देश के 23 आईआईटी में शिक्षकों के 35 फीसद पद खाली: RTI

[email protected] । Feb 14 2017 5:02PM

देश के शैक्षणिक परिसरों में अध्यापकों के अभाव की समस्या नयी नहीं है। लेकिन सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि आईआईटी जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान भी इससे जूझ रहे हैं।

इंदौर। देश के शैक्षणिक परिसरों में अध्यापकों के अभाव की समस्या नयी नहीं है। लेकिन सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि आईआईटी जैसे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान भी इससे जूझ रहे हैं। देश के 23 आईआईटी में शिक्षकों के औसतन लगभग 35 प्रतिशत स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। मध्य प्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने आज बताया कि उनकी आरटीआई अर्जी के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने एक अक्तूबर 2016 तक की स्थिति के मुताबिक यह जानकारी दी है।

अधिकारी ने बताया कि देश के 23 आईआईटी में कुल 82,603 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और इनमें काम कर रहे शिक्षकों की संख्या 5,072 है, जबकि इन संस्थानों में अध्यापकों के कुल 7,744 पद स्वीकृत हैं यानी 2,672 पद खाली रहने के कारण इनमें 35 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है। आरटीआई के तहत दिये जवाब में यह भी बताया गया कि देश के सभी आईआईटी में शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात 1:10 रखने यानी हर 10 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक नियुक्त करने की भरसक कोशिश की जाती है। हालांकि, फिलहाल सभी 23 शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में औसतन हर 16 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक मौजूद है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के प्रतिभावान विद्यार्थियों को आईआईटी चयन परीक्षा की कोचिंग देने वाले पटना स्थित संस्थान ‘सुपर 30’ के संस्थापक आनंद कुमार कहते हैं, ‘गुजरे बरसों में सरकार ने धड़ल्ले से नये आईआईटी तो खोल दिये। लेकिन इनमें पर्याप्त शिक्षकों, भवनों, प्रयोगशालाओं और अन्य आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी है। इससे इन इंजीनियरिंग संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है। नतीजतन वैश्विक स्तर पर ब्रांड आईआईटी को नुकसान पहुंच रहा है।’ बहरहाल, आरटीआई के जरिये मिली जानकारी से पता चलता है कि शिक्षकों की गंभीर कमी से पुराने आईआईटी भी जूझ रहे हैं।

आईआईटी मुंबई में 30 प्रतिशत, आईआईटी दिल्ली में 35 प्रतिशत, आईआईटी गुवाहाटी में 27 प्रतिशत, आईआईटी कानपुर में 37 प्रतिशत, आईआईटी खड़गपुर में 46 प्रतिशत, आईआईटी मद्रास में 28 प्रतिशत, आईआईटी रूड़की में 45 प्रतिशत और आईआईटी बीएचयू में 47 प्रतिशत पद (शिक्षकों के) खाली हैं। इन आठ पुराने आईआईटी में 64,467 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, जबकि इनमें शिक्षकों के 6,250 स्वीकृत पदों के मुकाबले 3,935 प्रतिशत शिक्षक ही काम कर रहे हैं। ये संस्थान 2,315 पद खाली रहने के कारण 37 प्रतिशत कम शिक्षकों से अपना काम चला रहे हैं। इनमें हर 16 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहा है। शिक्षकों के पद खाली रहने की दिक्कत का सामना कर रहे शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में आईआईटी भुवनेश्वर (35 प्रतिशत पद रिक्त), आईआईटी गांधीनगर (11 प्रतिशत पद रिक्त), आईआईटी हैदराबाद (16 प्रतिशत पद रिक्त), आईआईटी जोधपुर (39 प्रतिशत पद रिक्त), आईआईटी पटना (20 प्रतिशत पद रिक्त), आईआईटी रोपड़ (24 प्रतिशत पद रिक्त), आईआईटी तिरुपति (39 प्रतिशत), आईआईटी पलक्कड़ (28 प्रतिशत पद रिक्त) और आईआईटी धनबाद (36 प्रतिशत पद रिक्त) भी शामिल हैं।

बहरहाल, आईआईटी इंदौर और आईआईटी मंडी उन ‘भाग्यशाली’ संस्थानों में शामिल हैं, जहां एक अक्तूबर 2016 तक की स्थिति के मुताबिक स्वीकृत पदों से ज्यादा शिक्षक काम कर रहे हैं। आईआईटी इंदौर में 1,136 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं और इसमें शिक्षकों के 90 पद स्वीकृत हैं। लेकिन इस संस्थान में 91 शिक्षक काम कर रहे हैं। आईआईटी मंडी में 844 विद्यार्थी हैं और इसमें शिक्षकों के 90 पदों को मंजूरी दी गयी है। लेकिन इसमें 97 शिक्षक काम कर रहे हैं।

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