कोई खराबी या किसी साजिश का शिकार, क्रैश होने से पहले हेलीकॉप्टर के साथ क्या हुआ था अब आएगा सामने?

helicopter crash
अभिनय आकाश । Dec 10 2021 6:00PM

भारतीय वायुसेना और तमिलनाडु पुलिस की टीमों के अधिकारियों ने दुर्घटना के सही कारणों की जांच के लिए घटनास्थल और आसपास के अन्य क्षेत्रों का दौरा किया। एयर मार्शल सिंह ने अधिकारियों के साथ कुन्नूर के पास दुर्घटना स्थल का निरीक्षण करने के एक दिन बाद भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर दुर्घटना की जांच शुरू की।

लहक उठी दिशाएं अग्नि के आलाप पर, थिरक उठा जीवन मृत्यु के विलाप पर। हर सांस की उतराई पर समय का चक्का जमा हुआ था। हर आंख की पुतली के भीतर दर्द का थक्का जमा हुआ था। सीडीएस बिपिन रावत समेत तमिलनाडु हेलिकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले सभी 13 लोगों को अंतिम विदाई दी गई। सीडीएस बिपिन रावत और मधुलिका रावत की बेटियों कृतिका और तारिनी ने अपने माता-पिता को श्रद्धांजलि दी। अंत्येष्टि के लिए सीडीएस विपिन रावत और उनकी पत्नी के शव को ले जाया गया। मशान की मशीन में देश के सेनापति की समाती हुई एक देह के साथ दुख भी अपने अवसान पर रोया। कौन नहीं था वहां। कुछ लोग नहीं थे एक जमाना खड़ा था। ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया। परिवार के जेहन में भी कुछ ऐसे सवाल मौजूद होंगे। अहम सवाल का जवाब पाने को अभी आप सोचे तो दो रास्ते हैं पहला हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह, वो जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। वो बताए कि हुआ क्या था। दूसरा तरीका है हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स जिसे 9 दिसंबर को रिकवर किया गया। उससे मिले डेटा को एनलाइज किया जाएगा। हालांकि दोनों ही रास्तों के नजीते आने में वक्त लग सकता है। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह गंभीर रुप से घायल हैं। जिससे पता चलेगा कि क्रैश होने से पहले हेलीकॉप्टर के साथ क्या हुआ था, कोई खराबी आई थी या फिर किसी साजिश का शिकार हुआ था। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और पुलिस की टीमों ने तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हादसे की जांच के लिए हेलिकॉप्टर दुर्घटना स्थल का निरीक्षण किया। भारतीय वायुसेना और तमिलनाडु पुलिस की टीमों के अधिकारियों ने दुर्घटना के सही कारणों की जांच के लिए घटनास्थल और आसपास के अन्य क्षेत्रों का दौरा किया। एयर मार्शल सिंह ने अधिकारियों के साथ कुन्नूर के पास दुर्घटना स्थल का निरीक्षण करने के एक दिन बाद भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर दुर्घटना की जांच शुरू की।

ट्राइ सर्विस इंक्वायरी टीम 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को अवगत कराया कि एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक ट्राइ सर्विस एनक्वायरी टीम ने जांच शुरू कर दी है। नीलगिरी जिला पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 174 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी और एडीएसपी मुथुमनिकम को जांच कार्यालय नियुक्त किया गया। सीडीएस जनरल रावत, उनकी पत्नी और ब्रिगेडियर एलएस लिडर के साथ ही 10 सशस्त्र बल के जवान Mi-17V हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए थे। इसे दशकों में भारत में सबसे बड़ी हवाई दुर्घटनाओं में से एक माना जा रहा है। दुर्घटना में मारे गए अन्य कर्मियों में लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, विंग कमांडर पीएस चौहान, स्क्वाड्रन लीडर के सिंह, जेडब्ल्यूओ दास, जेडब्ल्यूओ प्रदीप ए, हवलदार सतपाल, नायक गुरसेवक सिंह, नायक जितेंद्र कुमार, लांस नायक विवेक कुमार और लांस नायक साई तेजा शामिल हैं। हादसे में अकेले सर्वाइवर ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का वर्तमान में बेंगलुरु के एक सैन्य अस्पताल में इलाज चल रहा है।

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बिपिन रावत हेलिकॉप्टर दुर्घटना जांच

