दक्षिण अफ्रीका कोविड-19 महामारी के एक नए चरण में पहुंचा: इसका तात्पर्य क्या है

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जांच के तरीकों में वक्त के साथ आए बदलावों का निहितार्थ यह है कि इन मामलों की पहले की लहर के मामलों से सीधी तुलना नहीं की जा सकती। ताजा आंकड़ें दिखाते हैं कि नए मामलों की संख्या बढ़ने की दर कम होनी शुरू हुई है।

(मिशेल जे ग्रूमे, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्यूनिकेबल डिसीज, जूलियट पुलिएम, साउथ अफ्रीकन सेंटर फॉर एपीडेमियोलॉजिकल मॉडलिंग एंड एनालिसिस और शीतल सिलाल, यूनिवर्सिटी ऑफ केप टाउन) केपटाउन|  दक्षिण अफ्रीका में हाल के हफ्तों में सार्स-सीओवी-2 के पुष्ट मामलों की संख्या बढ़ी है। ये मामले ओमीक्रोन स्वरूप के दो उप स्वरूपों बीए.4 और बीए.5 के हैं।

इन मामलों में गौर करने की बात यह है कि वर्तमान के मामलों और कोविड-19 की पहली चार लहरों में सामने आए मामलों में काफी अंतर है। पहला अंतर यह है कि दक्षिण अफ्रीका के लगभग सभी लोगों में किसी न किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता है, ये संक्रमण रोधी टीका लगवाने के कारण या संक्रमित हो चुके होने के कारण विकसित हो सकती है। दूसरा अंतर ये है कि इस लहर में कम लोगों को ही अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। मृतक संख्या भी काफी कम है।

तीसरा अंतर यह है कि संक्रमण के ये मामले चौथी लहर के लिए जिम्मेदार ओमीक्रोन स्वरूप के उप स्वरूपों से जुड़े हैं। चौथा अंतर यह है कि देश में इस बार प्रतिबंध अन्य लहरों की तुलना में काफी कम है।

ये अंतर इस लिहाज से महत्पवूर्ण हैं कि इनसे कोविड-19 के रुख के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है और उसके हिसाब से तैयारियां की जा सकती हैं। ये दिखाते हैं कि दक्षिण अफ्रीका महामारी के एक नए चरण में प्रवेश करता प्रतीत होता है। आगे क्या: मामलों की संख्या और परिणाम दिखाते हैं कि संक्रमण काफी फैला है।

लेकिन जांच के तरीकों में वक्त के साथ आए बदलावों का निहितार्थ यह है कि इन मामलों की पहले की लहर के मामलों से सीधी तुलना नहीं की जा सकती। ताजा आंकड़ें दिखाते हैं कि नए मामलों की संख्या बढ़ने की दर कम होनी शुरू हुई है। पिछले कुछ सप्ताह से हम मामलों के चरम पर पहुंचने और फिन इनमें कमी आने को देख चुके हैं। हम ये देखने के आदी हो चुके हैं। आगे की बात करें तो हम उम्मीद करते हैं कि मामलों की संख्या बढ़ेगी और घटेगी, लेकिन ये पहले के मुकाबले कम घातक होगी। यह भी संभव है कि संक्रमण तेजी से फैलने की अवधि मौसमी हो जाए, जैसे कि बहुत से वायरस से जुड़ी बीमारियां होती हैं। इस वक्त यह बात मायने रखती है कि लक्षणों में होने वाले गंभीर बदलावों पर नजर रखने वाला तंत्र मौजूद है कि नहीं।

इस प्रकार की निगरानी यह सुनिश्चित करेगी कि देश के स्वास्थ्य तंत्र पर अधिक दबाव नहीं पड़े। क्या मायने रखता है संक्रमण के प्रभाव की निगरानी के लिए कोई सटीक तंत्र मौजूद नहीं है, लेकिन कई ऐसे संकेतक हैं,जो सहायक साबित हो सकते हैं।

जैसे संक्रमितों की संख्या इस बात का अहम संकेत है कि संक्रमण का रुख किस प्रकार का है। संक्रमण के बचाव के उपाय जैसे मास्क लगाना, सामाजिक दूरी बनाना और भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रहना हर हाल में बेहतर हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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