विश्व के लिए पाक सबसे खतरनाक देश: पूर्व सीआईए अधिकारी

[email protected] । Feb 16 2017 2:34PM

अमेरिका की केन्द्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के एक पूर्व अधिकारी केविन हल्बर्ट ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान संभवत: दुनिया के लिए ‘‘सबसे खतरनाक देश’’ है।

वाशिंगटन। अमेरिका की केन्द्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान संभवत: दुनिया के लिए ‘‘सबसे खतरनाक देश’’ है। उन्होंने पाकिस्तान की लुढ़कती अर्थव्यवस्था, वहां व्याप्त आतंकवाद और तेजी से बढ़ते परमाणु शस्त्रागार वाले देशों में शामिल होने से पैदा हुये संभावित खतरे का हवाला दिया। इस्लामाबाद में सीआईए के पूर्व स्टेशन प्रमुख केविन हल्बर्ट ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान के ‘‘विफल’’ होने से दुनिया के लिए परेशानी खड़ी होगी।

हल्बर्ट ने खुफिया समुदाय के लिए साइफर ब्रीफ नाम की वेबसाइट पर लिखा कि पाकिस्तान एक ऐसे बैंक की तरह है जो इतना बड़ा है कि विफल नहीं होना चाहिए या इतना बड़ा है कि उसे कोई विफल नहीं होने देगा क्योंकि अगर उसे विफल होने दिया गया तो इसका विश्व की अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी असर हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास 3.3 करोड़ की आबादी वाले अफगानिस्तान में बड़ी समस्याएं हैं, लेकिन पाकिस्तान में करीब 18.2 करोड़ नागरिक हैं जो अफगानिस्तान की आबादी का करीब पांच गुना ज्यादा हैं। गिरती अर्थव्यवस्था, वहां फैला आतंकवाद, सबसे तेजी से बढ़ता परमाणु शस्त्रागार, छठी सबसे बड़ी आबादी और विश्व में सबसे ऊंची जन्म दर वाले देशों में से एक पाकिस्तान गंभीर चिंता का विषय है।’’

हल्बर्ट ने कहा, ‘‘अंत में, हालांकि पाकिस्तान विश्व में सबसे खतरनाक देश नहीं है लेकिन संभवत: यह दुनिया के लिए सबसे खतरनाक देश है। आज पाकिस्तान में काफी कुछ किया जाना बाकी है लेकिन अगर हम उसे अलग थलग करने या प्रतिबंध लगाने की रणनीति अपनाते रहे तो इससे स्थिति और खराब हो जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका और आईएमएफ ने खरबों रुपये की वित्तीय सहायता दी है क्योंकि पाकिस्तान का साया अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी अन्य देश के मुकाबले अधिक डरा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इसे देखते हुये हम पैसा बहा रहे हैं, उन्हें अच्छा व्यवहार करने के लिए कोशिश कर रहे हैं लेकिन इससे सीमित सफलता मिली है लेकिन हमें ये कोशिशें जारी रखनी चाहिये।’’ हल्बर्ट ने कहा कि अफगानिस्तान में आज एकमात्र असली मकसद देश को तालिबान के हाथों मे जाने से रोकना और अफगानिस्तान को आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बनने से रोकना है जो पश्चिमी देशों के खिलाफ हमले की साजिश रच सकते हैं।

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