कानून के कटघरे में 'मौत के असली सौदागर', कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़? कांग्रेस राज में पद्मश्री और अनेकों सम्‍मान, 20 सालों तक चलाई झूठ की दुकान

 Teesta Setalvad
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jun 28 2022 5:39PM

गों के पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान करने के नाम पर पिछले 20 साल से यही एनजीओ पीएम मोदी के खिलाफ झूठे मुकदमे लड़ता रहा है। तीस्ता सीतलवाड़ को वर्ष 2007 में पद्मश्री से नवाजा जा चुका है।

गुजरात दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साजिश रचने के आरोप में ताबड़तोड़ एक्शन किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी के खिलाफ तीस साल तक कैंपेन चलाने वाली तीस्ता सीतलवाड़ को बीते दिनों मुंबई से गिरफ्तार किया गया। तीस्ता सीतलवाड़ के अलावा पूर्व डीजीपी को भी अहमदाबाद से गिरफ्तार किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में नरेंद्र मोदी को बाइज्जत बरी किया है। इसी फैसले में पीएम मोदी के खिलाफ कैंपेन चलाने की साजिश की भी बात कही गई है, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ ताबड़तोड़ एक्शन शुरू हुआ है। तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार, संजीव भट्ट ये मोदी के गुनहगारों की फेहरिस्त है। इसमें आने वाले वक्त में जांच के बाद और नाम शामिल हो सकते हैं। 20 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के सभी आरोपों से नरेंद्र मोदी को बरी कर दिया और अब मौत के असली सौदागर धीरे-धीरे कानून के कटघरे में खड़े होने लगे हैं। सबसे पहले बात एनजीओ चलाने वाली तीस्ता सीतलवाड़ की करेंगे। देश की सबसे बड़ी अदालत ने गुजरात दंगों को लेकर जिन लोगों को लेकर सबसे गंभीर उंगली उठाई है उसमें सबसे पहला नाम तीस्ता सीतलवाड़ का है। कोर्ट का फैसला आते ही एजेंसियां एक्टिव हो गईं और सबसे पहले सीतलवाड़ को मुंबई से हिरासत में ले लिया गया। 

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कौन हैं तीस्ता सीतलवाड़?

तीस्ता सीतलवाड़ का जन्म महाराष्ट्र में 1962 में हुआ। वह मुंबई में पली बढ़ी और मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। उनके पिता अतुल सीतलवाड़ वकील थे और उनके दादा एमसी सीतलवाड़ देश के पहले अटॉर्नी जनरल थे। तीस्ता सीतलवाड़ ने अपनी कानून की पढ़ाई बीच में छोड़कर पत्रकारिता की ओर कदम बढ़ाए। 1947 में देश आजाद हुआ और पंडित जवाहरल लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने चिमनलाल के बेटे मोतीलाल सीतलवाड़ को भारत का पहला अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया, जो 1950-1963 तक अपने पद बने रहे। बतौर रिपोर्टर उन्होंने कई अखबारों में काम किया। उन्होंने पत्रकार जावेद आनंद से शादी की और आगे चलकर कुछ लोगों के साथ मिलकर सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस नामक एनजीओ की शुरुआत की। सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) की सचिव हैं, जिसकी स्थापना 2002 में गुजरात दंगों के बाद हुई थी। दंगों के पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान करने के नाम पर पिछले 20 साल से यही एनजीओ पीएम मोदी के खिलाफ झूठे मुकदमे लड़ता रहा है। तीस्ता सीतलवाड़ को वर्ष 2007 में पद्मश्री से नवाजा जा चुका है। पद्मश्री के अलावा उनको साल 2002 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार भी मिल चुका है। मुंबई के जुहू तारा रोड पर तीस्ता सीतलवाड़ का बंगला निरांत, अमिताभ बच्चन के बंगले जलसा के पास ही है। इसकी अनुमानित कीमत 125-150 करोड़ आंकी जाती है। गुलबर्गा सोसायटी केस में मोदी को फंसाने के लिए 16 साल मुकदमा लड़ा। कांग्रेस के पूर्व एमपी एहसान जाफरी की विधवा जाकिया जाफरी को मोहरा बनाया। 2002 में गुजरात में दंगा पीड़ितों के मामलों को उठाने वाली पहली कार्यकर्ताओं में से एक थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन के नेतृत्व में गोधरा के बाद के दंगों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया। सीतलवाड़ ने पहली बार तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी का सिर उठाया, जब मार्च 2007 में, गुजरात एचसी के समक्ष एक विशेष आपराधिक आवेदन में, उन्होंने खुद को जकिया जाफरी की सह-याचिकाकर्ता के रूप में नामित किया, जिन्होंने मोदी और 61 अन्य राजनेताओं, नौकरशाहों के खिलाफ प्राथमिकी की मांग की थी। 

