Delhi के IGI Airport पर दिखी Digital India की अलग तस्वीर, सर्वर डाउन होते ही पूरा आसमान ठहर गया

IGI Airport
ANI

दिल्ली एयरपोर्ट की घटना यह भी बताती है कि भारत के एयर ट्रैफिक नेटवर्क को तकनीकी उन्नयन की सख्त जरूरत है। इंडिगो और एयर इंडिया जैसी एयरलाइंस को जिस “पेशंस” की अपील करनी पड़ती है, वह असल में सिस्टम की मजबूरी की स्वीकारोक्ति है।

देश के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक, दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर आज सुबह यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा, जब एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) का सर्वर अचानक ठप हो गया। इस तकनीकी गड़बड़ी के कारण 100 से अधिक उड़ानें प्रभावित हुईं और कई घंटों तक उड़ान संचालन में अफरातफरी मची रही। सुबह करीब 8 बजे से एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ने लगी, क्योंकि ATC का स्वचालित संदेश प्रणाली (Automatic Message Switching System – AMSS) बंद हो गया था। मजबूरन, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को उड़ानों की क्लियरेंस और लैंडिंग-डिपार्चर मैनुअली संभालनी पड़ी।

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने बयान जारी कर कहा, “तकनीकी दिक्कत के कारण ATC का AMSS सिस्टम काम नहीं कर रहा है। कंट्रोलर्स फिलहाल मैनुअली फ्लाइट प्लान प्रोसेस कर रहे हैं। हमारी तकनीकी टीम इसे जल्द बहाल करने में जुटी है। यात्रियों के सहयोग के लिए हम आभारी हैं।” इसी बीच, दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने भी सुबह 8:34 बजे पुष्टि की कि समस्या “ATC सिस्टम में तकनीकी खामी” की वजह से है, और सभी एजेंसियां मिलकर स्थिति को सामान्य करने की कोशिश कर रही हैं।

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उधर, देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) ने कहा कि दिल्ली और उत्तर भारत के कई हिस्सों में फ्लाइट ऑपरेशन्स पर असर पड़ा है। कंपनी ने यात्रियों से धैर्य रखने की अपील की और कहा कि “हमारी ग्राउंड और केबिन टीमें आपकी असुविधा कम करने की पूरी कोशिश कर रही हैं।” एयर इंडिया ने भी इसी तरह का बयान जारी करते हुए कहा कि “यह व्यवधान अप्रत्याशित है और हमारे नियंत्रण से बाहर है, लेकिन यात्रियों की मदद के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।” सुबह 9 बजे तक दिल्ली एयरपोर्ट के रनवे पर लंबी कतारें थीं। कई विमान हवा में होल्डिंग पैटर्न में घूमते रहे जबकि कुछ को नज़दीकी एयरपोर्ट्स की ओर डायवर्ट किया गया। इससे उत्तर भारत के एयर रूट्स पर भी व्यापक असर पड़ा।

देखा जाये तो दिल्ली एयरपोर्ट की इस घटना ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या भारत की हवाई सुरक्षा व्यवस्था इतनी नाज़ुक है कि एक सर्वर डाउन होते ही पूरा सिस्टम रुक जाए? यह केवल तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि प्रबंधन और आकस्मिकता की विफलता का प्रतीक है। जिस देश में हर मिनट हवाई यात्रियों की संख्या लाखों में पहुँच रही है, वहाँ अगर सबसे अहम हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली ही एक सर्वर पर निर्भर हो, तो यह सुरक्षा का गंभीर खतरा है।

सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटीज़ बार-बार “डिजिटल इंडिया” और “स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर” की बात करती हैं, लेकिन जब ATC जैसी संवेदनशील व्यवस्था में बैकअप सर्वर, ऑटो-स्विचिंग या क्लाउड सिंक्रोनाइज़ेशन जैसी बुनियादी व्यवस्थाएँ नहीं हैं, तो यह “स्मार्ट सिस्टम” की पोल खोल देता है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि एटीसी के तकनीकी ठप पड़ने का मतलब केवल देरी नहीं है— यह सुरक्षा से जुड़ा मामला है। जब विमान हवा में हैं और कंट्रोल सिस्टम डाउन हो जाए, तो हर सेकंड मायने रखता है। मैनुअल ऑपरेशन जोखिमपूर्ण होता है, और ऐसी स्थिति में किसी भी मानवीय त्रुटि की कीमत बहुत बड़ी हो सकती है।

यह घटना यह भी बताती है कि भारत के एयर ट्रैफिक नेटवर्क को तकनीकी उन्नयन की सख्त जरूरत है। इंडिगो और एयर इंडिया जैसी एयरलाइंस को जिस “पेशंस” की अपील करनी पड़ती है, वह असल में सिस्टम की मजबूरी की स्वीकारोक्ति है। सरकार और AAI के लिए जरूरी सबक की बात करें तो Backup redundancy system हर बड़े एयरपोर्ट पर सक्रिय और स्वत: कार्यशील होना चाहिए। साथ ही Periodic stress testing और “disaster simulation drills” केवल कागज़ों में नहीं, वास्तविक रूप में लागू होनी चाहिए। इसके अलावा, Data mirroring & real-time monitoring की व्यवस्था केंद्रीय सर्वर से सुनिश्चित की जाए। साथ ही यात्रियों की सूचना प्रणाली (public communication) पारदर्शी और त्वरित हो ताकि अफवाहें या घबराहट न फैले।

बहरहाल, दिल्ली एयरपोर्ट की सुबह की यह गड़बड़ी केवल एक तकनीकी घटना नहीं थी, यह “टेक्नोलॉजी पर अंधे भरोसे” की चेतावनी थी। जिस देश ने चाँद और मंगल तक पहुँच बनाई है, वहाँ अपने ही आसमान में उड़ानें इसलिए रुक जाएँ क्योंकि “सर्वर डाउन” है, यह अस्वीकार्य है। भारत को केवल डिजिटल नहीं, सुरक्षित और भरोसेमंद टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की ज़रूरत है वरना अगली बार “टेक्निकल ग्लिच” सिर्फ़ देरी नहीं, त्रासदी भी बन सकती है।

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