भारतीय वायु सेना ने एक बयान जारी करते हुए मृतक की गरिमा का सम्मान करते हुए "बेबुनियाद अटकलों" से बचने का आह्वान किया। IAF ने कहा कि भारतीय वायुसेना ने 08 दिसंबर को दुखद हेलीकॉप्टर दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए एक ट्राइ सर्विस एनक्वायरी का गठन किया है। जांच तेजी से पूरी की जाएगी और तथ्य सामने आएंगे। तब तक, मृतक की गरिमा का सम्मान करने के लिए, बेबुनियाद अटकलों से बचा जा सकता है। ट्राइ सर्विस एनक्वायरी टीम सभी संभावित कारणों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या मानवीय त्रुटि दुर्घटना का कारण बनी। भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर दुर्घटना की जांच के लिए त्रि-सेवा जांच दल का नेतृत्व कर रहे एयर मार्शल सिंह ने दुर्घटनास्थल का दौरा करने के साथ जांच शुरू की। सिंह एक हेलीकॉप्टर पायलट हैं और भारतीय वायुसेना के प्लेटफार्मों से जुड़े विभिन्न हवाई दुर्घटनाओं की जांच करते हैं। कई पूर्व और सेवारत सैन्य कमांडरों ने एयर मार्शल सिंह को देश में "सर्वश्रेष्ठ" उपलब्ध हवाई दुर्घटना जांचकर्ता के रूप में वर्णित किया, जो वर्तमान में भारतीय वायुसेना के बेंगलुरु-मुख्यालय प्रशिक्षण कमान का नेतृत्व कर रहे हैं।

दुर्घटनास्थल से मैटेरियल एविडेंस एकत्र करना

स्थानीय लोगों से पूछताछ

सलूर हवाई अड्डे पर लोगों से पूछताछ

लॉक बुक्स को इकट्ठा करना, पेपर वर्क यह सब पहले ही शुरू हो चुका है

पिछली उड़ानें, रखरखाव रिकॉर्ड, कोई भी पहले की घटना

विशेष उड़ान के लिए किए गए सुरक्षा प्रोसेसर की जांच सूची

पायलटों के बोर्ड रिकॉर्ड 

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर

पायलटों की आवाज

स्थानीय से वीडियो

क्या है ब्लैक बॉक्स

हादसे की वजह ढूंढ़ रही जांच टीम की सारी उम्मीद अब ब्लैक बॉक्स पर आ टिकी है। वायुसेना के अधिकारियों ने कन्नूर के पास दुर्घटनाग्रस्त एमआई 17 V हेलीकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया है। आखिर ये ब्लैक बॉक्स क्या होता है। कैसे इसके जरिय हादसे की वजह पता की जा सकती है। ये ब्लैक बॉक्स आमतौर पर ऑरेंज रंग का होता है ताकि ये दूर से ही दिखाई दे सके। कुछ लोग कहते हैं कि शुरुआती ब्लैक बॉक्स वाकई में ब्लैक रंग के होते थे। इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि ब्लैक बॉक्स हादसों से जुड़ा है इसलिए इसके लिए ब्लैक टर्म इस्तेमाल किया जाता है। जब कोई विमान हादसा होता है तो उसमें कम ही चीजें सुरक्षित रहती हैं। क्योंकि विमान क्रैश होने से पहले इतनी ऊंचाई पर होता है कि वहां से नीचे गिरने पर कम ही संभावना होती है कि कोई भी चीज साबुत बचे। ब्लैक बॉक्स विमान या हेलीकॉप्टर में लगा वो डिवाइस है जिसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के रूप में भी जाना जाता है। ब्लैक बॉक्स में एयर स्पीड, विमान की ऊंचाई, कॉकपिट में हुई बातचीत और हवा का दवाब भी रिकॉर्ड होता है। इसीलिए उम्मीद जताई जा रही है कि हेलीकॉप्टर के ब्लैक बॉक्स से हादसे की वजह ढूंढ़ी जा सकेगी। दरअसल, इस ब्लैक बॉक्स में उड़ान के दौरान प्लेन या हेलीकॉप्टर की सारी गतिविधियां रिकॉर्ड होती हैं। सुरक्षित रखने के लिए इसे सबसे मजबूत धातु टाइटेनियम से बनाया जाता है। साथ ही साथ भीतर की तरफ इस तरह से सुरक्षित दीवारें बनी होती हैं कि दुर्घटना होने पर भी ब्लैक बॉक्स सेफ रहे। ये ब्लैक बॉक्स 1 घंटे तक 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान सह सकता है। इसलिए आग लगने पर भी इसके नष्ट होने की संभावना बहुत कम होती है। साथ ही साथ ये करीब एक महीने तक बिना बिजली के काम करता है। यानी दुर्घटनाग्रस्त जहाज या हेलीकप्टर को खोजने में अगर वक्त लग जाए तब भी डेटा सेफ रहता है। 

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रेड एग से ब्लैक बॉक्स का सफर

