56 पूर्व न्यायाधीशों की महाभियोग पर कड़ी प्रतिक्रिया, कहा- न्यायपालिका को डराने का प्रयास

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अभिनय आकाश । Dec 12 2025 4:10PM

अपने बयान में पूर्व न्यायाधीशों ने महाभियोग की इस कार्रवाई को समाज के एक विशेष वर्ग की वैचारिक या राजनीतिक अपेक्षाओं से असहमत न्यायाधीशों को डराने-धमकाने का एक बेशर्म प्रयास बताया। हम, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और माननीय उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश, मद्रास उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन पर महाभियोग चलाने के प्रयास का घोर विरोध करते हैं।

56 पूर्व न्यायाधीशों ने मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ संसद में विपक्षी सांसदों द्वारा लाए गए महाभियोग नोटिस का विरोध करते हुए एक खुला पत्र लिखा। अपने बयान में पूर्व न्यायाधीशों ने महाभियोग की इस कार्रवाई को समाज के एक विशेष वर्ग की वैचारिक या राजनीतिक अपेक्षाओं से असहमत न्यायाधीशों को डराने-धमकाने का एक बेशर्म प्रयास बताया। हम, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और माननीय उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश, मद्रास उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन पर महाभियोग चलाने के प्रयास का घोर विरोध करते हैं, जिसे कुछ संसद सदस्यों और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। यह समाज के एक विशेष वर्ग की वैचारिक और राजनीतिक अपेक्षाओं के अनुरूप न चलने वाले न्यायाधीशों को धमकाने का एक घिनौना प्रयास है।

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बयान में कहा गया कि यदि ऐसे प्रयास को आगे बढ़ने दिया गया, तो यह हमारे लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ों को ही नष्ट कर देगा। यदि हस्ताक्षरकर्ता संसद सदस्य(सदस्यों) द्वारा बताए गए कारणों को अक्षरशः मान भी लिया जाए, तो भी वे महाभियोग जैसे दुर्लभ, असाधारण और गंभीर संवैधानिक उपाय का सहारा लेने को पूरी तरह से अपर्याप्त साबित करते हैं। उन्होंने आगे चेतावनी दी कि कथित फैसले के आधार पर किसी न्यायाधीश पर महाभियोग चलाने के प्रयास की अनुमति देना न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा होगा।

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महाभियोग तंत्र का मूल उद्देश्य न्यायपालिका की अखंडता को बनाए रखना है, न कि इसे दबाव बनाने, संकेत देने और प्रतिशोध का हथियार बनाना। न्यायाधीशों को राजनीतिक अपेक्षाओं के अनुरूप ढालने के लिए पद से हटाने की धमकी का इस्तेमाल करना संवैधानिक सुरक्षा को डराने-धमकाने का साधन बनाना है। ऐसा दृष्टिकोण लोकतंत्र विरोधी, संविधान विरोधी और कानून के शासन के लिए घोर दंड है।

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