली का समर्थन करते हुए एक शीर्ष अमेरिकी रणनीतिकार ने कहा है कि भारत को अमेरिका की एशिया-प्रशांत क्षेत्र रणनीति का केंद्रीय हिस्सा होना चाहिए। अमेरिका सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में वृहद भारत-अमेरिकी सहयोग की हिमायत कर रहा है। इस क्षेत्र में चीन अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रहा है। अमेरिका-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग के आयुक्त जोनाथन एन. स्टिवर्स ने चीन की ‘एक क्षेत्र एक सड़क’ (ओबीओआर) रणनीति पर कार्रवाई के दौरान कांग्रेस की कमेटी से कहा कि भारत को एशिया-प्रशांत रणनीति का मुख्य हिस्सा बनना चाहिए।

स्टिवर्स ने कहा, ‘‘भारत हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करता है और खासकर क्षेत्र में चीन की नीतियों के बारे में, हमारे सामरिक हित मेल खाते हैं। ट्रंप प्रशासन ‘‘हिन्द-प्रशांत’’ क्षेत्र शब्दावली के साथ सही दिशा में है और पिछले सप्ताह लोकतांत्रिक सहयोगियों जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ चतुष्पक्षीय वार्ता शुरू किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि आगे बढ़ते हुए अमेरिका को सुनिश्चित करना चाहिए कि चतुष्पक्षीय वार्ता में मजबूत आर्थिक घटक मौजूद रहे। यह क्षेत्र में चीन की प्रतिरोधी आर्थिक और राजनीतिक नीतियों से मुकाबले के लिए नीतियों पर चर्चा का अच्छा मंच है।

स्टिवर्स ने कहा कि इसके साथ ही अमेरिका को एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) मंच में सदस्यता हासिल करने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का समर्थन करते हुए भारत की मदद करनी चाहिए। भारत को उसके घरेलू विकास की चुनौतियों से निपटने में सहयोग करना चाहिए। स्टिवर्स ने कहा , ‘‘इसके साथ ही दुनिया में जो सबसे ज्यादा गरीबी में रहते हैं, उसमें 33 प्रतिशत भारत में रहते हैं। यदि किसी ‘हिन्द-एशिया-प्रशांत’ रणनीति को सफल बनानी है तो भारत के स्वास्थ्य, क्षेत्रीय संपर्क और ऊर्जा तथा बिजली क्षेत्र में प्रगति अनिवार्य होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि भारत सहित एशिया-प्रशांत क्षेत्र अमेरिकी लोगों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मजबूत भारत अमेरिका के हित में है और अमेरिका को भारत की उसकी संभावनाओं के विकास में मदद के लिए उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।नेशनल ब्यूरो ऑफ एशियन रिसर्च में वरिष्ठ उपाध्यक्ष रा डी कंपूसेन ने कहा कि ओबीओआर पहल बीजिंग की क्षेत्रीय और वैश्विक महत्वाकांक्षा को दिखाता है। यह यूरेशिया के बीच चीन की स्थिति को मजबूत करने का जरिया है जहां पर अमेरिकी प्रभाव सीमित है।

उन्होंने कहा, ‘‘बीआरआई बिना जंग के जीतने की पसंदीदा चीनी रणनीतिक चाल का विस्तार है। सभी तरह के प्रतिरोध से किसी को कमजोर कर दिया जाए। बीआरआई के मामले में विपक्ष (बिना खर्चे के )सघन सूचनात्मक , दुष्प्रचार और अभियान बड़े पैमाने पर निवेश के जरिए कमजोर है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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