ब्लैक बॉक्स को बनाने की कोशिश 1950 के दशक में हुई थी। उस वक्त विमानों की फ्रीक्वेंसी बढ़ने के साथ ही दुर्घटनाएं भी बढ़ने लगी थी। हालांकि तब ये समझने का कोई तरीका नहीं हुआ करता था कि अगर कोई हादसा हो तो कैसे जांचा जा सके कि किसकी गलती थी या ऐसा क्यों हुआ ताकी आने वाले समय में ऐसी गलती दोहराई न जाए। साल 1954 में एरोनॉटिकल रिसर्चर डेविड वॉरेन ने इसका अविष्कार किया। तब इस बॉक्स को लाल रंग के होने की वजह से रेड एग कहा जाता था। लेकिन फिर भीतरी दीवार के काले होने की वजह से इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाने लगा। अगर कभी दुर्घटना हो जाए तो ब्लैक बॉक्स से लगातार एक तरह की आवाज निकलती रहती है, जो खोजी दलों द्वारा दूर से ही पहचानी जा सकती है और इस तरह से दुर्घटनास्थल तक पहुंचा जा सकता है। 

फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर 

ब्लैक बॉक्स का फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर ये पता लगाने में बेहद मददगार साबित होता है कि ये हादसा पायलट की गलती की वजह से हुआ है या फिर वजह किसी तकनीकि खामी की है। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर से पता चलता है कि हादसे के वक्त हेलीकॉप्टर किस ऊंचाई पर उड़ रहा था। हेलीकॉप्टर का फ्लाइट पाथ क्या था, हेलीकॉप्टर की रफ्तार कितनी थी। हेलीकॉप्टर का इंजन काम कर रहा था या नहीं। कोई बेहद जरूरी उपकरण गलत रीडिंग तो नहीं दे रहा था। यानी किसी भी तरह की तकनीकि खराबी की जानकारी इससे मिल जाएगी। इसके साथ ही इसके जरिये ये भी पता चलेगा कि उस वक्त कॉकपिट में क्या चल रहा था। हादसे से ठीक पहले पायलट ने क्या कमांड दी थी। क्या उसने किसी तरह की दिक्कत आने की बात एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को बताई थी।

एकलौते सर्वाइवर वरुण सिंह 

एलसीए तेजस के पास ऐसा रिकॉर्ड है जो अपने आप में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। एलसीए तेजस आज तक किसी भी क्रैश में शामिल नहीं हुआ। एलसीए तेजस के साथ आज तक किसी भी तरह की कोई दुर्घटना नहीं हुई। लेकिन तेजस का ये रिकॉर्ड 12 अक्टूबर 2020 को टूटते-टूटते बचा था। इसे बचाने का पूरा श्रेय उस वक्त के विंग कमांडर वरुण सिंह को जाता है। दरअसल, 12 अक्टूबर 2020 को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने एक बयान के जरिये सभी को चौंका दिया। बयान में कहा गया कि विंग कमांडर वरुण सिंह एलसीए तेजस की एक चेक स्योरिटी प्रफॉर्म कर रहे थे जहां पर उन्हें एक सिस्टम चेक शॉट देना था। जब उन्होंने टेक ऑफ किया तो सबकुछ नॉर्मल रहा। लेकिन 10 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अचानक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम और लाइफ सपोर्ट सिस्टम में कुछ गड़बड़ी दिखने लग गई। ऐसे में इन्होंने तुरंत एयरक्रॉफ्ट को हाई अल्टीट्यूड से लो अल्टीट्यूड पर लेकर आए। लेकिन तभी  फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम पूरी तरह से फेल हो गया। वरुण सिंह के पास दो ऑपस्न थे एक या तो वो इजेक्ट कर जाए या भीड़ वाले इलाके में विमान को गिरने से बचाए। अपनी जान की परवाह न करते हुए वरुण सिंह ने काफी कोशिश के बाद एयरक्रॉफ्ट को लैंड करवाया। इसी अदम्य साहस और युद्ध कौशल के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। इसीलिए हैरानी ज्यादा है कि वो इस हेलीकॉप्टर को हादसे का शिकार होने से क्यों नहीं बचा पाए? एविएशन सेक्टर में ऐसा कई बार हुआ जब एयरक्रॉफ्ट पायलट बुरे से बुरे हालात में बचा चुके हैं। अमेरिका की हडसन नदी में यात्री विमान के उतरने की तस्वीर को भला कौन भूल सकता है। यूएस एयरबेस का एयरबस ए320 जहाज जिसमें 155 लोग सवार थे। लेकिन उड़ान भरने के बाद एक चिड़िया इससे आकर टकरा गई। थोड़ी ही देर बार इसके सारे इंजन फेल हो गए। 155 लोगों की जान बस जाने ही वाली थी। लेकिन पायलट जस्ले सली ने अपनी जबरदस्त फ्लाइिंग स्किल का प्रदर्शन करते हुए जहाज को सही सलामत हडसन नदी में लैंड करा दिया। लेकिन यहां ये हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया और देश के बहुत सारे जांबाजों को अपनी जान गंवानी पड़ी। एक योद्धा के दुनिया से चले जाना शौर्य के साथ ही शोक का भी पल होता है। शोक और शौर्य के बीच का वर्क देश को हमेशा याद रहेगा।

-अभिनय आकाश

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