श्रीलंका ने मारे गए और लापता पत्रकारों के लिए न्याय की मांग की
पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में पत्रकारों की हत्या, उनके अपहरण और उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आई थीं। गैमेज ने कहा कि 2006 से 2015 के बीच 44 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए।
कोलंबो। श्रीलंका में मारे गए और लापता हुए पत्रकारों के संबंधियों, सांसदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने रैली निकालकर सरकार से हत्या एवं अपहरण की इन घटनाओं की जांच तेज करने की मांग की है। रैली के एक आयोजक फ्रेड्डी गैमेज ने कहा कि चार साल सत्ता में होने के बावजूद मौजूदा सरकार ‘‘पत्रकारों पर हमलों के जिम्मेदार लोगों को सजा देने के अपने वादे का पूरा करने में नाकाम रही है’’।
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2015 में सत्ता में आए देश के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने सजा माफी की संस्कृति को समाप्त करने और मारे गए पत्रकारों के लिए न्याय सुनिश्चित करने का वादा किया था। पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल में पत्रकारों की हत्या, उनके अपहरण और उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आई थीं। गैमेज ने कहा कि 2006 से 2015 के बीच 44 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए।
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उन्होंने कहा, ‘‘केवल दो या तीन मामलों में जांच शुरू की गई है लेकिन अभी तक कोई भी जांच पूरी नहीं हुई है और अपराधियों को सजा नहीं हुई है।’’सांसद अजीत परेरा ने कहा कि पत्रकारों पर हमले की घटनाओं को प्राधिकारियों ने पूरी तरह से नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को शर्म आनी चाहिए कि अभी तक किसी भी अपराधी को सजा नहीं मिली है।’’इस बीच पत्रकार प्रगीत एकनेलिगोडा की पत्नी संध्या एकनेलीगोडा ने राष्ट्रपति के कार्यालय के बाहर बृहस्पतिवार को धरना प्रदर्शन किया। प्रगीत का नौ साल पहले 24 जनवरी को अपहरण कर लिया गया था।
#whereisprageeth? Today is the 9th anniversary of the #EnforcedDisappearance of journalist Prageeth #Eknaligoda in #SriLanka. Please join #Amnesty's photo action for him & ask others to join - https://t.co/Mfsjwz4tBJ #stillnoanswers #lka pic.twitter.com/tJo42edhZf
— Jim McDonald (@jmccdon) January 24, 2019
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