कोविड-19 महामारी के कारण अफ्रीकी देशों में बच्चों का नियमित टीकाकरण प्रभावित

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कोविड-19 महामारी ने दुनिया के विभिन्न देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों और बच्चों के नियमित टीकाकरण अभियान की खामियों को उजागर कर दिया है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के कारण दुनिया भर में बच्चों के नियमित टीकाकरण की दर में काफी गिरावट आई है।

कोविड-19 महामारी ने दुनिया के विभिन्न देशों की स्वास्थ्य प्रणालियों और बच्चों के नियमित टीकाकरण अभियान की खामियों को उजागर कर दिया है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के कारण दुनिया भर में बच्चों के नियमित टीकाकरण की दर में काफी गिरावट आई है। टीकाकरण की दरों में इन गिरावटों के परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर उन बीमारियों के बोझ को कम करने और नियंत्रित करने के लिए किए गए असाधारण प्रयासों के कमजोर होने का खतरा बढ़ गया है, जिनकी रोकथाम के लिए टीके उपलब्ध हैं।

नियमित टीकाकरण की वजह से प्रति वर्ष 20 से 30 लाख लोगों की जान बच पाई है, जिनमें से 800,000 लोग अफ्रीका क्षेत्र के हैं। नियमित टीकाकरण से नवजात बच्चों को होने वाली टेटनस और खसरा जैसी बीमारियों में भारी कमी आई है। नियमित टीकाकरण के परिणामस्वरूप बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस (टाइप ए) और पोलियो पूरे अफ्रीका महाद्वीप में लगभग समाप्त हो गया है। अफ्रीकी क्षेत्र में नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों पर महामारी के प्रभावों का अभी तक पूरी तरह से अध्ययन नहीं किया गया है।

अब तक हम जो जानते हैं, वह यह है कि इस महामारी के कारण विभिन्न अफ्रीकी देशों के राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों में काफी रुकावटें आई हैं। नतीजतन, महाद्वीप में उन बीमारियों का प्रकोप काफीबढ़ रहा है, जिनका बचाव टीकाकरण से हो सकता है। घातक माने जाने वाले मैनिंजाइटिस (टाइप ए) का अफ्रीकी देशों में लगभग सफाया हो चुका है। लेकिन, 2021 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में चार महीने तक मैनिंजाइटिस का प्रकोप रहा था। इस दौरान कांगो में मैनिंजाइटिस के 2,665 मामले सामने आए थे, जिसमें से 205 लोगों की मौत हो गयी थी।

मैनिंजाइटिस के मामलों में इस वृद्धि का कारण नियमित टीकाकरण अभियान में कमी को माना जा रहा है। फरवरी 2022 में मलावी में 30 वर्षों के बाद पोलियो वायरस टाइप-1 का पहला मामला सामने आया था।मोजाम्बिक में तीन महीने बाद दूसरा मामला सामने आया। इसके मद्देनजर पूरे दक्षिणी अफ्रीका में बड़े पैमाने पर पोलियो टीकाकरण अभियान चलाया गया था। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और डब्ल्यूएचओ ने नियमित टीकाकरण में अंतराल को देखते हुए खसरे के प्रकोप के बढ़ते जोखिम को लेकर चेतावनी जारी की है।

मौजूदा समय में जिम्बाब्वे खसरे के विनाशकारीप्रकोप से जूझ रहा है। पांच महीनों के भीतर देश में खसरे के 6,551 मामलों की पुष्टि हुई है और इसके कारण 704 लोगों की मौत हुई है। जानलेवा बीमारियों के ये उभरते हुए प्रकोप बहुत चिंता का विषय हैं। इन्हें रोकने के लिए तत्काल और निरंतर स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र के हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। जब तक नियमित टीकाकरण को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जाता, तब तक शिशुओं और बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। अफ्रीकी देशों में बच्चों के नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों के प्रदर्शन को प्रासंगिक बनाना महत्वपूर्ण है।

कोविड-19 महामारी से पहले भी, अफ्रीकी क्षेत्र पहले से ही एक अनिश्चित स्थिति से जूझ रहे थे। एक अनुमान के मुताबिक अफ्रीका में पांच साल से कम उम्र के करीब 3.07 करोड़ बच्चे उन बीमारियों से पीड़ित हैं, जिनका बचाव टीके से हो सकता है। इनमें रोटावायरस डायरिया, निमोनिया, काली खांसी (पर्टुसिस) और खसरा शामिल हैं। इन बच्चों में से 5,20,000 से अधिक बच्चे हर साल आवश्यक टीकाकरण सेवाओं तक पहुंच नहीं होने के कारण मर जाते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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