ब्लैकलिस्टेड होने से बाल-बाल बचा पाकिस्तान, एफएटीएफ ने दी कार्रवाई की चेतावनी

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[email protected] । Oct 18 2019 5:09PM

एफएटीएफ ने यह फैसला सार्वजनिक करते हुए वैश्विक वित्तीय संस्थानों को नोटिस दिया है कि वे फरवरी 2020 में किसी अकस्मात स्थिति के लिये अपनी प्रणालियों को तैयार रखें।

पेरिस। आतंकवाद को मुहैया कराए जाने वाले धन की निगरानी करने वाली अंतरराष्ट्रीय निगरानी संस्था ने शुक्रवार को पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में कायम रखा। साथ ही, उसे धन शोधन (मनी लॉड्रिंग) और आतंकवाद को मुहैया कराए जा रहे धन पर रोक लगाने में नाकामी को लेकर कार्रवाई की चेतावनी भी दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की यहां पांच दिवसीय पूर्ण बैठक संपन्न होने के बाद यह फैसला लिया गया। इसमें यह आमराय रही कि इस्लामाबाद को दी गई 15 महीने की समय सीमा समाप्त होने के बावजूद पाकिस्तान ने 27 सूत्री कार्य योजना पर खराब प्रदर्शन किया।

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एफएटीएफ ने यह फैसला सार्वजनिक करते हुए वैश्विक वित्तीय संस्थानों को नोटिस दिया है कि वे फरवरी 2020 में किसी अकस्मात स्थिति के लिये अपनी प्रणालियों को तैयार रखें। उल्लेखनीय है कि यदि पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में कायम रखा जाता है या ‘डार्क ग्रे’ सूची में डाला जाता है, तो उसकी वित्तीय हालत कहीं अधिक जर्जर हो जाएगी। ऐसी स्थिति में इस देश को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद मिलनी बहुत मुश्किल हो जाएगी। पेरिस में शुक्रवार को हुई एफएटीएफ की पूर्ण बैठक में इस बात का जिक्र किया गया कि पाकिस्तान को लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के लिये दी गई 27 सूत्री कार्ययोजना में वह सिर्फ पांच का ही हल करने में सक्षम रहा। 

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उल्लेखनीय है भारत में सिलसिलेवार हमलों के लिये ये दोनों आतंकी संगठन जिम्मेदार रहे हैं। इस घटनाक्रम से नजदीकी तौर पर जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि एक बार फिर से आमराय से यह फैसला लिया गया कि एफएटीएफ पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाये रखेगा और पाकिस्तान को यह चेतावनी दी कि यदि उसने कार्रवाई योजना का पूरी तरह से पालन नहीं किया और महत्वपूर्ण एवं सतत प्रगति नहीं दिखाई तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस तरह की कार्रवाई में वैश्विक वित्तीय संस्थानों को पाकिस्तान के साथ कारोबारी संबंध और लेनदेन पर विशेष ध्यान देने की अपील की जा सकती है। गौरतलब है कि ईरान के लिये भी इसी भाषा का इस्तेमाल किया गया था, जिसे काली सूची में रखा गया है।

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एफएटीएफ ने समीक्षा के दायरे में रहे सभी क्षेत्राधिकारों पर चर्चा की। इसमें पाकिस्तान भी शामिल है और उस पर आमराय भी बनी। अब, फरवरी 2020 में पाकिस्तान को औपचारिक रूप से काली सूची में डाले जाने की संभावना बढ़ गई है। एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी संस्था है। धन शोधन, आतंकवाद को धन मुहैया कराये जाने और अन्य संबद्ध खतरों का मुकाबला करने के लिये 1989 में इसकी स्थापना की गई थी। पेरिस के इस निगरानी संगठन ने पिछले साल जून में पाक को ग्रे सूची में रखा था और उसे एक कार्य योजना सौंपते हुए उसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करने, या ईरान और उत्तर कोरिया के साथ ‘काली सूची’ में डाले जाने के जोखिम का सामना करने को कहा गया था। 

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