ICJ से उम्मीदवार हटाना सं राष्ट्र में भारत के समर्थन की ब्रिटिश नीति का हिस्सा: जॉनसन

लंदन। ब्रिटेन की सरकार ने कहा कि आईसीजे से अपने उम्मीदवार को वापस लेना उसकी विदेश नीति का हिस्सा है, जिसका एक उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र में भारत का समर्थन करना है। भारत के दलवीर भंडारी को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) के लिए फिर से चुना गया। संयुक्त राष्ट्र के दो तिहाई से अधिक सदस्यों ने उनका समर्थन किया। इसके चलते ब्रिटेन संयुक्त राष्ट्र में एक नाटकीय घटनाक्रम में अपने उम्मीदवार को वापस लेने के लिए मजबूर हो गया।
हाऊस ऑफ कॉमंस में संसद सदस्यों को संबोधित करते हुए ब्रिटेन के विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन ने इस विचार को खारिज कर दिया कि ब्रिटिश उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड की हार ब्रिटिश लोकतंत्र की हार है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारतीय जज को उनके चुने जाने पर बधाई देता हूं। यह एक अच्छी चीज है कि एक और सामान्य कानून जज अंतरराष्ट्रीय अदालत में शामिल हुए हैं।’’ यह पूछे जाने पर कि ब्रिटिश कूटनीति के लिए इसके क्या मायने हैं, उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत का समर्थन करने की यह ब्रिटेन की लंबे समय से चली आ रही विदेश नीति है।
गौरतलब है कि आईसीजे में ग्रीनवुड की हार को ब्रिटेन के घटते वैश्विवक दर्जे के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। लेबर सांसद लिलियन ग्रीनवुड ने कश्मीर में मानवाधिकारों का मुद्दा भी उठाते हुए ‘विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय’ (एफसीओ) से पूछा कि इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान की बात कराने के लिए ब्रिटेन सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। विदेश कार्यालय मंत्री रोरी स्टीवर्ट ने कहा, ‘‘कश्मीर में स्थिति दुखद बनी रहेगी जैसा कि यह दशकों से है। लेकिन हमारा कहना है कि इस मुद्दे का हल भारत और पाकिस्तान के बीच होना होगा। हम बहुत सावधानी से हालात की निगरानी करते रहेंगे।
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