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विवादों से रहा नाता

तीस्ता सीतलवाड़ पर साल 2006 में कई आरोप लगे। इनमें धार्मिक भावनाएं आहत करना, फर्जी सबूत जुटाना और जिन जगहों पर गुजरात दंगों के शव दफनाए गए, उस जगह खुदाई कराने के आरोप भी लगे।  साल 2018 में तीस्ता सीतलवाड़ के सहयोगी रहे रईस खान ने भी सीतलवाड़ और उनके पति पर एनजीओ के फंड का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। 

तीस्ता सीतलवाड़ पर एफआईआर

गुजरात दंगों को लेकर मोदी के खिलाफ हेट कैंपेन चलाने वाली तीस्ता सीतलवाड़ पर दर्ज मुकदमें और धाराएं देखेंगे तो आप भी हैरान रह जाएंगे। गुजरात पुलिस ने बेहद गंभीर धाराओं में तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किया है। तीस्ता के खिलाफ आपीसी के सेक्शन 194, 211, 218, 468, 471 और सेक्शन 120बी के चार्ज लगाए गए हैं। तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ यी एक केस नहीं है बल्कि उनके क्राइम फाइल की लंबी फेहरिस्त है। तीस्ता के खिलाफ कम के कम तीन केस पेंडिंग हैं। इनमें से पहला केस अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के पास है। ये केस दंगा पीड़ितों के लिए जमा किए गए पैसों में गड़बड़ी का है। तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सीजेपी ने दंगा पीड़ितों के लिए फंड एकट्ठा किया। म्युजियम ऑफ रेजिडेंस बनाने के लिए 9.75 करोड़ का चंदा लिया। तीस्ता सीतलवाड़ ने इनमें से 3.85 करोड़ रुपये अपने ऊपर खर्च किए। एनजीओ के फंड में पैसा आ जाने पर तीस्ता ने दंगा पीड़ितों की मदद नहीं की। तीस्ता ने 1 करोड़ 53 लाख रुपये अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिए। 96 लाख रुपये तीस्ता के पति के खाते में ट्रांसफर हुए। 

कोर्ट ने जांच किए जाने की बात कही थी

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामले में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल की क्लीन चिट को बरकरार रखते हुए कहा कि सह-याचिकाकर्ता और कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने याचिकाकर्ता जकिया जाफरी की भावनाओं का शोषण किया। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि एसआईटी रिपोर्ट को स्वीकार करने वाले गुजरात के मजिस्ट्रेट द्वारा पारित 2012 के आदेश को बरकरार रखते हुए जकिया जाफरी की याचिका में कोई दम नहीं है। तीस्ता सीतलवाड़ के पूर्ववृत्तों पर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने परिस्थितियों की असली शिकार जकिया जाफरी की भावनाओं का गलत उद्देश्यों के लिए शोषण किया है। अदालत ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ की और जांच की जरूरत है क्योंकि वह अपने फायदे के लिए जकिया जाफरी की भावनाओं का इस्तेमाल कर रही थीं। 

-अभिनय आकाश 

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