अल्पसंख्यकों से भेदभाव, योगी के बयान, पत्रकारों पर FIR, भारत को बदनाम करने वाली अमेरिकी रिपोर्ट में और क्या-क्या?

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अभिनय आकाश । Apr 26 2022 1:20PM

यूनाइटेड स्टेट कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम यानी यूएससीआईआरएफ हर साल धार्मिक आजादी को लेकर एक रिपोर्ट जारी करती है। 25 अप्रैल को यूएससीआईआरएफ की तरफ से अमेरिका में धार्मिक आजादी पर एक रिपोर्ट जारी की गई।

भारत वैश्विक कूटनीति का नया केंद्र बनात जा रहा है। पश्चिमी देशों से लेकर एशियाई देशों तक में उसका डंका बज रहा है। विश्व की दो महाशक्तियां चाहे वो अमेरिका हो या रूस दोनों को ही भारत की अहमियत का भान है तभी तो एक भारत की तरफ से मध्यस्थता की बात करता नजर आता है तो दूसरा उसे अपना अहम साझेदार बताया है। लेकिन भारत की बढ़ती साख के बीच हिन्दुस्तान के दुश्मनों की नई साजिश भी सामने आई है। अमेरिका की तरफ से एक रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें भारत के खिलाफ गहरी साजिश की कोशिश की गई है। 

भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव 

यूनाइटेड स्टेट कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम यानी यूएससीआईआरएफ हर साल धार्मिक आजादी को लेकर एक रिपोर्ट जारी करती है। 25 अप्रैल को यूएससीआईआरएफ की तरफ से अमेरिका में धार्मिक आजादी पर एक रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट में एक बार फिर भारत को बदनाम करने की कोशिश की गई है। एक बार फिर से भारत को लेकर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट में भारत को विशेष चिंता वाले देश की श्रेणी में रखने का सुझाव दिया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव होता है और हिन्दू राष्ट्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है। 

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पूर्वाग्रह से ग्रसित है रिपोर्ट

यह लगातार तीसरा वर्ष था जब अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने भारत को "विशेष चिंता वाले देशों" की सूची में रखने का सुझाव दिया है। आयोग ने 2021 में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों और ईसाइयों पर "कई" हमलों की ओर इशारा किया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि भारत सरकार द्वारा उन पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया जिन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रही हिंसा का मुद्दा उठाया। अपनी रिपोर्ट में भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी स्टेन स्वामी का भी जिक्र किया है। रिपोर्ट में इस बात पर भी आपत्ति जताई गई कि त्रिपुरा में जिन पत्रकारों ने मस्जिदों पर हुए हमलों को लेकर ट्वीट किया, उन्हीं पर यूएपीए के तहत कार्रवाई की गई।

रिपोर्ट में योगी का भी जिक्र

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी नाम लिया गया है। कहा गया है कि पिछले साल जून में सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन लोगों के खिलाफ एनएसए लगाने की बात कही थी जो धर्मांतरण मामले में दोषी पाए जाएंगे। भारत सरकार द्वारा ला गए सीएए कानून का भी खुलकर विरोध किया है और एनआरसी प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। 

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क्या है यूएससीआईआरएफ 

आईएएमसी यानी इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल जो भारत के खिलाफ नफरत का प्रोपोगैंडा चलाती है। ये अमेरिकी सरकार की एक स्वतंत्र संस्था है। इसका काम है पूरी दुनिया में धार्मिक या आस्था आजादी के उल्लंघनों पर निगरानी रखना। साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति, विदेश मंत्री और कांग्रेस को पूरे मामले की जानकारी देना।  लेकिन अमेरिकी सरकार इस संस्था की रिपोर्ट को मानने के लिए बाध्य नहीं है। इस संस्था की स्थापना साल 1998 में इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम एक्ट 1998 के तहत हुआ था। अपने बनने के पांच साल बाद ही इस संस्था ने पहली बार साल 2003 में भारत को 'country of particular concern' यानी विशेष चिंता वाले देश की श्रेणी में डाल दिया था। तब साल 2002 में गुजरात के गोधरा में दंगे हुए थे। साल 2004 में भी भारत को संस्था ने इसी श्रेणी में डाला था। 2005 के बाद भारत को इस श्रेणी से बाहर कर दिया गया था।

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